शासन की समय सीमा बेअसर, आंगनवाड़ी भर्ती पर सवाल
गौरतलब हो कि संचालनालय महिला एवं बाल विकास विभाग, भोपाल द्वारा 19 जून 2025 को जारी विज्ञापन के तहत जिले में 18 आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं 200 आंगनवाड़ी सहायिका पदों की भर्ती की जानी थी। ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया के बाद 4 सितंबर 2025 को अंतिम सूची जारी की गई, लेकिन आज तक न तो दावा-आपत्ति की सुनवाई के लिए शुभ मुहुर्त नही बन पा रहा है। जिससे न ही नियुक्ति प्रक्रिया पूरी हो सकी है। इसी बीच भर्ती प्रक्रिया में दलालों की सक्रियता को लेकर चौंकाने वाले आरोप सामने आ रहे हैं। सूत्रों और अभ्यर्थियों के अनुसार भर्ती से जुड़े कथित दलाल सीधे मेरिट सूची में पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर आने वाले अभ्यर्थियों से संपर्क कर रहे हैं। आरोप है कि उनसे नियुक्ति पक्की कराने का भरोसा दिलाया जा रहा है, जिससे पूरी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो गए हैं। अभ्यर्थियों का कहना है कि दलालों द्वारा यह दावा किया जा रहा है कि उनकी ऊपर तक पकड़ है और जिला स्तर पर बिना उनकी सहमति के कोई नियुक्ति नहीं होगी। सबसे गंभीर बात यह है कि जिन अभ्यर्थियों के नाम मेरिट में सबसे ऊपर हैं, उन्हीं से संपर्क किया जा रहा है, जिससे यह आशंका और गहराती है कि अंतिम सूची और आपत्ति प्रक्रिया की जानकारी अंदर से लीक हो रही है। इस पूरे मामले में महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी डीपीओ की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। जब इस विषय पर उनसे जवाब लेने का प्रयास किया गया, तो उन्होंने या तो स्पष्ट जवाब देने से बचने की कोशिश की या फिर मामले को टालने वाला रवैया अपनाया। दावा-आपत्ति की सुनवाई में हो रही असामान्य देरी, समय-सीमा के बावजूद बैठक न बुलाना और अब दलालों की सक्रियता इन सभी बिंदुओं ने डीपीओ की भूमिका को संदिग्ध बना दिया है। फिलहाल अब सवाल यह है कि महिला एवं बाल विकास विभाग के वरिष्ठ अधिकारी कब इस मामले में संज्ञान लेंगे और क्या सिंगरौली की आंगनवाड़ी भर्ती प्रक्रिया को दलाल-मुक्त और पारदर्शी बनाया जा सकेगा या नहीं।
अभ्यर्थी दफ्तरों का लगा रहे चक्कर
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका पद के लिए ऑनलाईन आवेदन देने एवं अंतिम सूची जारी होने के बाद 7 दिवस के अंदर दावा आपत्ति की सुनवाई कर दो दिवस के अंदर नियुक्ति पत्र जारी करने के निर्देश संचालनालय आईसीडीएस भोपाल से निर्देश था, किंतु जिले के आईसीडीएस डीपीओ उक्त भर्ती प्रक्रिया को लेकर गंभीर नही दिख रहे हैं। हालांकि उनके पास एक नही अनेको बहाने हैं। कभी सीईओ का तबादला, तो कभी अधिकारियों से दावा आपत्ति के लिए तिथि तय न होना इस तरह की बाते दफ्तर के साथ-साथ अभ्यर्थियों से करते रहते हैं। भर्ती प्रक्रिया को अंतिम रूप देने में टालमटोल जहां लोगों के समझ से परे है। वहीं तरह-तरह के आरोप भी लगाए जा रहे हैं। कई अभ्यर्थी परेशान होकर सरकार के सिस्टम को ही कोसते हुये कहना शुरू कर दिये हैं कि फिजुल का डीपीओ दफ्तर का चक्कर लगवाने को मजबूर कर रहे हैं।
7 दिवस के भीतर दावा-आपत्ति की सुनवाई की जानी थी
शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि अंतिम सूची जारी होने के 7 दिवस के भीतर दावा-आपत्ति की सुनवाई और 2 दिवस में नियुक्ति आदेश जारी किए जाएं। लेकिन सिंगरौली में महीनों से यह प्रक्रिया ठप पड़ी है। इसी देरी को दलालों के लिए मौका बताया जा रहा है, जिससे वे अभ्यर्थियों को भ्रमित कर रहे हैं। भर्ती में हो रही इस गड़बड़ी का सीधा असर आंगनवाड़ी केंद्रों के संचालन पर भी पड़ रहा है। जिले के कई केंद्रों में कार्यकर्ता और सहायिका के पद खाली होने से पोषण आहार वितरण, टीकाकरण, गर्भवती एवं धात्री महिलाओं की निगरानी और बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा जैसी योजनाएं प्रभावित हो रही हैं। अभ्यर्थियों ने मांग की है कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए, दलालों पर सख्त कार्रवाई हो और जिला कार्यक्रम अधिकारी की भूमिका की भी उच्च स्तर पर समीक्षा की जाए। यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो अभ्यर्थियों द्वारा कलेक्टर कार्यालय, संभागीय कार्यालय और राज्य स्तर तक शिकायत करने की तैयारी की जा रही है।
संवाददाता :- आशीष सोनी

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