कैसे बनते हैं अघोरी, क्या है पूरी प्रक्रिया जानें
अघोरी बाबा महाकुंभ में आकर्षण केंद्र हैं. अघोरी साधु तंत्र साधना करते हैं. अघोरियों को डरावना या खतरनाक साधु माना जाता है. अघोर का अर्थ है जो घोर नहीं है, यानि जो डरावना नहीं सरल और सौमय है. अघोरी देखने में बहुत अलग और डरावने हो सकते हैं लेकिन इनका दिल बच्चे की तरह होता है. इनके अंदर जन कल्याण की भावना होती है. अघोरी की सबसे बड़ी पहचान यह है कि वो कभी किसी से कुछ नहीं मांगते हैं. लोग श्मशान, लाश, मुर्दे, मांस और कफन से घृणा करते हैं लेकिन अघोरी इनको अपनाते हैं. अघोरी बनने के लिए तीन प्रारंभिक परीक्षा देनी पड़ती हैं. अघोरी बनने के लिए जरुरी है एक योग्य गुरु की तलाश करना. गुरु द्वारा बताई हर बात का पालन करना. इस दौरान गुरु द्वारा बीज मंत्र दिया जाता है. इसे हिरित दीक्षा कहा जाता है. दूसरी परीक्षा में गुरु शिष्य को शिरित दीक्षा देते हैं.इसमें गुरु शिष्य के हाथ, गले और कमर पर एक काला धागा बांधते हैं और शिष्य को जल का आचमन दिलाकर कुछ जरूरी नियमों की जानकारी देते हैं. तीसरी परीक्षा में शिष्य को रंभत दीक्षा गुरु द्वारा दी जाती है. इस दीक्षा में जीवन और मृत्यु का पूरा अधिकार गुरु को देना पड़ता है. इस दौरान अनेक परीक्षाएं देने पड़ती हैं. सफल होने के बाद गुरु को शिष्य को अघोरपंथ के गहरे रहस्यों के बारे में जानकारी देनी पड़ती है.
0 Comments