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तहसीलदार गोपद बनास के कार्यप्रणाली पर अधिवक्ता ने उठाया सवाल उचित कार्यवाही हेतु किया शिकायत

 तहसीलदार गोपद बनास के कार्यप्रणाली पर अधिवक्ता ने उठाया सवाल उचित कार्यवाही हेतु किया शिकायत



न्यायिक विद्वान की बात माने तो देश भर के न्यायालयों में मौजूद न्यायमूर्ति की कुर्सी में प्रकृति अर्थात परमात्मा का वास होता है कहते हैं चाहे कोई न्यायमूर्ति कितना भी भ्रष्ट-करप्ट क्यों ना हो जब रिश्वतखोर व्यक्ति भी न्यायमूर्ति के कुर्सी में बैठकर मामला की सुनवाई करता है तो अन्याय करने का विचार मन में आते ही उसकी आत्मा को प्रकृति झकझोर देती है और भ्रष्ट न्यायमूर्ती ना चाहते हुए भी न्याय करने को मजबूर हो जाता है, शायद इसी कारण मध्य प्रदेश के सीधी-सिंगरौली संसदीय क्षेत्र स्थित गोपद बनास सेमरिया सर्किल के तहसीलदार निवेदिता त्रिपाठी तहसील न्यायालय की कुर्सी में बैठकर मामले की सुनवाई नहीं करते हुए अपने एसी चेंबर मैं बैठकर दबंग अपराधियों के प्रभाव से प्रभावित हो अन्याय पूर्ण आदेश कार्यवाही कर रहीं हैं जिस करण  अपराध का ग्राफ बढ़ते क्रम में देखा जा रहा है वहीं तहसीलदार के कार्यप्रणाली से रुष्ट काश्तकार त्रिपाठी तहसीलदार के प्रति ऐसे शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं जिन शब्दों को लिखना संभव नहीं है।

खबर सीधी सिंगरौली संसदीय क्षेत्र 11 से है जहां के अधिवक्ता नीरज मिश्र ने निवेदिता त्रिपाठी सेमरिया सर्कल के तहसीलदर पर गंभीर आरोप लगाते हुए शिकायत किए हैं कि न्यायालय के पदाधिकारी न्यायालय कार्यवाही अपने व्यक्तिगत चेंबर में संपादित व संचालित कर रही हैं जब कि मध्य प्रदेश व्यवहार न्यायालय नियम 1961 के नियम में न्यायालय के लिए बैठक, बैठक के सामान्य समय तक निर्धारित किया गया है। दंड प्रक्रिया संहिता 1963 की धारा 327 व भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 में भी यहां तक प्रावधान है कि न्यायालय को खुला न्यायालय समझा जाएगा जिसमें जनता साधारणतया प्रवेश कर सकेगी यहां तक की सुविधा पूर्वक हुए उसे न्याय में न्यायालय कार्यवाही को प्रयोजन से समा सके। सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 की धारा 163 (ख) में यह लिखा है की विचारण न्यायालय के स्थान को खुला न्यायालय समझ जाएगा और उसमें साधारणत: जनता की वहां तक पहुंच होगी जहां तक जनता इसमें सुविधापूर्वक समा सके। सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 5 में यह प्रावधान है कि सिविल प्रक्रिया संहिता के संपूर्ण प्रावधान वहां तक लागू होंगे जहां मध्य प्रदेश भू राजस्व संहिता में कोई स्पष्ट प्रावधान उपबंधित नहीं है अर्थात उपरोक्त संपूर्ण प्रावधान राजस्व न्यायालय पर भी लागू होते हैं। भारतीय दंड संहिता धारा 166 अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 में यह प्रावधान है की लोक सेवक विधि के किसी ऐसे निर्देश की जो उस ढंग के बारे में जिस ढंग से लोक सेवक के नाते उसे आचरण करना है जानते हुए अवज्ञा करता है वह सादे कारावास से जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकती है या जुर्माने में दंडनीय अपराध है।

इतना ही नहीं  मिश्रा द्वारा दिए गए  जिला कलेक्टर को पत्र में लेख किए हैं कि सीधी जिला के तहसीलदार गोपद बनास और सेमरिया सर्कल न्यायालय उचित नियत स्थान में बैठक करने में ही मनमाना रुख अपनाते हुए न्यायालय में बैठने को तैयार नहीं है। विधायिका द्वारा हर कार्य संपादन के लिए कानून बनाया गया है पर कानून का पालन करने वाले अधिकारी ही उसका पालन करने को तैयार नहीं है। पत्र में का लेख बहुत ही हास्यास्पद लगता है आप देखेंगे की इस न्यायालय के जो कार्यवाही 107, 116, 151, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के तहत की गई कार्यवाही होती है इसके लिए जो कर्मचारी नियुक्त हैं वह तो विगत 10 वर्ष से एक अलग ही कोठरी में बैठकर संपूर्ण कार्यवाही वहीं संपादित करते हैं। इसमें तहसीलदार का कोई रोल ही नहीं दिखता जबकि उपरोक्त कार्यवाही यदि विधि अनुसार संपादित की जावे तो भविष्य में कोई व्यक्ति बार-बार अपराध नहीं करेगा, और कानून का एक प्रभाव स्थापित होगा इसी कारण से आए दिन लड़ाई झगड़ा तथा जमीन संबंधी मामलों में आम व्यक्ति को समस्याएं लगातार झेलनी पड़ रही है। न्यायालय को निश्चित एवं खुले स्थान में संचालित होने चाहिए ऐसा विधि में प्रावधान है परंतु सीधी के तहसीलदार गोपद बनास व सेमरिया सर्किल तहसीलदार व्यक्तिगत चेंबर में बैठकर न्यायालयीन कार्यवाही करती हैं जिनके प्रति विधि अनुकूल कार्यवाही करने हेतु प्रतिलिप मुख्यमंत्री, एवं विपक्ष के नेता सहित समस्त विधायक गणों को पत्र भेजते हुए विज्ञप्ति जारी किया गया है अब देखने वाली बात यह होगी की खबर प्रशासन के बाद कार्यवाही होती है या इसी तरह तहसीलदार अपराध को बढ़ावा देती रहेंगी।

संवाददाता- आशीष सोनी

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