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मध्यप्रदेश में नंगे पैरों की राजनीति, क्या जूते चप्पल छोड़ने से आएगा बदलाव

मध्यप्रदेश में नंगे पैरों की राजनीति, क्या जूते चप्पल छोड़ने  से आएगा बदलाव

आध्यात्मिक दृष्टि से हर धर्म में त्याग का महत्व बताया जाता है। मध्यप्रदेश के चुनावी वर्ष में कुछ नेता जूते चप्पल त्यागकर जनता के लिए कार्य करते दिखाई पड़ रहे हैं। भोपाल जिला पंचायत उपाध्यक्ष एवं जिला पंचायत वार्ड एक से मोहन सिंह जाट नंगे पैरों की राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने प्रण किया था कि चुनाव जीतने के बाद जब तक वे अपने क्षेत्र के हर परिवारों में  नहीं पहुंच जाएंगे, तब तक जूते-चप्पल नहीं पहनेंगे। नंगे पैरों की राजनीति हमें पहले भी देखने मिल चुकी है जब केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक मंत्री प्रद्यूम्न सिंह तोमर ने अपनी विधानसभा क्षेत्र में सड़क बनने की वजह से जूते-प्पल त्याग दिए थे। सीहोर जिले के आष्टा तहसील के नगर मंडल अध्यक्ष अतुल शर्मा भी नंगे पैर ही रहते हैं। वैसे ही जिला उपाध्यक्ष मोहन सिंह जाट ने प्रण किया था कि चुनाव जीतने के बाद जब तक वे अपने क्षेत्र के दस हजार परिवारों से नहीं मिल लेंगे और उनकी समस्याओं का निराकरण नहीं कर देंगे,तब तक वे जूते-चप्पल नहीं पहनेंगे। मोहन जाट ने यह संकल्प पूरा कर लिया है। दस हजार परिवारों से मिलने के पश्चात मोहन जाट अब जूते-चप्पल पहनने की शुरुआत करेंगे। चाहे इसे एक पब्लिसिटी स्टंट कहा जाए या संकल्प लेने का तरीका। एक जनप्रतिनिधि द्वारा ऐसा कार्य जन आकर्षण का केंद्र जरूर बनता है।

संवाददाता: पुष्पेंद्र सिंह

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