देवसर बाजार के समदा में शराब दुकान बनी अशांति का केंद, रिहायशी इलाके में खुलेआम हंगामा, आबकारी और पुलिस की भूमिका पर सवाल
बीती रात शराब दुकान के बाहर करीब दो दर्जन से अधिक लोग एकत्रित हो गए, जहां शराब के नशे में धुत लोगों के बीच जमकर कहा-सुनी, गाली-गलौज और तूतू-मैंमैं की स्थिति निर्मित हो गई। देर रात तक चले इस हंगामे से पूरे क्षेत्र में अफरा-तफरी और भय का माहौल बन गया। सबसे चिंताजनक बात यह है कि यह शराब दुकान चारों ओर से घनी आबादी और रिहायशी बस्ती के बीच स्थित हैं। क्षेत्रवासियों का कहना है कि यहां आए दिन शराबियों का जमवाड़ा लगता है, जिससे शांति व्यवस्था लगातार भंग होती रहती है। खासकर बच्चों के पठन-पाठन कार्य पर इसका सीधा असर पड़ रहा है। पढ़ाई के समय गाली-गलौज और शोर-शराबा बच्चों के मानसिक विकास पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। वहीं क्षेत्रवासियों ने मांग की है कि शराब दुकान को रिहायशी इलाके से तत्काल हटाया जाए, दुकान के बाहर शराब पीने पर सख्त प्रतिबंध लगाया जाए, नियमित पुलिस गश्त और निगरानी सुनिश्चित की जाए, अब देखना यह है कि प्रशासन इस गंभीर समस्या पर संज्ञान लेता है या फिर समदा क्षेत्र के लोग इसी तरह असुरक्षा और अशांति के बीच जीने को मजबूर रहेंगे।
आबकारी विभाग ने कैसे दे दिया रिहायशी क्षेत्र में लाइसेंस
सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि घनी आबादी वाले रिहायशी क्षेत्र में शराब दुकान संचालन का लाइसेंस आखिर किस आधार पर दिया गया। आबकारी नियमों के तहत ऐसे क्षेत्रों में शराब दुकान खोलना विवादास्पद माना जाता है, इसके बावजूद समदा क्षेत्र में लाइसेंस जारी कर दिया गया, जो समझ से परे है। स्थानीय लोगों में आबकारी विभाग के प्रति भारी असंतोष व्याप्त है, वहीं बार-बार होने वाली घटनाओं के बावजूद पुलिस की निष्क्रियता भी सवालों के घेरे में है। न तो स्थायी पुलिस निगरानी है और न ही शराबियों पर सख्त कार्रवाई।
संवाददाता :- आशीष सोनी

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