चितरंगी बीआरसीसी का मामला, चर्चाओं का बाजार गर्म
गौरतलब हो कि, चितरंगी पदस्थ बीआरसीसी संजय कुमार मिश्रा का डीपीसी पद के लिए इंदौर के लिए चयन हो गया था। जहां पिछले करीब 10 दिनो से चितरंगी जनपद शिक्षा केन्द्र बीआरसीसी विहीन था। जहां एलडी यादव को जिला जिला प्रशासन ने नियुक्त किया है। एलडी यादव को बीआरसीसी नियुक्त किए जाने के बाद आरोप लगाए जा रहे है कि जिला प्रशासन ने शासन के मैरिट सूची को नजर अंदाज कर दिया जबकि मैरिट सूची के अनुसार शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय खड़ौरा में पदस्थ उच्च माध्यमिक शिक्षक एवं प्रभारी प्राचार्य त्रियम्बक चतुर्वेदी का चयन होना था। किंतु सूत्र बता रहे है कि राजनैतिक दखलनदाजी के चलते शासन के दिशा निर्देश एवं मैरिट सूची को दरकिनार कर नेताओं के पसंद के अनुसार बीआरसीसी नियुक्त कर दिया है। यहा बताते चले कि पिछले वर्ष 2024 में राज्य शिक्षा केन्द्र के द्वारा बीआरसीसी चयन के लिए परीक्षा आयोजित की गई थी। जिसमेे संजय कुमार मिश्रा शाउमा शिक्षक पहले स्थान पर थे और मैरिट के अनुसार दूसरे स्थान पर त्रियम्बक चतुर्वेदी थे। अनुमान लगाया जा रहा था कि संजय कुमार मिश्रा का डीपीसी चयन होने के बाद मैरिट सूची के आधार पर त्रियम्बक चतुर्वेदी को बीआरसीसी बनाया जाना था। परंतु ऐसा नही हुआ। अब इस बात को लेकर कई शिक्षकों में तरह- तरह की चर्चाए उठने लगी है। उधर नव नियुक्त बीआरसीसी एलडी यादव पहले भी दो बार चितरंगी जनपद शिक्षा केन्द्र में उक्त पद पर कार्य कर चुके है और उनकी कार्य पद्धति जग जाहिर हैं। चर्चा है कि जिला प्रशासन ने चितरंगी में बीआरसीसी नियुक्त कर दिया था। किंतु आरोप लग रहे है कि सीईओ जिला पंचायत के स्टेनो ने नस्ती को दबाकर रखा था। नस्ती दबाने के पीछे मंशा क्या रही। इसे तो आईपी बुनकर ही बता पायेंगे।
संवाददाता - आशीष सोनी
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