इंदौर पुलिस का नया खेल: अपराधी नहीं मिला तो घर से उठाकर बेगुनाह को ही बना दिया आरोपी CCTV में कैद
दरअसल, घटना 22 नवंबर की है जब छोटी बमोरी में रहने वाले दीपक कुशवाहा को उसके घर के बाहर से ही उठा लिया गया। प्रधान आरक्षक देवेंद्र यादव ने बिना किसी हथियार मिले ही दीपक पर 25 आर्म्स एक्ट का केस दर्ज कर दिया। बताया जा रहा है कि जंगल में ले जाकर उन्होंने दीपक कुशवाहा की जेब में चाकू रखा और उसे फिर थाने लेकर आ गए। इसके बाद युवक पर एफआईआर दर्ज कर दी।
इस पूरे प्रकरण में सबसे सनसनीखेज आरोप यह है कि प्रधान आरक्षक देवेंद्र यादव ने दीपक को छोड़ने के बदले एक लाख रुपये की मांग की। जब परिवार ने पैसे देने से इनकार किया, तब दीपक पर हथियार रखने का झूठा केस डाल दिया गया। इतना ही नहीं, जब दीपक जमानत पर छूटा तो उसका मोबाइल प्रधान आरक्षक देवेंद्र ने अपने पास रख लिया गया और उसे लौटाने के बदले में 15 हजार रुपए की नई डिमांड शुरू कर दी।
परिवार का कहना है कि प्रधान आरक्षक लगातार उनके घर आकर मोबाइल के बदले पैसे का दबाव बना रहा है। दीपक का पुराना आपराधिक रिकॉर्ड जरूर था, लेकिन अदालत ने उस मामले में उसे बरी कर दिया था। वर्तमान में उसके खिलाफ कोई केस नहीं था। इसके बावजूद पुलिस ने उसे घर से उठाया और झूठे केस में फंसा दिया।
मामला सामने आते ही पूर्व विधायक आकाश विजयवर्गीय ने इसे गंभीरता से लेते हुए पुलिस कमिश्नर संतोष कुमार सिंह से शिकायत की है। उन्होंने पूरे प्रकरण की जांच और जिम्मेदार पुलिसकर्मी पर कड़ी कार्रवाई की मांग की।
यह घटना इंदौर पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। जिस पुलिस पर अपराध नियंत्रित करने की जिम्मेदारी है, वही अब आम नागरिकों को फंसाने का जरिया बन जाए तो आखिर में निर्दोष गुहार लगाने किसके पास जाएगा? अब नजरें है कि पुलिस कमिश्नर इस मामले में क्या कार्रवाई करेंगे?
संवाददाता :- आशीष सोनी

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