शिक्षा से वंचित बालिकाओं को एजुकेट गर्ल्स के माध्यम से शिक्षा का महत्त्व बताते हुए ।
सेंधवा | युवा दिवस विशेष: एजुकेट गर्ल्स संस्था, शिक्षा विभाग और 18 हजार युवा स्वयंसेवकों की मदद से बड़वानी जिले के साथ-साथ 4 राज्यों के 21 हजार गांवों में 16 लाख से अधिक बालिकाओं को शिक्षा से जोड़ने पर कर रही काम
बालिका शिक्षा के लिए काम करने वाली संस्था एजुकेट गर्ल्स के भी हजारों युवा, शिक्षित और उत्साही स्वयंसेवक पिछले 15 सालों से अपने गांवों में शिक्षा के संदेश के प्रसार के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। ये संस्था देश के उन 4 राज्यों-राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार के 21 हजार से अधिक गांवों में काम करती है, जहां देश की करीब 40% आउट ऑफ स्कूल गर्ल यानी शिक्षा से वंचित बालिकाएं हैं।
संस्था के 18 हजार से अधिक स्वयंसेवक संस्था द्वारा उपलब्ध कराई गई ट्रेनिंग और टेक्नोलॉजी की मदद से शिक्षा से वंचित बालिकाओं की पहचान, उनका सर्वे, घर-घर जाकर इन बच्चियों के अभिभावकों को जागरूक करने और इन बालिकाओं के स्कूल में नामांकन कराने को लेकर जागरूक करने और उनका आधार बनवाने में मदद करने आदि जैसे काम करते हैं।
पिछले 15 सालों में इन हजारों स्वयंसेवकों की मदद से एजुकेट गर्ल्स ने सरकार के साथ सहयोग में काम करते हुए समुदायों को बालिका शिक्षा के लिए जागरूक करने में कामयाबी पाई है। इन 15 सालों में संस्था अपने स्वयंसेवकों की इस बड़ी फौज के सहयोग से ही करीब 14 लाख से अधिक बच्चियों को शिक्षा से जोड़ने के लिए उनके अभिभावकों को जागरूक करने में सफल रही है।
एजुकेट गर्ल्स के साथ एक दशक से ज्यादा समय बिता चुके संस्था के एसोसिएट डायरेक्टर फील्ड ऑपरेशंस विक्रम सिंह सोलंकी का कहना है, ‘’ये संस्था अगर लाखों की संख्या में बालिकाओं को स्कूलों से जोड़ने के लिए प्रोत्साहित कर पाई तो इसकी सबसे प्रमुख वजह वे हजारों युवा स्वयंसेवक हैं, जिन्होंने नि:स्वार्थ सेवा भाव से अपने गांव में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए दिन-रात मेहनत की है। हजारों युवा स्वयंसेवकों ने अपने गांव को बदलने का जो जज्बा दिखाया है, उसी से असंभव सा लगने वाला ये लक्ष्य हासिल हो पाया है।’’
इन युवाओं के प्रयासों से उनके आसपास काफी बदलाव आया है। लेकिन अब भी इन स्वयंसेवकों का काम पूरा नहीं हुआ है, क्योंकि देश में लाखों की संख्या में बच्चियां अब भी शिक्षा से वंचित हैं। देश की हर लड़की को शिक्षित बनाने के सपने को पूरा करने के लिए बहुत काम किया जाना बाकी है, तो इन युवा स्वयंसेवकों का सफर जारी है।
संवाददाता अब्बास भुगवाडे
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