सोन अभ्यारण का प्रतिबंधित अवैध रेत कारोबार हुआ प्रारंभ मगरमच्छों का जीवन खतरे में


सिंगरौली जिले के चितरंगी क्षेत्र अंतर्गत घड़ियालों के लिए आरक्षित सोन अभ्यारण में बरसात खत्म होते ही अब बड़ा तेजी से रेत माफियाओं का आतंक बढ़ रहा है। जिस कारोबार का लाइव लोकेशन फोटो वीडियो सोशल मीडिया में देखने के बावजूद स्थानी प्रशासन, अभ्यारण प्रबंधन और गढ़वा पुलिस की पौनी नजर होने के बाद भी नदी के कई घाटों से अवैध रेत उत्खनन का सिलसिला खुलेआम जारी है। जिससे न केवल पर्यावरण पर गहरा संकट मंडरा रहा है, बल्कि जलीय जीव-जंतुओं, विशेषकर मगरमच्छों के जीवन पर खतरा बढ़ गया है।

मगरमच्छों का आवास उजड़ने की कगार पर

स्थानीय ग्रामीणों के बात माने तो, सोन नदी में बड़ी संख्या में मगरमच्छ और अन्य दुर्लभ जलीय प्रजातियां पाई जाती हैं। जिनकी सुरक्षा को देखते हुए शासन द्वारा रेत सहित मछलियों को करने में भी प्रतिबंध लगाया गया है सोन नदी मगरमच्छों का प्राकृतिक आवास रही है, परंतु निरंतर हो रहे रेत उत्खनन ने उनके अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है। बरसात के मौसम में मगरमच्छ कई बार गांवों की ओर आ जाते हैं, जिन्हें वन विभाग और सोन घड़ियाल रेस्क्यू टीम मिलकर सुरक्षित रूप से पुनः नदी में छोड़ते हैं। अब जबकि नदी की गहराई और प्रवाह अवैध निकासी से प्रभावित हो चुके हैं, तो इन जीवों का सुरक्षित भविष्य संदिग्ध हो गया है।

पुलिस प्रशासन की मिलीभगत या लापरवाही

ग्रामीणों का आरोप है कि इतने बड़े पैमाने पर रेत की निकासी बिना प्रशासन और पुलिस की जानकारी के संभव नहीं। जेसीबी मशीनें, हाईवा और ट्रैक्टर दिन-रात रेत भरते और ले जाते हैं, जबकि संबंधित विभाग और अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। वहीं पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि आरक्षित नदी क्षेत्र से रेत निकालना न केवल वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 का उल्लंघन है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण कानून, 1986 की भी सीधी अवहेलना है।

अभ्यारण प्रबंधन पर उठे गंभीर सवाल

सोन अभ्यारण की टीम समय-समय पर मगरमच्छों को रेस्क्यू तो करती है, पर जब रेत का अवैध कारोबार होने लगता है तो पता नहीं कहां चले जाते हैं रेत माफियाओं के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं करते। जानकारों के अनुसार, रेत निकासी से नदी का जैविक संतुलन बिगड़ गया है, जिससे मछलियों, कछुओं और मगरमच्छों की प्रजातियां तेजी से घट रही हैं।

ग्रामीणों का गुस्सा-आंदोलन की चेतावनी

बताया जा रहा है सोन घड़ियाल क्षेत्र के ग्रामीणों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही अवैध खनन पर रोक नहीं लगाई गई, तो वे सामूहिक धरना-प्रदर्शन करेंगे। ग्रामीणों का कहना है कि रेत माफियाओं ने न केवल नदी का स्वरूप बिगाड़ दिया है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के प्राकृतिक जल स्रोतों को भी नष्ट कर रहे हैं।

गढ़वा पुलिस पर ग्रामीणों का आरोप

ग्रामीणों का कहना है कि यह पूरा अवैध कारोबार गढ़वा थाना क्षेत्र में फल-फूल रहा है और यह सब पुलिस की आंखों के सामने हो रहा है। फिर भी, थाने मैं पदस्थ पुलिस अब तक मूकदर्शक बनी हुई है। ग्रामीणों का सीधा आरोप है कि गढ़वा पुलिस की उदासीनता और संरक्षण के बिना यह संभव ही नहीं। आरक्षित सोन घड़ियाल सोन नदी में हो रहा अवैध रेत उत्खनन न केवल पर्यावरणीय अपराध है, बल्कि यह प्रशासनिक व्यवस्था की विफलता और मिली भगत का जीता-जागता प्रमाण भी है।

संवाददाता :- आशीष सोनी