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मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी सिविल में मनमानी का दौर

 मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी सिविल में मनमानी का दौर


खूब दौड़ रहा कोटेशन फिक्सिंग का खेल ...?

कलेक्टर ने चार कर्मचारियों को दिया वेतन वृद्धि रोकने का नोटिस

* चहेते ठेकेदारों को फायदा दिलाने अफसर उड़ा रहे नियमों की धज्जियां

* जिसे कमीशन में समझौता नहीं, उनके बिलों को अटका देते हैं। सालों तक

* विद्युत सब स्टेशन बन जाता है 22 लाख में,

* मेंटेनेंस पर खर्च हो रहा है 10 से 16 लाख विशेष संवाददाता, रीवा

मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के सिविल विभाग अंतर्गत अधीक्षण अभियंता कार्यालय की मनमानी इस समय चर्चाओं में है। भ्रष्ठचार की सभी सीमाओं को लांघते हुए मौजूद अधिकारी द्वारा मनमानी की हद पार कर दी गई है। कहा जाता है कि राजनीतिक संरक्षण के चलते उन्हें किसी बात का कोई भय नहीं है।

हमारे सूत्रों ने जानकारी देते हुए बताया है कि पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के सिविल डिपार्टमेंट में कोटेशन फिक्सिंग का खेल दौड़ रहा है। अभी हाल फिलहाल का एक मामला सामने आया है जिसमें ठेकेदारों को उनकी ईमेल में 11 कार्यो   कोटेशन इंकारी के लिए रिलीज किया गया था, लेकिन बाद में मैग्नेट में दो और कोटेशन दो लाख के जोड़ दिए गए। आरोप है कि उन्होंने अपने करीबियों को उपकृत करने के लिए ऐसा किया, जो निगम विरुद्ध था।

इसी प्रकार विगत 6 माह की अगर निविदा या कोटेशन जारी होने की पूरी छान-बीन की जाए तो सच्चाई यह उजागर होगी कि उनमें से एक भी काम का किसी को जानकारी ही उपलब्ध नहीं हो पाई क्योंकि इसकी जानकारी केवल चहेतों तक को मिली। यानी कि सीधा अर्थ है की सूचना भी देने में अपनी मनमानी चलाई जाती है जबकि नियम यह है कि हर पंजीकृत ठेकेदार को उनके व्यक्तिगत मेल में सूचनाएं जारी किया जाना चाहिए। इस संबंध में हमारे सूत्रों ने बताया है कि पिछले 2 साल के भीतर सिविल संभाग रीवा से 33/11 उपकेंद्रों के मेंटेनेंस में केवल चहेते ठेकेदारों को ही उस्कृत किया गया। इतना ही नहीं इस मामले में सूत्रों ने बताया कि जिन ठेकेदारों से कमीशन की सेटिंग नहीं हो पाई थी उनके बिल 1 साल तक पेंडिंग रखे गए। जबकि उनके बिल कंपलीट थे। बाद में जब सौदा पटा तो अंत में जाकर भुगतान किया गया।

इस दौरान जो सबसे बड़ी बात पता लगी है उसमें पुख्ता सूत्रों ने जानकारी देते हुए स्पष्ट रूप से बताया है कि सिविल संभाग के सब स्टेशन का निर्माण कार्य की कुल लागत 22 से 25 लाख के बीच ही आती है। इतने में बेहतरीन काम कराया जा सकता है लेकिन विगत 2 साल के भीतर एक सब स्टेशन के मेंटेनेंस के नाम पर 10 से 16 लाख रुपए तक खर्च दिखाकर विभाग को जमकर चूना लगाया गया। इसमें तो ठेकेदार पर्याप्त उपकरण हुए हो, उनके साथ ही अधिकारी का भी जुगाडू खेल जमकर चला। इसी प्रकार पुताई और छत के मेंटेनेंस के नाम पर एक साल के भीतर कि यदि जांच कराई जाए तो लंबा गोलमाल सामने आएगा।

22 मार्च को कोटेशन, 31 को पूरा भुगतान

पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में भ्रष्टाचार का खेल यहीं पर नहीं खत्म होता, जिस तरह की गतिविधियां संचालित की जा रही है उस पर खुलेआम भ्रष्टाचार दिखाई दे रहा है। अभी हाल फिलहाल 22 मार्च को कोटेशन कराया गया था और खास ठेकेदारों के बिल 28 एवं 29 मार्च तक लग गए थे। इसके बाद 31 मार्च को पूरे भुगतान भी हो गए। अब सवाल यह उठता है कि 22 मार्च को यदि कोटेशन हुआ था तो कोटेशन कब खुला, उसकी सी बाय कब जारी हुई, ठेकेदार को वर्क आर्डर कब दिया गया, अधिकारी ने साइट की विजिट कब की, साइट हैंड ओवर कब हुआ, कब काम करवाया गया, उसकी माप कब हुई, अंतिम निरीक्षण कब हुआ ? यह सब अनुत्तरित सवाल है जिसका जवाब किसी के पास नहीं है। फिर भी 30 मार्च को संडे के दिन बिल बने और 31 मार्च तक पूरे भुगतान हो गए।

शहडोल संभाग के बैलेंस वर्क का काम ब्लैक लिस्टेड ठेकेदार को

अब इससे बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति क्या होगी जब उनके ही विभाग से ब्लैक लिस्टेड ठेकेदार को मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी का कार्य अलॉट कर दिया जाए। मतलब संबंधित अधिकारी जो विभाग से लाखों रुपए महीने की तनख्वाह उठाता है, उसी को वह चूना लगाने में जरा भी परहेज नहीं करता है। बताया गया है कि शहडोल संभाग जुलाई माह में अलग हो चुका है। इसके बाद भी रीवा संभाग के अधिकारी शहडोल संभाग में बैलेंस वर्क निकालकर फार्म अलर्ट कर रहे हैं और वह भी ब्लैक लिस्टेड ठेकेदार को। इस मामले में सबसे बड़ी बात यह है कि शहडोल संभाग अलग होने पर रीवा से पूर्ण चार्ज अधीक्षण अभियंता जबलपुर संभाग को सौंप दिया गया था लेकिन स्थानीय अधिकारी मनमानी करते हुए अभी भी शहडोल संभाग में अपने चहेते को काम देने से पीछे नहीं हट रहे।

आखिर संरक्षण दाता है कौन... ? 

इस मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस तरह की मनमानी करने वाले अधिकारी को संरक्षण कहां से मिल रहा है। मनमानी की सारी हदें पार करते हुए। विभाग को अच्छा खासा चूना लगाया जा रहा है, लेकिन विभाग के अधिकारी भी चुप देख रहे हैं। सूत्र तो यहां तक कहते हैं कि रीवा का यह विभागीय अधिकारी जबलपुर के विभागीय अधिकारियों पर भी भारी है। इसीलिए उनके मामलों की कोई जांच नहीं होती है। उधार यहां भी कहां जा रहा है कि स्थानीय स्तर पर एक ओहदे दार नेता के करीबी द्वारा संरक्षण प्रदान किए जाने के चलते उक्त अधिकारी अपनी मनमानी करने पर आतुर है।

संवाददाता- आशीष सोनी

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