सरस्वती उ मा वि सिंगरौली के 56वें स्थापना दिवस पर विद्वत परिषद ने की विशेष बैठक
विद्या भारती के महाकोशल प्रांत के अंतर्गत संचालित सरस्वती उच्चतर माध्यमिक विद्यालय (शिशु मंदिर) के 56वें स्थापना दिवस पर गुरुवार, 4 दिसंबर को विद्वत परिषद ने विशेष बैठक की। सरस्वती विद्वत परिषद के सचिव रोहित गुप्त, पत्रकार के आह्वान पर आयोजित इस बैठक में सम्मिलित कार्यसमिति के प्रमुख सदस्यगण ने विद्यालय के शैक्षिक एवं छात्र छात्राओं के लिए संचालित अन्य गतिविधियों पर गहन चर्चा की तथा आचार्य भगिनी के साथ साथ प्रबंध समिति को बधाई व शुभकामनाएं दीं। बैठक की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार कमलेश्वर ओझा ने की तथा संचालन परिषद के सचिव रोहि गुप्ता ने त गुप्त कर रहे थे।
कार्यक्रम का शुभारंभ उपस्थित विद्वत जनों द्वारा माँ सरस्वती एवं माँ भारती के प्रतिरूप के समझ दीप प्रज्वलन एवं आरती से हुआ।
बैठक में प्रारंभिक संबोधन देते हुए प्राचार्य ओमप्रकाश पाण्डेय ने परिषद का अभिनंदन करते हुए बताया कि सरस्वती शिशु मंदिर सिंगरौली की स्थापना 04 दिसंबर 1970 में स्व. बी कामथ के प्रयास एवं भारतीय मजदूर संघ के तत्कालीन अध्यक्ष जगत नारायण सिंह, भागवत यादव आदि के सहयोग से की गई थी। उन्होंने विद्यालय की गतिविधियों एवं शैक्षणिक तथा खेल की विधा में अर्जित उपलब्धियों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि हर साल विद्यालय के 45-55 छात्रों को मध्य प्रदेश शासन से लैपटॉप के लिए सहायता राशि उपलब्ध कराई जा रही है। 55 साल की यात्रा में इस विद्यालय से 45 डाक्टर, 565 इंजीनियर, आईईएस, उद्योगपति, राजनेता आदि निकले हैं जो देश विदेश में अपनी सेवा दे रहे हैं।
बैठक में भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष एवं परिषद के सदस्य राम सुमिरन गुप्ता ने कहा कि सरस्वती विद्यालयों को स्थापित करने वाले हमारे पूर्वज पूजनीय हैं। देश की संस्कृति के अनुरूप शिक्षा देकर सुयोग्य नागरिक निर्माण कार्य शिशु मंदिरों में होता है। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सिंगरौली की सबसे बड़ी समस्या विस्थापन है। उन्होंने मोरवा शहर को विस्थापित करने की कवायद को यहां के रहवासियों के साथ ही विद्यार्थियों के लिए एक आपदा बताया। उन्होंने कहा कि देश के सबसे बड़े शहरी विस्थापन से हजारों बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो सकता है। यहां के प्रमुख स्कूलों को एडमिशन नहीं लेने हेतु नोटिस जारी कर दी गई है जो अमानवीय है। गुप्ता का कहना था कि प्रशासन को पहल करना चाहिए तथा नये मोरवा शहर को एकमुश्त बसाकर वहीं स्कूल खोलना चाहिए। मोरवा जैसा भाईचारा पूरे प्रदेश में कहीं नहीं है। यह बहुत बड़ी मानव त्रासदी सिद्ध होगी।
बीएमएस के सचिव प्रयाग लाल बैस ने विद्यालय संचालन की प्रसंशा की और एनसीएल के माध्यम से सहयोग दिलाने की बात कही। परिषद सदस्य अजीत सिंह ने कहा यदि विद्या भारती नहीं होती तो हमारे देश का और भी पतन हो गया होता। विद्यालय के गुरुजन भी खुश रहें, तभी वे बच्चों को पूरे मनोयोग से शिक्षा देंगे। कवि जीएल प्रसाद ने कहा कि यह विद्यालय अपने बलबूते पर विकास कर रहा है। रिटायर्ड रेंजर जेपी तिवारी ने भैया बहनों को वनस्पति का परिचय और उनके गुणों को बताने का सुझाव दिया।
महाप्रबंधक (सतर्कता, एनसीएल) एवं सदस्य उमाकांत यादव ने शिशु मंदिरों के योगदान को अवर्णनीय कहा। उन्होंने कहा कि समय के साथ बदलाव जरूरी है। शिक्षा व स्वास्थ्य विकसित समाज निर्माण के लिए आवश्यक है। उन्होंने सुझाव दिया कि आर्थिक रूप से दुर्बल परिवार के प्रतिभाशाली बच्चों को छात्रवृत्ति देकर प्रोत्साहित किया जा सकता है। उन्होंने एक दानपात्र रखवाने का भी सुझाव दिया। प्रबंध समिति के कोषाध्यक्ष यदुवीर यादव ने विद्वत परिषद का आभार जताया तथा बताया कि बच्चों से प्राप्त शुल्क से ही विद्यालय का संचालन एवं आचार्यगण का वेतन दिया जाता है। कोरोना काल में भी कभी वेतन नहीं रोका गया।
परिषद के सचिव रोहित गुप्त ने कहा कि विद्यालय प्रति माह विद्वत परिषद की बैठक सुनिश्चित करे तथा उन्हें विषय आधारित रखी जाए। हर तीसरे महीने की बैठक को समीक्षा बैठक के रूप में करने का सुझाव दिया। बच्चों में मोबाइल व इंटरनेट के प्रति बढ़ रहे रुझान को लेकर उन्होंने कहा कि इसे छात्र हितैषी बनाने तथा उन्हें प्रेरित करने के लिए गंभीरता से विचार विमर्श करना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि वरिष्ठ कक्षाओं के एक एक भैया बहन को ही मोबाइल कक्षा का शिक्षक बनाकर उन्हें ही अपने सहपाठियों को प्रेरित करने के लिए कहना प्रभावशाली हो सकता है। गुप्त ने विद्यालय परिवार को स्थापना दिवस की शुभकामना दी।
अंत में सभाध्यक्ष वरिष्ठ कवि कमलेश्वर ओझा ने बैठक को सारगर्भित एवं अपने उद्देश्य पर खरा बताया। उन्होंने इस सुअवसर पर अपनी एक स्पर्शी रचना भी सुनाई। समापन स्वस्ति वाचन से किया गया।
संवाददाता :- आशीष सोनी

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