मध्यप्रदेश में अवैध खनन के खिलाफ सख्त एक्शन 200 केस दर्ज
अवैध खनन किसी भी देश प्रदेश के लिए बहुत ही नुकसानदायक साबित हो सकता है, ऐसे अनियंत्रित खनन से प्राकृतिक नुकसान तो होते है हैं ऊपर से राजस्व और कानून व्यवस्था पर गहरा असर होता है | बता दें कि बीते दिनों ही मुख्य मंत्री मोहन यादव ने विभागों की समीक्षा के दौरान नदियों में निर्धारित मानदंड से हटकर उत्खनन करने वालों पर सख़्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे. सी एम ने कहा था कि प्रदेश में रेत उत्खनन नियमानुसार हो, उत्खनन में अवैध रूप से लगाई गई मशीनों को तत्काल जप्त किया जाए | मुख्यमंत्री ने अवैध उत्खनन करने वालों के खिलाफ 15 जून तक अभियान चलाकर सख़्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे | हाल ही में इसी तारतम्य में देवास, सीहोर, नर्मदापुरम, नरसिंहपुर, खरगौन, हरदा और शहडोल सहित प्रदेश में लगभग-200 प्रकरण दर्ज कर डंपर, पोकलेन मशीन, आदि ज़ब्त की गई हैं | और एक करोड़ 25 लाख रुपये का राजस्व अर्थदंड लगाया गया है | ऐसी कार्यवाही का जनता तहे दिल से स्वागत कर रही है लेकिन सवाल उठता है कि जब 2 दशकों से प्रदेश में भाजपा का राज है तो यह खनन माफिया पनपा कैसे? खनन माफिया के खिलाफ सरकार अचानक से इतनी सख्त क्यों हुई? क्या इस कार्यवाही का कोई लिंक भाजपा कि अंदरूनी गुटबाजी से भी है? ऐसे प्रश्न उठने के वाजिब कारण भी हैं | पिछले कई सालों से विपक्ष भाजपा कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पर प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष तौर पर खनन माफिया से साँठ गांठ का आरोप लगाती रही है | ऐसे आरोप विधानसभा सत्र के दौरान भी उठाए गए थे | 2018 में तो काँग्रेस प्रवक्ता ने शिवराज सरकार के खिलाफ सीबीआई जांच कि मांग करते हुए 1200 करोड़ के खनन घोटाले का आरोप लगा दिया था | वहीं खनन माफिया द्वारा कई सालों से सरकारी अधिकारियों पर हमलों के कई मामले हमे देखने को मिले हैं | 2012 में मुरैना में आईपीएस अफसर नरेन्द्र कुमार की खनन माफिया द्वारा हत्या कर दी गई थी | 2015 में बौखलाए रेत खनन माफियाओं के गुंडों ने एक पत्रकार संदीप कोठारी का अपहरण करके उसे जिंदा जला दिया था | ऐसी कई विचलित कर देने वाली घटनाएं होती रहीं लेकिन सख्त कार्यवाही देखने नहीं मिली | वर्तमान मुख्यमंत्री द्वारा खनन माफिया पर कि जा रही कार्यवाही कबीले तारीफ है | इस कार्यवाही के पीछे मंशा कुछ भी हो लेकिन यह कार्यवाही बहुत जरूरी थी और यह ध्यान रखने कि जरूरत है कि खनन माफिया कि जड़ों को भी खत्म किया जाए ताकि ना तो विपक्ष को ऐसा मुद्दा मिले, ना प्रदेश को राजस्व का नुकसान हो और कानून व्यवस्था sudranनन किसी भी देश प्रदेश के लिए बहुत ही नुकसानदायक साबित हो सकता है, ऐसे अनियंत्रित खनन से प्राकृतिक नुकसान तो होते है हैं ऊपर से राजस्व और कानून व्यवस्था पर गहरा असर होता है | बता दें कि बीते दिनों ही मुख्य मंत्री मोहन यादव ने विभागों की समीक्षा के दौरान नदियों में निर्धारित मानदंड से हटकर उत्खनन करने वालों पर सख़्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे. सी एम ने कहा था कि प्रदेश में रेत उत्खनन नियमानुसार हो, उत्खनन में अवैध रूप से लगाई गई मशीनों को तत्काल जप्त किया जाए | मुख्यमंत्री ने अवैध उत्खनन करने वालों के खिलाफ 15 जून तक अभियान चलाकर सख़्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे | हाल ही में इसी तारतम्य में देवास, सीहोर, नर्मदापुरम, नरसिंहपुर, खरगौन, हरदा और शहडोल सहित प्रदेश में लगभग-200 प्रकरण दर्ज कर डंपर, पोकलेन मशीन, आदि ज़ब्त की गई हैं | और एक करोड़ 25 लाख रुपये का राजस्व अर्थदंड लगाया गया है | ऐसी कार्यवाही का जनता तहे दिल से स्वागत कर रही है लेकिन सवाल उठता है कि जब 2 दशकों से प्रदेश में भाजपा का राज है तो यह खनन माफिया पनपा कैसे? खनन माफिया के खिलाफ सरकार अचानक से इतनी सख्त क्यों हुई? क्या इस कार्यवाही का कोई लिंक भाजपा कि अंदरूनी गुटबाजी से भी है? ऐसे प्रश्न उठने के वाजिब कारण भी हैं | पिछले कई सालों से विपक्ष भाजपा कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पर प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष तौर पर खनन माफिया से साँठ गांठ का आरोप लगाती रही है | ऐसे आरोप विधानसभा सत्र के दौरान भी उठाए गए थे | 2018 में तो काँग्रेस प्रवक्ता ने शिवराज सरकार के खिलाफ सीबीआई जांच कि मांग करते हुए 1200 करोड़ के खनन घोटाले का आरोप लगा दिया था | वहीं खनन माफिया द्वारा कई सालों से सरकारी अधिकारियों पर हमलों के कई मामले हमे देखने को मिले हैं | 2012 में मुरैना में आईपीएस अफसर नरेन्द्र कुमार की खनन माफिया द्वारा हत्या
कर दी गई थी | 2015 में बौखलाए रेत खनन माफियाओं के गुंडों ने एक पत्रकार संदीप कोठारी का अपहरण करके उसे जिंदा जला दिया था | ऐसी कई विचलित कर देने वाली घटनाएं होती रहीं लेकिन सख्त कार्यवाही देखने नहीं मिली | वर्तमान मुख्यमंत्री द्वारा खनन माफिया पर कि जा रही कार्यवाही कबीले तारीफ है | इस कार्यवाही के पीछे मंशा कुछ भी हो लेकिन यह कार्यवाही बहुत जरूरी थी और यह ध्यान रखने कि जरूरत है कि खनन माफिया कि जड़ों को भी खत्म किया जाए ताकि ना तो विपक्ष को ऐसा मुद्दा मिले, ना प्रदेश को राजस्व का नुकसान हो और कानून व्यवस्था सुदृढ़ हो सके |
संवाददाता : दीपक मालवीय
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