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सुभाष की दूरदृष्टि

 

सुभाष की दूरदृष्टि

नेताजी सुभाष चंद्र बोस उनका दृष्टिकोण उनको अन्य नेताओं से अलग बनाता था| समय से आगे देखने वाली शख्सियत थे| योजनाएं ऐसी की सबको फर्क हो गजब के योजनाकार थे वह हमेशा एक भारत का सपना देखते थे उन्होंने अपने दृष्टिकोण से पराधीनता के अलावा इस देश के इस देश में ऐसे कौन-कौन से मुद्दे हैं| जो भारतवासियों को परेशान करते हैं इन मुद्दों को देखते हुए उन्होंने हमेशा कहा कि इन मुद्दों को सुलझाए बिना देश ताकतवर कैसे बन सकता है |

                आज देश में सुभाष चंद्र बोस की 120बी. जन्म वर्षगांठ को देश पराक्रम दिवस के रूप में मना रहा है नेताजी देश के अकेले ऐसे सेनानी थे जिनके साहस सूझबूझ और असंभव को संभव करने की दृढ़ इच्छाशक्ति से पूरा देश प्रेरणा ले रहा है|

               उनकी दूरदृष्टि से हिंदुस्तान आजाद होने से पहले ही 30 के दशक में अपने लेख में लिखा कि आने वाले समय में अंग्रेज भारत को कमजोर करके जाएंगे, उन्होंने यह भी लिखा कि अंग्रेज जब किसी देश में विदा लेते हैं तो उसे तोड़ते हैं कमजोर करते हैं इससे संबंधित देश के नामों का भी उल्लेख किया है| जिसमें उन्होंने आयरलैंड. मिस्र, इराक तक की मिसाल प्रस्तुत की हमारे देश के सामने तत्कालीन मुद्दों के बारे में जाने तो देश तब भी अमीरी, गरीबी, संप्रदाय धर्म, भाषा क्षेत्र  और औद्योगीकरण जैसे मुद्दों पर बटा हुआ था| महिलाओं और पुरुषों के बीच शिक्षा बाल विवाह आदि को लेकर रूढ़िवादी विचारधारा हावी थी |

           उन्होंने 1938 में कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर हरिपुरा में जो अध्यक्षीय भाषण दिया उसमें उन्होंने जरूरी पहलुओं पर उनके द्वारा दृष्टिकोण जाहिर करता है| उन्होंने संविधान समाजवाद राष्ट्रवाद विज्ञान हिंदू-मुस्लिम संबंध महिलाओं की भूमिका एवं यूरोपीय राजनीति जैसे विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार रखें वे मजबूत केंद्र सरकार चाहते थे| जिसमें भारत एकीकृत हो सके आजाद भारत के लिए सुभाष चंद्र बोस ही ऐसे नेता थे जिन्होंने दीर्घकालीन कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की उनके विचार में प्रमुख समस्या बढ़ती हुई आबादी थी |सबसे पहले जिसका निदान बेहद जरूरी था शायद भारत के पहले नेता ही थे| जिन्होंने जनसंख्या नियंत्रण की नीति बनाई राष्ट्र के पुनर्निर्माण में सवाल से जुड़ी सबसे गंभीर समस्या निर्धनता को समाप्त करना था यह उस समय की सबसे बड़ी चुनौती थी|

उन्होंने अपने एक भाषण में कहा कि हमें जमीदारी व्यवस्था खत्म कर देनी चाहिए किसानों को ऋण के बोझ से छुटकारा दिलाया जाना चाहिए ग्रामीणों को सस्ते ब्याज दर पर ऋण दिलाने हेतु व्यवस्था की जाए|

ग्रामीणों को सस्ते ब्याज दर पर ऋण दिलाने हेतु व्यवस्था की जानी चाहिए आर्थिक समस्याओं के निदान में कृषि के क्षेत्र में सुधार मात्र पर्याप्त नहीं है उन्होंने कहा कि जब धरती पर गरीबी भुखमरी और बीमारी बढ़ रही है |तब एक दशक में 30 करोड़ पहुंच चुकी आबादी को हम संभाल नहीं सकते यदि आबादी इस तरह बढ़ती रही तो हमारी बनाई हुई योजनाओं का विफल होना लाजमी है इसलिए हमें पहले से ही मौजूद आबादी को शिक्षा रोटी कपड़ा और प्रबंध नहीं कर लेते आबादी को रोकना जरूरी है नेताजी अंतरराष्ट्रीय मामलों को शायद बेहतर तरीके से समझते थे उन्होंने कहा कि मैं अपने पड़ोसियों देश जैसे नेपाल, चीन, वर्मा, मलया ईरान और सीलोन के साथ अंतरंग सांस्कृतिक संबंध बनाने की इच्छा पर भी जोर डालूंगा|अपने भाषणों में हमेशा कहते थे कि आजाद भारत विश्व राजनीति में एक ऊर्जावान और ताकतवर कारक बनेगा|                                                                                                                   

  लेख - हेमंत लड़ियां,  

सागर मध्य प्रदेश,

 संपर्क सूत्र- 97130 61163    

दिनांक- 23 जनवरी 2023

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