कैसे बदला जा सकता है किसी राज्य का नाम, जानें क्या होता है इसका प्रोसेस?
देश में कई बार राज्यों के नाम बदले गए हैं. वहीं बीते गुरुवार को गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख: सातत्य और संबद्धता का ऐतिहासिक वृत्तांत नाम की किताब के विमोचन मौके पर जब कहा कि कश्मीर का नाम महर्षि कश्यप के नाम पर पड़ा है. इसके बाद कयास लगाया जा रहा है केंद्र सरकार कश्मीर का नाम बदल सकती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि राज्य का नाम बदलने का अधिकार किसके पास होता है.
कौन बदल सकता है राज्य का नाम?
भारतीय संविधान के मुताबिक देश की संसद को किसी भी राज्य का नाम बदलने का अधिकार है. बता दें कि भारत का संविधान अनुच्छेद 3 संसद को किसी भी राज्य का नाम बदलने की शक्ति देता है. जानकारी के मुताबिक संविधान का अनुच्छेद 3 किसी राज्य के क्षेत्र, सीमाओं या नाम को बदलने की प्रक्रिया को निर्धारित करता है.
कैसे बदला जा सकता है राज्य का नाम?
बता दें कि केंद्र सरकार को अगर राज्य का नाम बदलना होता है, तो उने संविधान के नियमों का पालन करना होता है. बता दें कि किसी भी राज्य का नाम बदलते की प्रक्रिया विधानसभा या संसद से शुरू होती है. जैसे अगर राज्य की सरकार अपने राज्य का नाम बदलना चाहती है, तो सरकार को विधानसभा में प्रस्ताव पारित करना होता है. जिसके बाद इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास भेजा जाता है. इतना ही नहीं इसके बाद केंद्र सरकार तय करती है कि राज्य का नाम बदलेगा या नहीं. अगर केंद्र सरकार मंजूरी देती है, तो केंद्र के निर्देश के पर गृह मंत्रालय, इंटेलिजेंस ब्यूरो, भारतीय सर्वेक्षण, डाक विभाग और रजिस्ट्रार जनरल समेत कई एजेंसियों से एनओसी लेना अनिवार्य होता है.
केंद्र सरकार को भी सदन में बिल कराना होता है पास
जानकारी के मुताबिक अगर केंद्र सरकार किसी राज्य के प्रस्ताव को मंजूरी देती है, तो प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाता है. राज्य का नाम बदलने के लिए सरकार को दोनों सदनों में बिल पास कराना होता है. वहीं संसद में बिल पास होने के बाद ही अंतिम मुहर लगने के लिए इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है. वहीं राष्ट्रपति की सहमति मिलने के बाद राज्य का नाम बदलने का नोटिफिकेशन जारी किया जा सकता है. ये पढ़ने में जितना आसान है, इतना आसान होता नहीं है. इस पूरी प्रक्रिया में कई महीने या साल भी लग जाते हैं.
नाम बदलने की बतानी होती है वजह
बता दें कि किसी भी राज्य या जिले का नाम बदलने के लिए उसके पीछे का ठोस कारण बताना होता है. गौरतलब है कि नाम को बदलने की प्रक्रिया में अंतिम बार बड़ा बदलाव 1953 में किया गया था. उस वक्त गृह मंत्रालय के तत्कालीन उप सचिव सरदार फतेह सिंह राज्य सरकारों को पत्र भेजा था. नियमों के मुताबिक त केवल राज्य का नाम बदलने का प्रस्ताव राज्य विधान सभा में उठाया जा सकता है.
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