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गांव की रोशनी बनीं सशक्तिकरण की वास्तविक आइकॉन

गांव की रोशनी बनीं सशक्तिकरण की वास्तविक आइकॉन



बरमान निवासी 20 वर्षीय रोशनी रजक संपूर्ण जिले में महिला सशक्तिकरण का आइकॉन बन गई हैं। कमज़ोर आर्थिक पृष्ठभूमि वाले परिवार से आने वाली रोशनी ने अपने परिश्रम से न सिर्फ परिवार को  संवारा बल्कि गांव की अन्य बेटियों को भी उम्मीदों की रोशनी से लबालब कर दिया।रोशनी के माता -  पिता जहां मजदूरी करते हैं वहीं उनका छोटा भाई दिव्यांग हैं। शिक्षा के क्षेत्र में मेधावी छात्रा रही रोशनी बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर परिवार की जीविका में अपना योगदान दे रही हैं और वर्तमान में वह एक निजी स्कूल में शिक्षिका के साथ कंप्यूटर सेंटर का व्यवस्थापक का दायित्व भी निभा रही हैं। वर्ष 2021 में उन्होंने अद्भुत नेतृत्व क्षमता का  परिचय देते हुए गांव की लड़कियों के लिए ' शक्ति क्लब' का गठन किया और सभी लड़कियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया।  शक्ति क्लब द्वारा जहां गांव की बच्चियों को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिया जाता है वहीं खेलकूद गतिविधियों में आगे रहने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।जिसका नतीजा यह हुआ कि अब तक बरमान में रहने वालों सामान्य परिवारों की 20 बच्चियां राज्य स्तर पर खो - खो ,बॉलीबॉल,कबड्डी आदि खेलों में अपना जौहर देखा चुकी हैं। गांव की राशि सिंह तो 14 वर्ष की आयु वर्ग की खो-खो में राष्ट्रीय स्तर पर गांव का नाम रोशन कर चुकी है। रोशनी के प्रेरणा से शक्ति क्लब की लड़कियां प्रति सप्ताह नर्मदा तट की सफाई करने भी जाती हैं और गांव के लोगों को स्वच्छता का संदेश भी देती हैं। उन्हीं के प्रयासों से बरमान गांव में पहली  बार महिला जिम की स्थापना भी हुई हैं।

संवाददाता :- खुशी ढ़िमोले 

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