आरो खरिदी घोटाला 35 लाख का, राशि जमा हुई 14 लाख
सर्व शिक्षा अभियान में आरओ खरीदी की हुई जांच मे 35 लाख का घोटाला उजागर हुआ। लंबे समय से इस घोटाले की चर्चा होती रही। किन्तु प्रारंभिक जांच में कोई निष्कर्ष नहीं निकला। अंत में जिला पंचायत की समान्य सभा में जांच का प्रस्ताव हुआ तो जांच समिति का गठन किया गया। जहां हुई जांच के बाद पता चला कि जिले में 35 लाख से अधिक का घोटाला हो चुका है। जांच प्रतिवेदन के अनुसार इस घोटाले में तत्कालीन डीपीसी संजय सक्सेना, तत्कालीन बीआरसी एवं स्कूलों की शाला प्रबंधन समिति के सचिवों को इस घोटाले का दोषी माना गया। लिहाजा घोटाले की 20 प्रतिशत राशि डीपीसी, 20 प्रतिशत राशि बीआरसीसी एवं 60 प्रतिशत राशि स्कूलों की शाला प्रबंधन समितियों सचिव याने प्रधानाध्यापकों से वसूली प्रतिवेदित की गई। किन्तु अब तक में तत्कालीन डीपीसी एवं तत्कालीन बीआरसीसी द्वारा अपने हिस्से की राशि जमा की जा चुकी है। जबकि स्कूलों के सचिवों से कोई वसूली नहीं हो पाई। लिहाजा 60 प्रतिशत याने
लगभग 21 लाख की वसूली। होनी शेष है। किसने कितनी राशि जमा की आरटीआई से प्राप्त जानकारी के अनुसार तत्कालीन डीपीसी संजय सक्सेना ने 7,00,687 रूपये, तत्कालीन बीआरसीसी नईगढ़ी धर्मेन्द्र प्रसाद मिश्रा 1,79,418, देवेन्द्र प्रसाद मिश्रा तत्कालीन बीआरसीसी नईगढ़ी 89127, विनोद पाण्डेय तत्कालीन बीआरसीसी रायपुर कर्चुलियान 1,54,486, सुधीर कुमार साकेत तत्कालीन बीआरसीसी सिरमौर
1,18,820, राकेश कुमार निगम तत्कालीन बीआरसीसी सिरमौर 11882, प्रवीण कुमार कुमार शुक्ला तत्कालीन बीआरसीसी रीवा 28890, शिवाकान्त गौतम तत्कालीन बीआरसीसी जवा 34856, एवं नरेश मिश्रा तत्कालीन बीआरसीसी गंगेव 83185 रूपये जमा किया।
उल्लेखनीय है कि शाला प्रबंधन समितियों के तत्कालीन सचिव याने प्रधानाध्यापकों से अभी वसूली नहीं हो पाई है। उन्हें शायद अभी तक राशि जमा करने के संबंध में कोई नोटिस तक नहीं भेजी गई है। उन्हें हो सकता है कि कारण बताओ नोटिस भी जारी न की गई हो। ऐसी स्थिति में प्रतिवेदित 35 लाख के घोटाले की 60 प्रतिशत लगभग 21 लाख की वसूली भविष्य में हो पायेगी अथवा अथवा नहीं यह भी अभी सुनिश्चित नही है। सूत्रों का मानना है कि जिस दिन शाला प्रबंधन समितियों के सचिवों को नोटिस जारी की जायेगी उस दिन विस्फोट हो सकता है। क्योंकि उनका खरीदी में कोई रोल ही नहीं था। उन्हें तो अनावश्यक रूप से फंसा दिया गया है। क्योकि आरओ की खरीदी करने के बाद स्कूलों में इंस्टाल करना था। ऐसी स्थिति में तत्कालीन बीआरसीसी अपने बचाव के लिये ऐसे सचिवों को आरओ सौंप कर भुगतान की औपचारिकता पूरी की थी। बावजूद इसके खरीदी के लिये सचिवो को जिम्मेदार ठहराया गया है। इसलिये उनका जबाब आने के बाद ही पता चलेगा कि इस खरीदी के संबंध में उनका क्या कथन होता है। उनका रोल खरीदी में कितना था।
संवाददाता : आशीष सोनी
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