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जिंदगी का स्वागत किया जाए .....

 


    जीने की राह


बहुत कुछ पास होने पर भी

 कुछ नहीं पाने की कुंठा में 

लोगों को आत्महत्या करते देखा है।


 परिस्थिति स्वीकार न कर 

शिकायतों की फेहरिस्त हाथ में लेकर

 लोगों को पल-पल घुटते देखा है।


 लक्ष्य पाने का जुनून दिल में रखकर

 और ना मिलने पर ईर्ष्या- द्वेष की आग में            

 लोगों को क्षण-क्षण जलते देखा है।


 बेशुमार दौलत कमा कर 

फिर उसे सहेजे रखने की चिंता में 

लोगों को रात-रात भर जगते देखा है।


 किसी को बेइंतहा चाह कर

 फिर बेवफाई के शक में 

उसी को बेरहमी से मारते और मरते देखा है।


 उधर एक कैंसर पीड़ित को

 एक-एक सांस के लिए 

 मौत से लड़ते देखा है।


 देखा है उसके रोम-रोम को

 दर्द से तड़पते 

आंसुओं को अंदर ही अंदर पीते 

अपने बिखरे साहस को बटोरते

और दर्द सहने के लिए कमर कसते                    

अपने परिवार की चिंता में घुलते देखा है।


 और देखा है

 दिल के दर्द को दबाकर

 सब को खुश रखने के लिए हंसते

 अपनी जिम्मेदारियों को निभाने के लिए                  

 ईश्वर से एक-एक दिन की मोहलत मांगते                                 

जीने के लिए तरसते 

जीने की जिद करते।


 जीवन कितना अनमोल है 

अब समझ आया है 

जब उसे एक-एक दिन को 

एक युग समझ जीते देखा है 


बहुत आसान है परिस्थितियों से हार कर                            

खुद को खत्म करना

और बहुत मुश्किल है निश्चित मौत से                                 

 जिंदगी चुराना।


 सार यही है

 जिंदगी का स्वागत किया जाए 

 परेशानियां आती है तो आएं

 डटकर सामना किया जाए 

बहुमूल्य है यह जीवन 

और बहुमूल्य ही है हम 

रो-रोकर न इसे खोया जाए 

सुख- दुख दो पहलू है जीवन के

 हर हाल में खुश रहा जाए

 जिंदगी नहीं मिलती है दुबारा

 जी भर कर इसे जिया जाए।


 लेखिका 
  कंचन 

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