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गौमाता की करुण पुकार ...

 


गौमाता की करुण पुकार 


गौमाता की करुण पुकार , 

अब बंद करो मेरी जयकार।। 


ना जाने कितने वर्षों से गौ हत्या बंद हो/गौमाता की जय हो के नारों के बीच में कटती आ रही है गाय जनता को केवल आश दिखाई जाती है-


भारत में लाखों की संख्या में होंगे हिंदुत्ववादी और गौरक्षा के संगठन जैसे- आरएसएस/ विश्व हिंदूपरिषद/बजरंग दल/करणीसेना अन्य कई हिन्दू संगठन - 

भारत में आज सभी जानते हैं यह बात बताने वाली नहीं है परंतु फिर भी बताने की जरूरत पड़ रही है आज भारत में अनेक ऐसे बड़े-बड़े धार्मिक /सनातनी विचारधारा और गौरक्षा से संबंधित संगठन हैं जो केवल सत्यसनातनधर्म की रक्षा के लिए हिंदुओं की रक्षा के लिए गठित हैं तो 

क्या गाय की रक्षा करना धर्म नहीं है ❓ 

गाय की रक्षा सनातन धर्म की रक्षा नहीं है❓ 

गाय की रक्षा हिंदुओं की रक्षा नहीं है❓

गाय की रक्षा मठ मंदिरों की रक्षा नहीं है❓

इन संगठनों में आज इतनी बड़ी शक्ति है यह चाहलें तो एक दिन या कुछ घंटों में ही गाय राष्ट्रमाता बन सकती है गाय की हत्या पर कठोर कानून बन सकते हैं, परंतु पता नहीं ऐसे क्या गुप्त कारण हैं जो जनता के सामने नहीं आते और आज भी हमारी गाय दर-दर भटक रही है मारी-मारी फिर रही हैं कहीं कहीं तो गौवंश को मौत भी नसीब में नहीं है आजतक केवल रोज बड़े-बड़े मंचों और संगठनों के माध्यम से गौमाता की जय हो किनारे लगाए जा रहे हैं और कुछ नहीं❓


हजारों लाखों की संख्या में भारत में बड़े-बड़े धनबल से समपन्न धर्माचार्य/ कथावाचक/शास्त्री और साधुसंत गण हैं - 

भारत में केवल धर्माचार्य कथा वाचक साधु संतगण ही इतनी जनसंख्या में है कि केवल यही लोग एक हो जाएं तो कुछ ही घंटों में गाय राष्ट्रमाता बन सकती है , भारत के तमाम धर्माचार्य साधु संत गण साथ ही इनके शिष्यगण जो समय समय पर इनके आदेश निर्देश का पालन करते रहते हैं जो लखपति से लेकर करोड़पति/ अरबपति भी हो सकतें हैं , इन्हें एक होने में कितना समय लगेगा यह लोग चाहलें तो कुछ घंटों में ही गाय की इस दयनीय दुर्दशा में सुधार हो सकतें हैं करोड़ों की संख्या में लोग एक दिन में एकत्रित हो सकते हैं परंतु केवल जयकारो में हमारी गाय माता है अन्यथा सारी परिस्थितियों हम सभी के सामने हैं।

भारत में लाखों की संख्या में अनेक जगह स्थित हैं मठ/ मंदिर /आश्रम और धार्मिक संस्थान इत्यादि - भारत में जितने भी मठ, मंदिर आश्रम संस्थान इत्यादि हैं सभी के पास करोड़ों अरबों रुपयों की चल-अचल संपत्तियां होंगी , यह केवल धर्म के लिए संचालित हैं,धर्म रक्षा ही इनका धर्म है इनके पास भूमि , आवास , वाहन, सोना, चांदी, जेवरात मिलाकर अरबों खरबों की संपत्तियां हैं और इनके लिए गौ हत्या बंद करना कहाँ से नामुमकिन है❓


भारत में सबसे मुख्य और बड़ी बात सब जानते हैं और मानते हैं कि भारत में 51 शक्तिपीठ हैं- 

