मातृत्व, हर महिला के जीवन का एक खास और महत्वपूर्ण हिस्सा है
मातृत्व, हर महिला के जीवन का एक खास और महत्वपूर्ण हिस्सा है। लेकिन यह दौर महिलाओं के लिए कई चुनौतियां भी लेकर आता है। इसी को ध्यान में रखते हुए, भारतीय कानून ने महिलाओं के लिए मातृत्व लाभ अधिनियम 1961 बनाया, ताकि उन्हें मातृत्व के समय काम और परिवार दोनों को संतुलित करने में सहायता मिले।इस अधिनियम के तहत, हर कामकाजी महिला को मातृत्व अवकाश का अधिकार है। अगर आप किसी संस्थान में काम कर रही हैं और आपने वहाँ कम से कम 80 दिन काम किया है, तो आपको 26 सप्ताह तक का पेड मैटरनिटी लीव मिल सकता है। यह अवधि नवजात बच्चे की देखभाल और महिला की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए है। इसके अलावा, इस अधिनियम के तहत, संस्थानों को यह सुनिश्चित करना होगा कि महिला को काम के दौरान आरामदायक माहौल मिले और वह स्तनपान के लिए समय निकाल सके। अगर कोई महिला किसी दत्तक बच्चे को गोद लेती है, तो उसे भी मातृत्व अवकाश का अधिकार है। इसके अलावा, गर्भावस्था के दौरान महिला कर्मचारी को कोई भी ऐसा कार्य नहीं दिया जा सकता, जिससे उसकी या बच्चे की सेहत को खतरा हो। लेकिन यह अधिकार तब तक प्रभावी नहीं हो सकता, जब तक महिलाएं इसे जानें और इसे पाने के लिए आगे आएं। अगर आपको कहीं भी इन अधिकारों का हनन होता दिखे, तो आप श्रम न्यायालय या महिला आयोग से संपर्क कर सकती हैं। मातृत्व अधिकार केवल एक कानून नहीं है, बल्कि यह हर महिला की गरिमा, सुरक्षा और स्वास्थ्य का सम्मान है। अगली कड़ी में, हम महिलाओं के उत्तराधिकार और संपत्ति अधिकारों पर चर्चा करेंगे। कैसे महिलाएं पैतृक संपत्ति में बराबरी का हकदार होती हैं और इस अधिकार को पाने के लिए उन्हें क्या करना चाहिए, जानेंगे। "हर महिला का अधिकार है सम्मान, सुरक्षा और स्वतंत्रता। नोफिकर नारी के साथ बने रहिए, क्योंकि आपका अधिकार ही आपकी शक्ति है।"
वीडियो लिंक : https://www.youtube.com/watch?v=pNkF5QhKGAc
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