दिव्यांग पति पत्नि लाभ पाने के लिए शासकीय कार्यालय के लगा रहे चक्कर भटक रहे दर दर
सागर:दिव्यांगों की मदद के लिए सरकार भले कई योजनाएं चलाने का दावा कर रही है, लेकिन इनका लाभ उन तक कितना पहुंच रहा है, इस पर गौर करने वाला कोई नहीं है। दिव्यांगों को राहत देने के लिए पेंशन, कृत्रिम अंग वितरण करने के साथ कई योजनाएं चला रही हैं। मगर इनका लाभ जरूरतमंदों को नहीं मिल पा रहा
दिव्यांगों को प्रोत्साहित करने के लिए धनराशि निजी भूमि पर दुकान निर्माण के लिए दी जाती है। जिन दिव्यांग के पास अपनी भूमि नहीं है, उन्हें दुकान संचालन के लिए 10 हजार रुपये दिए जाते हैं।दिव्यांग को सौ फीसदी से लेकर पचास फीसदी तक छूट प्रदान की भी व्यवस्था है। साथ ही दिव्यांगों के उपकरण वितरण व पेंशन सहित कई सुविधाएं हैं।
दिव्यांगजनों को विभागीय सुविधाएं देने को समय-समय पर कैंप भी लगाए जा रहे हैं। पेंशन के लिए आवेदन प्राप्त कर उन्हें ऑनलाइन फीड कराया जाता है। ताकि अधिक से अधिक दिव्यांगों को शासन की योजनाओं का लाभ दिया जाए।-
लेकिन सागर जिले के बंडा विधानसभा के एक ग्राम निमोन में जहाँ पति पत्नि दोनों ही 80% दिव्यांग है उनकी खबर लेने बाला ना सरपंच है ना सचिव और नाही बंडा विधायक | सबसे विनय करने के बाद भी जब योजनाओ का लाभ नहीं मिला तो दोनों पति पत्नि इस आस में कलेक्टर के दरवार में अपनी याचना लेकर आये कि हमें भी कुछ योजनाओं का लाभ मिल जाए
दिव्यांग पप्पू व भूरी बाई ने कलेक्टर से याचना कि है कि हम दोनों दिव्यांग है हमारे तीन बच्चे है हमारी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है बीड़ी बनाककर अपना पालन पोषण करते है हमें ना तो पी एम आवास का लाभ मिला है नाही कोई रोजगार नाही कोई सहायता राशि दी जाती है केवल दिव्यांग पेंशन के 600-600 ₹ मिलते है इस महगाई में कैसे घर चलाये समझ नहीं आ रहा | एक टूटी ट्राई सायकल दी गईं थी अब वह भी पूरी टूट गईं है उन्होंने कलेक्टर महोदय से इलेक्ट्रिक ट्राई सायकल मांगी है
ऐसे दिव्यांग की शासन प्रशासन के साथ सहयोगी समाज सेवी संस्थाएं भी इनका सहयोग जरूर करें
संवाददाता हेमंत लड़िया
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