भारत में 51 शक्तिपीठों में निश्चित तौर पर पुजारी से लेकर कर्मचारी कई हजार होंगे और इन 51 शक्तिपीठों के न जाने कितने लाखों करोड़ों भक्त होंगे, सभी 51 पीठों में प्रतिदिन गौ माता की जयकार होती है गौमाता के दूध , दही , घी से ईश्वर की सेवा की जाती होगी परंतु जिस गौ माता के दूध से मंदिरों में ईश्वर की सेवा की जा रही है वह माता ना जाने आज भी क्यों दर-दर भटक रही है, क्या यह सारे 51 शक्तिपीठों के पुजारी पंडित कर्मचारी भक्त एक नहीं हो सकते जो गाय को राष्ट्रमाता घोषित करादें। या फिर गौहत्या बंद हो और गौ माता की जयकार केवल एक जनता के बीच छलावा हो रहा है।


भारत की चार दिशाओं में धर्म रक्षा के हितार्थ चारों पीठों में सनातनधर्म के प्रमुखधर्माचार्य जगतगुरु शंकराचार्य विराजमान है- 

यह हमारी सनातन परंपरा के प्रमुख धर्माचार्य हैं जो कि जगतगुरु शंकराचार्य के रूप में भारत की चारों दिशाओं में चारों पीठों में पीठाधीश्वर के रूप विराजमान हैं, आज शंकराचार्य परंपरा को मानने वाले और शंकराचार्य जी को गुरु स्वरूप में स्वीकारने वाले ना जाने भारत में लाखों करोड़ों लोग होंगे , शंकराचार्य जी से दीक्षित शिष्य होंगे जो लखपति/करोड़पति भी हैं जो समय-समय पर इनके आदेश निर्देशों का पालन करते रहते हैं आज वर्तमान में शंकराचार्य आचार्यों के पास भी धन बल की कमी नहीं हैं आज इनके पास भी लाखों की संख्या में शिष्यगण हैं साथ में वाहन हैं, भूमि है , धन है सोना- चांदी है, न जाने कितनी चल और अचल संपत्ति हैं फिर भी इनके प्रयासों में सफलता क्यों नहीं❓

भारत में हजारों लाखों मठ मंदिर आश्रम धार्मिक संस्थान संगठन होने का क्या लाभ जब हमारी एक गौ माता को सभी मिलकर राष्ट्रमाता घोषित नहीं कर पा रहे हैं। इनके सामने ही गाय गलियों में मारी मारी फिर रही है, क्या हमारे वेद पुराण हमारे ईश्वर हमें यह कह रहे हैं कि पहले आप बड़े-बड़े मठ मंदिर बनवाओ हमें स्थापित करो। आश्रम खुलवाओ, महल बनाओ, महंगी महंगी कारों में दिनरात घूमते रहो । गाय राष्ट्रमाता घोषित हो या ना हो प्रतिदिन जयकार तो हमारी लग ही रही है हम सदैव जयकार लगाते रहेंगे, और लोग समझेंगे कि यही गाय की रक्षा करने वाले हैं जो गाय की जयकार लगाते हैं गौ हत्या बंद करने की बात करते हैं, आप लोग चाहें ले तो एक दिन में गाय राष्ट्रमाता घोषित हो सकती है और नहीं तो जैसा चल रहा है चलता रहेगा अंततः गाय एक मूक पशु की भांति कटती रहेगी वह क्या कहने वाली है....।


ब्रह्मलीन द्विपीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज ने अपनी 99 वर्ष की आयु की आखिरी सांस तक गौहत्या बंद कराने के प्रयास जारी रखे- 

हमारे भारत के महान क्रांतिकारी संत दो-दो पीठों के पीठाधीश्वर रहे आपके द्वारा हजारों प्रयास किए गए गौ हत्या को बंद कराने में ,एक समय में आप ब्रह्मलीन हो गए , यह बहुत विचारणीय बात है कि हमारे महाराज श्री ने 99वर्षों की आयु में कई वर्षों तक धर्माचार्य के रूप में समाजहित, देशहित और धर्महित में कार्य करते रहे जिन्होंने हजारों बार प्रयास किया कि गौ हत्या बंद हो जाए गौमाता राष्ट्रमाता घोषित हो जाए , महाराज श्री के इन प्रयासों में न जाने कितनी बार शासन-प्रसाशन में उलटफेर हुआ परंतु इतने वर्षों तक हमें कुछ नहीं मिला केवल गोहत्या बंद हो और जयकार के नारों के अलावा। क्या हमारे इन प्रयासों में कभी पूर्ण विराम लगेगा कि भारत में गौ हत्या बंद हो जाएगी और हमारा गोवंश सुरक्षित और सकुशल हो जाए।।


