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पंचायती राज दिवस पर विशेष खबर प्रशासन की योजनाओं को पलीता लगा रहे पंचायतकर्मी पानी की एक एक बूंद के प्यासे ग्रामीण विधायक, सांसद, जिला एवं जनपद सदस्य चुनाव के बाद नहीं पहॅुंचे गांव


 पंचायती राज दिवस पर विशेष खबर

प्रशासन की योजनाओं को पलीता लगा रहे पंचायतकर्मी

पानी की एक एक बूंद के प्यासे ग्रामीण 

विधायक, सांसद, जिला एवं जनपद सदस्य चुनाव के बाद नहीं पहॅुंचे गांव

हटा/- भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने व गांवों और किसानों को स्वाबलंबी बनाने के लिए केन्द्र सरकार अनेकों योजनाएंे संचालित कर रही हैं। आजादी के अमृत महोत्सव के अंग के रूप में सरकार पंचायती राज दिवस को मना रही है। मध्यप्रदेश के रीवा जिले में इस राष्ट्रीय समारोह में देश के माननीय प्रधानमंत्री महोदय जी मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हो रहे हैं। 

यह दिवस एकीकृत ईग्राम स्वराज एवं पंचायतों के डिजीटल क्रांति का प्रोत्साहित करेगा। लेकिन इन सबसे दूर देश के अनेकों ग्राम ऐसे हैं जो डिजीटल क्रांति से अछूते नजर आ रहे हैं। जहॉं पर ग्राम पंचायत स्तर पर शासन प्रशासन की कोई भी योजनाऐं सुचारू नहीं है। एक तरफ सरकार आजादी अमृत महोत्सव मना रही है तो दूसरी ओर अनेकों गांव आजादी के बाद से आज तक शासन से मिलने वाली सुविधाओं के इंतजार में हैं। 

हम बात कर रहे हैं दमोह जिले की जनपद हटा के ग्राम पंचायत चौरईया की जहॉं पर आज भी ग्रामीण सुख सुविधाओं की आश लगाये बैठे हैैं। चौरईया पंचायत में आने वाले ग्राम कलकुआ , चौरईया और पाटन जो कि जंगलो से घिरा हुआ है। चारों तरफ पहाड़ ही पहाड़ और जंगल दिखाई देते है। इन सभी ग्राम के ग्रामीण सड़क पानी बिजली, शिक्षा जैसी अनेकों समस्याओं से जूझ रहे हैं। ग्रामीणों को गांव से आने जाने के लिए आज तक सड़क नसीब नही हो पाई है। ग्रामीण आज भी आने वाली समस्याओं के निदान के लिए जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासन की योजनाओं की राह देख रहे हैं।

पाटन गांव मड़ियादौ से लगभग 18 किमी. दूर जंगली क्षेत्र में स्थित है, जो कि अलग अलग यादव टोला, शिकरा टोला और आदिवासी टोला में बंटा हुआ है। तीनों टोलों में न तो पक्की सड़क या सीसी. सडक की कोई वयवस्था है और न ही पीने के लिए पानी की व्यवस्था है। यादव टोला में प्राथमिक स्कूल के बाजू से 2 हैण्डपंप लगे हुए है जो कि पूर्णरूप से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, ग्रामीणों ने बताया कि ये हैण्डपंप लगभग 4 साल से खराब पड़े हुए है, अनेकोंवार पंचायतकर्मियों से पेयजल व्यवस्था के लिए शिकायत भी की लेकिन कोई सुनवाई नही हुई।

ग्राम की महिलाओं ने बताया कि पानी की उचित व्यवस्था नहीं होने से उन्हें 3 किमी दूर जाकर कुएं से और नदी नालों से पानी लाना पड़ता है जिसका उपयोग घरेलू कार्यों के साथ पीने लिए भी किया जाता है, पानी गंदा, कीड़े मकूड़ों व मिट्टी युक्त रहता है फिर भी ग्रामीण अपनी प्यास बुझाने के लिए गंदे पानी का उपयोग करते हैं।

ग्रामीणों की माने तो गांव के सभी लोग कैद जैसा महसूस करते हैं, ग्रामीणों को गांव से बाहन आने-जाने के लिए सडक तक नहीं है, बाहर बने पगडंडी के सहारे आवागमन करने को मजबूर हैं। यादव टोला जाने के लिए बीच में बने नाले से होकर गुजरना पड़ता है जो कि आज की स्थिति में पूर्णरूप से क्षतिग्रस्त हो चुका है। बरसात में नाले में पानी आ जाने के कारण रास्ता बंद हो जाता है और ग्रामीणों को अपने घरों में कैदी बनकर रहना मजबूर हो जाता है। ग्रामीणों ने बताया कि पंचायत द्वारा बाढ़ नियंत्रण दीवाल आज तक नहीं बनाई गई, पास में पहाड़ी नाला होने के कारण बारिश में नाले का तेज पानी ग्राम बस्ती में प्रवेश करने लगता है। जिससे हम सभी ग्रामीणों को पूरे परिवार के सहित पहाड़ी पर स्थित दो कमरों में जाकर रहना पड़ता है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में यदि कोई डिलीवरी हो या कोई बीमार पड़ जाता है खाट के सहारे उन्हे मेन सड़क तक ले जाना पड़ता है। ग्राम कलकुआ में आंगनवाड़ी भवन लगभग 3 साल से अधूरा पीडीए हुआ है और सीसी सड़क निर्माण कार्य जो हुआ था उसमें घटिया समग्र का उपयोग होने से गिट्टी बाहर निकल कर आ गयी है लेकिन इनके सुधार के लिए कोई अधिकारी कर्मचारी सुध नही ले रहा।

ग्रामीणों की माने तो चौरईया पंचायत अंतर्गत आने वाले ग्राम पाटन में चुनाव के समय तो सभी जनप्रतिनिधियों का आना जाना रहा लेकिन चुनाव होते ही विधानसभा क्षेत्र के विधायक, सांसद, जिला पंचायत सदस्य, जनपद पंचायत सदस्य कोई नहीं पहॅंुचा, यहॉं तक कि ग्राम पंचायत के सरपंच व सचिव का चेहरा तो किसी भी ग्रामीण ने आज तक नही देखा। 

आखिरकार कब तक प्रशासन और शासन आजादी का अमृत महोत्सव मनाता रहेगा, लेकिन आज भी अनेकों ऐसे गांव है जो आजादी के बाद भी आजाद नहीं हुए है, उनके ग्रांमों में सरकारी योजनाओं का विकास दूर-दूर तक नहीं है। यदि कोई ग्रामीण ऐसे मुद्दों पर बात करता है तो उसकी आवाज को डरा धमका कर दबा दिया जाता है और फिर कागजी कार्यवाही मंें पूरा विकास कर दिया जाता है। फिर दोबारा किसी ग्रामीण की हिम्मत भी नही होती है कि वो ऐसे मुद्दों पर चर्चा करें। शीघ्र ही शासन प्रशासन को दमोह जिले के सबसे अंतिम छोर पर बसे ग्राम पाटन जाकर प्रशासन की योजनाओं को सुचारू करवाना चाहिए ताकि हर एक ग्रामीण योजनाओं का लाभ उठा सके।

संवाददाता-राहुल नामदेव 

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