जिले में नेशनल लोक अदालत बनी न्याय की मिसाल, 1905 प्रकरणों का हुआ आपसी समझौते से निराकरण
जिला न्यायालय बैढ़न, देवसर एवं सरई में आयोजित नेशनल लोक अदालत में वर्षो से लंबित मामलो का चन्द घंटो में समाधान हुआ। प्रधान जिला न्यायाधीश एवं जिला विधिक प्राधिकरण अध्यक्ष अतुल कुमार खण्डेलवाल के मार्गदर्शन में आयोजित इस लोक अदालत ने साबित कर दिया है कि संवाद और सहमति से न्याय सरल, सस्ता और त्वरित बन सकता है। नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ जिला न्यायालय परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा पर दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण के साथ हुआ। इस अवसर पर प्रधान जिला न्यायाधीश अतुल कुमार खंडेलवाल, अधिवक्ता संघ अध्यक्ष बृजेंद्र देव पांडेय सहित जिले के न्यायाधीशगण, अधिवक्तागण, विधिक सहायता अधिकारी अमित शर्मा उपस्थित रहे। कार्यक्रम में सौहार्द और सकारात्मक वातावरण देखने को मिला। प्रकरणों के निराकरण के लिए कुल 20 न्यायिक खंडपीठों का गठन किया गया था। लोक अदालत में प्री.लिटिगेशन के 1419 तथा न्यायालय में लंबित 486 प्रकरणों का निराकरण किया गया। न्यायालय में लंबित क्लेम के 31 प्रकरणों में पक्षकारों को 1 करोड़ 92 लाख 83 हजार रुपये के अवॉर्ड पारित किए गए। वहीं 30 चेक बाउंस प्रकरणों में 33 लाख 79 हजार 249 रुपये की राशि का निपटारा हुआ। वहीं इसके अतिरिक्त लोक अदालत में 206 आपराधिक राजीनामा योग्य, 29 पारिवारिक एवं वैवाहिक, 138 विद्युत अधिनियम, तथा 52 सिविल एवं अन्य राजीनामा योग्य प्रकरणों का समाधान किया गया। प्री-लिटिगेशन स्तर पर विद्युत विभाग के 1006 प्रकरणों में 90 लाख 73 हजार 891 रुपये, बैंक एवं वित्तीय संस्थानों के 45 प्रकरण तथा ननि के जलकर व संपत्तिकर से संबंधित 60 लाख 98 हजार 264 रुपये के प्रकरणों का निराकरण हुआ।
12 लाख का विवाद सिर्फ ढाई लाख रूपये में खत्म, टूटा परिवार जुड़ा
नेशनल लोक अदालत में कई ऐसी सफल कहानियां सामने आईं, जिन्होंने न्याय व्यवस्था के मानवीय पक्ष को उजागर किया। एक प्रकरण में श्रीराम फाइनेंस लिमिटेड एवं रामदुलारे शाह के बीच लंबे समय से चल रहे 12 लाख रुपये के विवाद को मात्र 2.5 लाख रुपये में आपसी समझौते से समाप्त कराया गया। इससे दोनों पक्षकारों को समय, धन और मानसिक तनाव से राहत मिली। दूसरी प्रेरणादायक कहानी में मां और पुत्र के बीच भरण-पोषण एवं इलाज से जुड़े विवाद का समाधान हुआ। पुत्र द्वारा मां को प्रतिमाह 25 हजार रुपये भरण-पोषण देने तथा गंभीर बीमारी की स्थिति में संपूर्ण इलाज स्वयं वहन करने पर सहमति बनी। इस समझौते से पारिवारिक रिश्तों में आई दरार खत्म हुई और दोनों पक्ष भावुक माहौल में संतोष के साथ अपने घर लौटे। वहीं तीसरी सफल कहानी में पति-पत्नी के बीच लंबे समय से चला आ रहा विवाद समाप्त हुआ। दोनों ने आपसी समझौते से जीवनभर साथ रहने का संकल्प लिया।
संवाददाता :- आशीष सोनी

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