भारत में हजारों लाखों की संख्या में संचालित हैं गौशालाएं- 

आज भारत में लाखों की संख्या में गौशालाएं संचालित हो रही हैं शासकीय और अर्धशासकीय भी हैं और निजी भी हो सकती हैं, परंतु फिर भी न जाने कितनी गाय दर-दर बेसहारा ,लाचार बीमार, एक्सीडेंट से ग्रसित सड़कों पर घूम रही हैं, ना बैठने को उन्हें जगह है ना पीने के लिए पर्याप्त पानी, ना खाने के लिए उन्हें चारा नसीब है।


सरकारें भी आज इनके तरफ ठीक से ध्यान नहीं दे रही हैं - 

बड़े-बड़े पर्यटन स्थल बनाए जा रहे हैं , तीर्थों का जीर्णोद्धार हो रहा है, बड़े-बड़े कॉरिडोर बनाए जा रहे हैं परंतु गाय की ठीक से सुध लेने के लिए कोई आगे नहीं आ रहा है, शासकीय गौशालाएं बनाई गई हैं परंतु उनमें भी ठीक से व्यवस्थाओं नहीं है। 


आजकल वर्तमान में बड़ी-बड़ी राजनीतिकपार्टियों में भी गौमाता की जय और गौ हत्या बंद के नारे लगाए जाने लगे हैं - 

आजकल देखने को मिल रहा है राजनीतिक पार्टियों में कार्यक्रमों में भी गौमाता की जय और गौ हत्या बंद के नारे लगाऐ जाने लगे हैं लोगों को एक आश है कि शायद यह पार्टी गाय को गौमाता का अधिकार दिला देंगे राष्ट्रमाता घोषित कर देंगे इन्हें वोट देना चाहिए , दूसरी ओर राजनीतिक लोग यह सोचते हैं कि धर्माचार्य और साधु संतों को आगे आकर गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने में कड़ी पहल करना चाहिए, यहां साधु संत यह कहते हैं कि देश वोटिंग के आधार पर चल रहा है जिसका शासन वह गाय को सुविधा सुरक्षा दिलाए राष्ट्रमाता घोषित कराऐ , हम क्या करें इसी चक्कर में आज कईसौं वर्षो से यही चलता आ रहा है और हमारे कानों में केवल यही आवाज गूंजती आ रही है गौ हत्या बंद हो गौ माता की जय हो परंतु पता नहीं गो हत्या बंद होगी या नहीं और यह झूठ /छलावा के साथ गौमाता की जय जयकार कब तक लगती रहेगी....।।


वर्तमान में भारत में गाय केवल जयकारो में गौमाता है वास्तविकता तो कुछ और ही है - 

भारत में केवल गाय जिसे गऊमाता का दर्जा दिलाने के लिए प्रतिदिन हजारों मठ मंदिरों में धार्मिक कार्यक्रमों में कथा वाचकों के माध्यम से केवल और केवल जयकर लगाई जा रही है ना जाने कितने वर्षों से यह जयकार की परंपरा सुनाई दे रही है और न जाने कब तक सुनाई देगी पर क्या गाय को वास्तविक राष्ट्रमाता/गौमाता का दर्जा मिल पाना संभव लगता है, ऐसा लगता है जनता के साथ केवल एक छलावा किया जा रहा है ।।


सही मायने में गाय को पालने की क्षमता किसी में नहीं- 

वेद पुराण और शास्त्र बताते हैं की गाय में 33 करोड़ देवी देवता वास करते हैं जिस गाय में 33करोड़ देवी देवताओं का वास हो उस गौमाता को पालने का सामर्थ्य और शक्ति किसमें हो सकती है शायद किसी में नहीं, आप गाय को घर में रखिये और तन मन धन से सेवा करिये (गौमाता) ही आपको पालने लगेगी गौमाता को पालने का सामर्थ्य सामान्य मनुष्यों में नहीं...।


आज वर्तमान में सभी धार्मिक संगठन, धर्माचार्य, साधु संतगण, मठाधीशी  सभी सामर्थ्यवान हैं निर्णय एक दिन में हो सकतें हैं, दूसरी बात अगर गाय माता है तो उसे राष्ट्रमाता घोषित करने में इतने वर्षों से विलंबित क्यों रखा जा रहा है❓


लेखक- सुरेन्द्र कुशवाहा

पवित्र नगरी झौंतेश्वर नरसिंहपुर( मप्र)

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