हरियाली तीज


हरी चुनरियां ओढ़ आईं 

श्रावण मास शुक्ल पक्ष की तृतीय आई।


हरियाली तीज पावन त्यौहार। 

सुहागिन स्त्रियां करती है, सोलह श्रृंगार।


पैरों में पाज़ेब,महावर, माथे बिंदी सजती संवरती।

मांग में सिन्दूर विराजे, आंखो में काजल, प्रतिभा गीत गाती।


निर्जला व्रत सुहागिन स्त्रियां करती।

पति के लिए शिव पार्वती  का पूजन करती।


हरी हरी चूड़ियां पहनती, साड़ी पहनती मन पसन्द , मंद मंद शर्माती।

साजन संग हर्ष उल्लास होती, सावन की मस्ती छाती।


मधु सावन गुलजार सा हुआ।

रोम रोम दिलदार हुआ।


करूं मैं शिव पार्वती से विनती, सुहागिन रहुं आशीर्वाद दो मुझको।

 दीर्घायु हो साजन, वरदान देना ऐसा मुझको।


बरसे सावन भीगे तन मन।

मेंहदी रंग उठी चौखी, चूड़ी करती खन खन।


हरियाली तीज पावन त्यौहार।

मन में छाई खुशियां अपार।


लेखिका 

सुजाता चौधरी

इंदौर मध्यप्रदेश