देवरा में सक्रिय हुआ अंतर्राज्यीय जुआ फड़,पुलिस की निगरानी पर दांव लगाने की चर्चा तेज
कोतवाली बैढ़न से महज एक किलोमीटर दूरी पर स्थित देवरा ग्राम में बीते लंबे अर्से से चल रहा अंतर्राज्यीय जुआं का कारोबार एक बार फिर पूरी रफ्तार पकड़ चुका है। कुछ महीनों पूर्व मामला गरमाया तो फड़ बंद कर दिया गया था, लेकिन जुआं कारोबारियों की लगन और समर्पण को भला कौन रोक सकता है। नतीजा फड़ फिर से सक्रिय, खिलाड़ी फिर से मैदान में और पुलिस जैसा कि हमेशा, अंधेरे में टटोलती हुई नजर आ रही है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह वही इलाका है, जहां जुआं फड़ इस कदर जमे हैं कि आसपास परिंदा भी पर नहीं मार सकता। वजह चारों ओर तैनात उन खास लोगों की चौकसी, मानो देश की सरहदों की सीमा की सुरक्षा में सीआईडी के जवान सिविल ड्रेस में निगरानी करते हैं और जुआं के खिलाड़ि़यों के करोड़ों के दांव पर नजर रखते हैं। यदि किसी आम आदमी को गलती से भी उस रास्ते पर जाना हो, तो उसे खुद पता नहीं चलता कि वह गुजर चुका है या पूछतांछ में पास हो चुका है। इतनी उत्तम व्यवस्था विरले ही किसी सरकारी तंत्र में देखने मिलती है। सूत्र बताते हैं कि देवरा गांव में नदी के ऊपर रेलवे क्रॉसिंग के पश्चिम दिशा में स्थित यह जुआं फड़ सिर्फ स्थानीय खेल नहीं, बल्कि म.प्र., उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ के नामचीन खिलाड़ियों का मिनी इंटरनेशनल टूर्नामेंट बन चुका है। यहां लाखों के दांव और करोड़ों की रकम का खेल खुली हवा में चलता है। कहते हैं, पैसा बोलता है और यहां तो इतना बोल रहा है कि पुलिस की कानों तक कोई आवाज ही नहीं पहुंच रही। स्थानीय लोगों का तंज है कि कोतवाली पुलिस इतनी सतर्क है कि पूरे क्षेत्र में जुआं बंद हो ही नहीं सकता। अगर जुआं चल रहा हो, तो इसका मतलब हुआ कि पुलिस की विशेष रणनीति काम कर रही है। आखिर साधारण जनता समझ भी कैसे सकती है कि पुलिस की चुप्पी, कभी-कभी कार्रवाई से भी ज्यादा प्रभावी होती है। पहले तो खानापूर्ति के लिए कभी-कभार एक-दो छोटे मामले दर्ज कर लिए जाते थे, ताकि कागजों में सक्रियता बनी रहे। लेकिन अब लगता है कि पुलिस ने यह फैसला कर लिया है कि जनता को भ्रमित करने की जरूरत ही नहीं, साफ.-साफ चुप्पी ही काफी है। बताते हैं कि जुआं फड़ के इस खेल में खेलने वालों की किस्मत चमकती है या फिर बर्बाद हो जाते हैं, लेकिन खिलाने वाले को शुद्ध मुनाफा होता है। अगर उसका खर्चा है तो पुलिस प्रशासन और इससे जुड़े लोगों को मैनेज करने में होता है।
जुएं की लत से कई गृहस्थियां हो गई बर्बाद
देवरा में जुआं का खेल इन दिनों पूरी शानों-शौकत से चल रहा है, मानो किसी बड़े आयोजन की तरह रात-दिन दांव पर दांव लगाए जा रहे हों। वहीं दूसरी ओर क्षेत्र की सुरक्षा और कानून व्यवस्था संभालने वाली पुलिस अपनी परंपरागत अदृश्य उपस्थिति को पूरी निष्ठा से निभा रही है। न जाँच, न दबिश बस मौन। जुआ फड़ की खुलेआम गतिविधियों से कई परिवार टूट रहे हैं, युवाओं का भविष्य अंधकार में जा रहा है, पर प्रशासन की आंखें अब भी मूंदे हुई हैं। जनता सवाल पूछते-पूछते थक चुकी है, लेकिन व्यवस्था अपनी जगह इतनी मजबूत दिखाई देती है कि सब देखती भी है, पर मानती कुछ नहीं और कार्रवाई की उम्मीद धुंधली होती जा रही है।
जुआ फड़ की सीमा जैसी पहरेदारी
देवरा के जुआं फड़ की पहरेदारी देख कोई भी भ्रम में पड़ सकता है कि यह किसी देश की सीमा है या जुआरियों का नया मुख्यालय। हर चौराहे, हर मोड़ पर ऐसे गार्ड खड़े मिलते हैं, जिनकी चौकसी असली जवानों को भी शर्मिंदा कर दे। आने-जाने वालों पर ऐसी निगाह रखी जाती है जैसे किसी ने देश की सुरक्षा खतरे में डाल दी हो। जरा सी हलचल हुई नहीं कि मोबाइल पर तुरंत फड़ मुख्यालय में बैठे आकाओं को रिपोर्ट भेज दी जाती है। मजे की बात तो यह है कि इस पूरे इंतजाम पर पुलिस भी कोई आपत्ति जाहिर नहीं करती, जैसे यह सब उनकी जानकारी में नहीं, बल्कि उनकी कुशल रणनीति का हिस्सा हो। कुल मिलाकर, देवरा का यह फड़ कानून से ज्यादा चौकसी और व्यवस्था से ज्यादा हिम्मत दिखा रहा है।
संवाददाता :- आशीष सोनी

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