शिक्षा व्यवस्था बदहाल: खुले आसमान के नीचे जमीन पर बैठकर पढ़ने को मजबूर बच्चे
मध्यप्रदेश की मोहन सरकार शिक्षा व्यवस्था को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रही है,वहीं सिंगरौली जिले के ये तस्वीरें सरकार के वादों की पोल खोल रही है। विकासखंड देवसर अंतर्गत जन शिक्षा केंद्र गन्नई के शासकीय प्राथमिक शाला टोपा टोला कुकरावं 1 से 5 तक है जो बच्चे पिछले कई महीनों से खुले आसमान के नीचे बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं,क्योंकि विद्यालय की इमारत अब पूरी तरह से जर्जरएवं जानलेवा हो चुकी है। स्कूल की बिल्डिंग पिछले 5 वर्षों से जर्जर हालत में है। छत में जगह-जगह बड़ी दरारें निकली हुई एवं सरिया दिखाई दे रहा वहीं छत से कंक्रीट के टुकड़े गिर रहे हैं कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। एक कमरे की छत तो पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी है। खतरा इतना बढ़ गया कि अतिथि शिक्षिका ने स्वयं अपनी और बच्चों की जान को देखते हुए स्कूल के बाहर मैदान में संचालित कर रही है पढ़ाई बरसात के दिनों में पानी टपकता है छत से, दीवारें टूटती हैं, और बच्चे कीचड़ के बीच पढ़ने को विवश होते हैं। अगस्त माह में खबर प्रकाशित होने पर दो सदस्यीय जांच टीम तो पहुंची,लेकिन कार्यवाही सिर्फ आश्वासन तक सीमित रही। जांच के बाद कहा गया था कि भवन को डिस्मेंटल कर नया निर्माण कराया जाएगा, लेकिन आज तक न मेंटेनेंस हुआ और न ही निर्माण की दिशा में कोई कदम बढ़ा यही नहीं, स्कूल में पीने के पानी की भी बदहाली है। हैंडपंप से जंग से निकला पानी पी रहें जबकि नल–जल कनेक्शन 2024 से बंद पड़ा है। मध्यान्ह भोजन में भी मेनू के अनुसार भोजन नहीं दिया जाता बच्चों को रोजाना सिर्फ दाल, चावल और सब्जी परोसी जाती है।बच्चों के अभिभावक अब असुरक्षा और अव्यवस्था को देखकर अपने बच्चों को स्कूल भेजने से कतराने लगे हैं। जनप्रतिनिधि और जिम्मेदार अधिकारी सिर्फ औपचारिक आश्वासन देकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं। शिक्षा विभाग की गंभीर उदासीनता साफ दिखाई देती है। इधर देवसर बीआरसीसी धनराज सिंह का कहना है कि भवन निर्माण हेतु प्रस्ताव भेजा जा चुका है और स्वीकृति मिलते ही नया निर्माण कराया जाएगा। लेकिन सवाल यही है कि जब स्कूल की छत किसी भी पल मौत बनकर गिर सकती है, तो तत्काल कार्यवाही क्यों नहीं सरकार शिक्षा का अधिकार और सर्व शिक्षा अभियान जैसी योजनाएं यहां दम तोड़ती नजर आ रही हैं। न नियमित शिक्षक, न सुरक्षित भवन बच्चे खुले आसमान के नीचे पठन-पाठन करने को मजबूर हैं। यह तस्वीरें सरकार के दावों पर बड़े सवाल खड़े करती हैं और शिक्षा प्रणाली की विफलता को साफ उजागर करती हैं।सवाल यह है कि क्या बच्चों की जान पर मंडराता खतरा किसी को दिखाई नहीं देता क्या बच्चों की शिक्षा का अधिकार सिर्फ कागजों में ही सीमित रह गया है।देखना यह है की प्रदेश की भाजपा सरकार में शिक्षा व्यवस्था की मंदिर कहे जाने वाले विद्यालय कब तक जर्जर स्थिति में बच्चों की पढ़ाई होती है भाषण व हकीकत तस्वीर कुछ और ही बयां कर रही।
संवाददाता :- आशीष सोनी

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