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ज़िले के कई स्कूल नहीं है मापदंड के अनुरूप, फिर भी कैसे मिली संचालन की अनुमति ?

 

ज़िले के कई स्कूल नहीं है मापदंड के अनुरूप, फिर भी कैसे मिली संचालन की अनुमति ?


सिंगरौली जिले में संचालित होने वाले प्राइवेट स्कूल शासन द्वारा निर्धारित मापदंड का पालन न करके नियम विरुद्ध ढंग से संचालित हो रहे हैं। निजी स्कूल के संचालक मनमर्जी से अपनी संस्था का संचालन कर रहे हैं। टीम ने जब जानकारी निकली तो पता चला कि जिले के कई निजी स्कूल मान्यता के मापदंड पर खरे नहीं उतर रहे। स्कूलों को संचालन की अनुमति मिलने में कुछ मापदंड होते हैं, जिनमें प्ले ग्राउंड और पार्किंग की उपलब्धता के साथ-साथ सड़कों की स्थिति भी शामिल है। यदि किसी स्कूल में ये सुविधाएं नहीं हैं, तो उसे संचालन की अनुमति मिलना मुश्किल रहता है। हालांकि डीईओ द्वारा मान्यता प्राप्त स्कूलों में सरकारी मापदंडों का पालन नहीं करने पर कार्रवाई की बात कही जाती है। पर अब तक ताे कार्रवाई नहीं की गई है। निजी स्कूल के संचालक स्कूल को अच्छी कमाई का धंधा मान रहे हैं। क्योंकि कागजों में स्कूल के सारे मापदंडों को पूरा कर दिया जाता है। लेकिन धरातल पर स्थिति जस की तस ही दिखाई पड़ रही है। निजी स्कूल संचालन के लिए कागजों के आधार पर ही मान्यता दे दी जाती है। अधिकारियों द्वारा समय-समय पर यह निर्देश दिया जाता है कि ऐसेे स्कूलों पर कार्रवाई करें, जो नियम का पालन नहीं कर रहे पर ऐसा हो नहीं रहा है।

ज़िले में 419 निजी विद्यालय संचालित 

जिले में लगभग 419 से अधिक प्राइवेट स्कूल संचालित हो रहे हैं। जिसमें अधिकांश स्कूलों के पास खुद के भवन तक नहीं हैं। ये स्कूल किराए के भवन में या किराए की शटरों में चल रहे हैं। इन भवनों में छात्रों को बैठने की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। छोटे-छोटे कमरों में कक्षा संचालित की जा रही हैं। कक्षा में पर्याप्त प्रकाश की व्यवस्था नहीं है। इसी तरह अधिकांश स्कूलों में खेलकूद की व्यवस्था के लिए मैदान नहीं है। शहर सहित आसपास के क्षेत्र में कुछ स्कूल ऐसे है,जो निजी मकानों में दो-दो कमरों में संचालित हो रहे हैं, जबकि उनके पास 10वीं से 12वीं तक की मान्यता है। संचालित कई स्कूलों में छात्र-छात्राओं के अलग अलग टॉयलेट की व्यवस्था नहीं है। इन स्कूलों में छात्रों के लिए लाइब्रेरी व्यवस्था तक नहीं है। क्षेत्र के अधिकतर स्कूलों के पास अग्निशमन यंत्र भी नहीं है। यदि शासन द्वारा निर्धारित मापदंड का प्राइवेट संस्था पालन नहीं करती है तो उसकी मान्यता समाप्त करने के सख्त निर्देश हैं, लेकिन स्थानीय शिक्षा एवं विकासखंड अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

निर्धारित मापदंड

स्कूल में पर्याप्त अध्ययन के लिए कक्ष होना जरूरी है। साथ ही छात्र संख्या के हिसाब से कक्ष होना चाहिए, सभी स्कूलों में प्रशिक्षित शिक्षकों का होना अनिवार्य है, सभी स्कूलों में छात्र एवं छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय होना अनिवार्य है। यदि ऐसा नही है तो उस स्कूल को मान्यता नही मिलेगी, बच्चों को शुद्ध पेयजल की व्यवस्था, खेल मैदान की व्यवस्था, खेल सामग्री,पर्याप्त शैक्षणिक सामग्री, लाइब्रेरी, उच्च कक्षा के लिए प्रयोगशाला अनिवार्य रूप से होना आवश्यक हैं।

स्कूल वाहनों में क्षमता से अधिक छात्र बैठाए जाते हैं

प्राइवेट स्कूल वाहनों में छात्रों को क्षमता से अधिक बैठाया जाता है। इन वाहनों में बच्चों को भूसे की तरह भर दिया जाता है। इस संबंध में छात्राें के अभिभावक स्कूल संचालकों से कई बार शिकायत भी कर चुके हैं। वही बीते कुछ माह पूर्व संस्कार वैल्ली इंटरनेशनल स्कूल में पिकनिक लेकर जा रहे बच्चों को बस में ठूस ठूस कर भरा गया था जैसे तीन बच्चों की सीट पर पांच व छ:बच्चे बिठा कर ले जाया गया था जिसका विडिओ भी वायरल हुआ था। लेकिन व्यवस्था में काेई सुधार नहीं किया गया है।

एसबी सिंह, डीईओ सिंगरौली

जब इस सम्बन्ध में डीईओ से बात की गई और कुछ स्कूलों का नाम भी बताया गया तो उन्होंने कहा कि जिले में यदि प्राइवेट स्कूल शासन द्वारा तय किए गए मापदंड का पालन नहीं कर रहे, उनका निरीक्षण किया जाएगा, जो नियम के विपरीत संचालित मिलेंगे उन पर कार्रवाई की जाएगी।
संवाददाता :- आशीष सोनी 

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