""""""पपीहा राह जोहता"""""""
भरी महफ़िल भी खाली थी न आये जब तलक तुम
बहुत ढूंढा मगर तुम थे कहीं गुम
विरह वेहद चुभन चुभने लगी जब
पपीहा राह जोहता नीर की अब
खता हमसे हुई क्या ये बताओ
मुहब्बत साथ में गुस्सा दिखाओ
अगर हम रूठते है तो मनाओ
लगी कोई बात दिल पे तो बताओ
मनाने के बहाने ही अगर हम पास आये
हमें उम्मीद है बो मान जाये
न बोले तो ये रिश्ते टूटते हैं
कहां अपनो से अपने रूठते है
रचनाकार
-पूजा शिवा विश्वकर्मा "बिट्टू"
बरेली,रायसेन (मध्य प्रदेश)
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