जब चाहे पाकिस्तान-चीन को भारत समंदर में कर देगा तहस-नहस, 2,960 करोड़ में युद्धपोतों के लिए खतरनाक मिसाइलों की डील पक्की
हिंद महासागर पर चीन अपनी नजरें जमाकर बैठा है. जमीन और आसमान के साथ-साथ समुद्र में भी अपनी ताकत का इजाफा कर रहा है. वहीं भारत भी लगातार अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने की कोशिश में लगा है. समुद्र में अपनी ताकत बढ़ाने के लिए भारत ने नौसेना को घातक और शक्तिशाली हथियारों से लैस करने का प्लान बनाया है. जो तमाम तरह के खतरों से निपटने में कारगार साबित होंगे. इसके लिए रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को नौसेना के अग्रिम पंक्ति के युद्धपोतों के लिए इजरायल के साथ संयुक्त रूप से विकसित 70 से अधिक अतिरिक्त मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों की आपूर्ति के लिए सरकारी स्वामित्व वाली भारत डायनेमिक्स लिमिटेड के साथ 2,960 करोड़ रुपये का अनुबंध किया है. रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की उपस्थिति में हस्ताक्षरित यह अनुबंध भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने और उन्नत सैन्य प्रौद्योगिकी को स्वदेशी बनाने के चल रहे प्रयासों में "एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर" है,
तीन हजार करोड़ की डील में क्या-क्या खरीदा जाएगा?
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, "एमआर-एसएएम प्रणाली अब कई भारतीय युद्धपोतों पर मानक रूप से फिट है और इसे अधिग्रहण के लिए नियोजित भविष्य के अधिकांश प्लेटफार्मों पर फिट करने की योजना है." नौसेना, वायुसेना और सेना ने एमआर-एसएएम सिस्टम को शामिल किया है, जिसे अगली पीढ़ी का बराक-8 भी कहा जाता है, यह कई साल पहले डीआरडीओ और इज़राइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज के बीच 30,000 करोड़ रुपये से अधिक की शुरुआती लागत पर किए गए तीन संयुक्त प्रोजेक्ट के तहत किया गया था.
क्या है एमआर-एसएएम, 70 किलोमीटर तक दुश्मन हो जाएंगे धुआं
एमआर-एसएएम को 70 किलोमीटर की दूरी पर दुश्मन के विमानों, हेलीकॉप्टरों, क्रूज मिसाइलों और ड्रोन को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. नौसेना में, सिस्टम को विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत, तीन कोलकाता श्रेणी के विध्वंसक और चार विशाखापत्तनम श्रेणी के विध्वंसक पर तैनात किया गया है, जिसमें आईएनएस सूरत भी शामिल है जिसे बुधवार को कमीशन किया गया था. नौसेना और वायुसेना के बाद, सेना ने फरवरी 2023 में 33 कोर में अपनी पहली 'अभ्रा' एमआर-एसएएम रेजिमेंट का भी संचालन किया, जो सिक्किम और सिलीगुड़ी कॉरिडोर में चीन के साथ सीमा की रक्षा करती है. एक अधिकारी ने कहा, "एमआर-एसएएम प्रणाली लड़ाकू विमानों, यूएवी, हेलीकॉप्टरों, निर्देशित और गैर-निर्देशित युद्ध सामग्री, सबसोनिक और सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों सहित कई तरह के खतरों के खिलाफ बिंदु और क्षेत्र वायु रक्षा प्रदान करती है." "यह गंभीर संतृप्ति परिदृश्यों में 70 किलोमीटर तक की दूरी पर कई लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है. मिसाइल को टर्मिनल चरण के दौरान उच्च गतिशीलता प्राप्त करने के लिए स्वदेशी रूप से विकसित रॉकेट मोटर और नियंत्रण प्रणाली द्वारा संचालित किया जाता है."
समुद्र में बढ़ेंगी भारत की ताकत
आपको बता दें कि चीन जैसे चालबाज देश से निपटने के लिए भारत अपनी नौसेना पर खासतौर पर ध्यान दे रहा है. इसके लिए भारत अपने बेड़े में कई नई पनडुब्बियों को शामिल करने के साथ ही सेना के उपकरणों को आधुनिक बना रहा है. गौरतलब है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र केवल भारत के लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए अहम है.
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