“SIR फॉर्म ड्यूटी का बोझ : देशभर में शिक्षा व्यवस्था पर पड़ा गहरा असर”



संपूर्ण देश में इन दिनों SIR फॉर्म (School Information Report) भरने को लेकर शिक्षकों की व्यापक स्तर पर ड्यूटी लगाई जा रही है। यह प्रक्रिया प्रशासनिक रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है, लेकिन इसका सीधा और नकारात्मक प्रभाव शिक्षा व्यवस्था पर दिखाई देने लगा है। कई राज्यों में शिक्षक लगातार यह शिकायत कर रहे हैं कि अत्यधिक कागज़ी कार्य ने उन्हें नियमित कक्षा-शिक्षण से दूर कर दिया है, जिससे पढ़ाई का समय कम हो रहा है और बच्चों पर इसका प्रतिकूल असर पड़ रहा है।

सूत्रों के अनुसार, अधिकांश विद्यालयों में शिक्षकों को स्कूल समय के दौरान ही SIR फॉर्म की प्रविष्टियाँ भरने, डेटा एकत्र करने और रिपोर्ट तैयार करने का दायित्व सौंपा गया है। परिणामस्वरूप, क्लासरूम गतिविधियाँ बाधित हुई हैं और कई स्कूलों में नियमित समय से पढ़ाई नहीं हो पा रही है।

शिक्षकों का कहना है कि वे पहले ही कई गैर-शैक्षणिक गतिविधियों में शामिल रहते हैं और अब SIR फॉर्म जैसे विस्तृत डेटा कार्यों ने उनकी जिम्मेदारी और बढ़ा दी है। उनका यह भी कहना है कि शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए शिक्षकों का फोकस बच्चों पर होना चाहिए, न कि अत्यधिक कागज़ी कार्यों पर।

माता-पिता भी इस मुद्दे को लेकर चिंता व्यक्त कर रहे हैं। उनका कहना है कि बच्चे स्कूल तो जा रहे हैं, लेकिन शिक्षकों की अनुपलब्धता के कारण पढ़ाई कमजोर पड़ रही है। कई राज्यों में शिक्षक संगठनों ने भी इस मामले को उठाते हुए कहा है कि प्रशासन को डिजिटल प्रक्रिया को सरल बनाना चाहिए या फिर इसके लिए अलग स्टाफ नियुक्त किया जाना चाहिए, ताकि शिक्षकों की प्राथमिक जिम्मेदारी—पढ़ाई—प्रभावित न हो।

समग्र रूप से देखा जाए तो SIR फॉर्म ड्यूटी ने शिक्षा व्यवस्था को धीमा किया है, और यदि समय पर समाधान नहीं निकाला गया तो इसका असर विद्यार्थियों के वार्षिक परिणामों और सीखने की गति पर साफ दिखाई देगा। शिक्षकों और अभिभावकों दोनों की एक ही मांग है—शिक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए शिक्षकों को पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने दिया जाए।

संवाददाता :- मोहम्मद आरिफ