जन्माष्टमी
जन्माष्टमी की रंगी रंगी धूम है,
घरों में गोपियाँ नृत्य कर रही हैं।
बांसुरी की मधुर ध्वनि सुनाई दे,
कृष्ण की लीला सबको भायी दे।
छाती पर सुधा श्याम की चढ़ी है,
मोहन के बीनारे दिल को बहलायी है।
गोपियां मधुर रास रचा रही हैं,
श्याम की वन्दना में जगमगा रही हैं।
बाल गोपाल नन्द के घर आये हैं,
कन्हैया ने यशोदा को बहलायी है।
प्यारी माखन चोर नाचे मोरी रे,
रास रचाए नंदलाल मोहे छोड़ी रे।
मोहन के खेल अनंत हैं अमित हैं,
बच्चों को प्रेम से प्यार कर रहे हैं।
मक्खन की मिश्री चुराते सखा के,
खुशियाँ बांट रहे दरबार में।
जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ,
भगवान श्रीकृष्ण की जय बोलो।
प्रेम से भरी यह रासलीला जारी रहे,
जन्माष्टमी का त्योहार मनाओ।
लेखिका
-उर्वशी गुप्ता
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