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सोनिया के बयान पर चुनाव आयोग के नोटिस से भड़की कांग्रेस, दिग्विजय सिंह ने लगाया ये बड़ा आरोप

 सोनिया के बयान पर चुनाव आयोग के नोटिस से भड़की कांग्रेस, दिग्विजय सिंह ने लगाया ये बड़ा आरोप

कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा भेजे गए नोटिस पर मध्यप्रदेश के दिग्गज कांग्रेस नेता भड़के हुए है. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और राज्यसभा सदस्य विवेक तंखा ने निर्वाचन आयोग की समझ पर सवाल उठाते हुए संविधान सभा में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के जवाब को पढ़ने को भी कहा है. कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर खुलेआम धर्म के नाम पर वोट मांगने का आरोप लगाते हुए निर्वाचन आयोग से पूछा है कि यह कानून का उल्लंघन नहीं है क्या?

दरअसल,सोनिया गांधी की कर्नाटक की 'संप्रभुता' संबंधी एक टिप्पणी पर निर्वाचन आयोग ने कांग्रेस पार्टी को नोटिस जारी किया है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को जारी नोटिस में आयोग ने इस मसले पर पार्टी की सोशल मीडिया पोस्ट पर सफाई देने और उसमें सुधार करने को कहा है. यह कार्रवाई छह मई को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल @INCIndia के एक वीडियो ट्वीट के संबंध में भारतीय जनता पार्टी की एक शिकायत के बाद हुई है.

तंखा ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि...
आयोग के इस नोटिस पर सख्त आपत्ति करते हुए कांग्रेस मीडिया सेल के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद विवेक तंखा ने निर्वाचन आयोग को नसीहत दी है.  नसीहत में कहा गया है कि वह संविधान के संदर्भ में 'संप्रभुता' शब्द का अर्थ समझने के लिए अपनी अनुसंधान दल की मदद ले. उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग 3 अगस्त 1949 को संविधान सभा की बहस में एचवी कामथ को दिया डॉ. अम्बेडकर का जवाब भी पढ़े. सोनिया जी की बीजेपी की शिकायत का कोई कानूनी आधार नहीं है. उनके इस बयान, 'मैं किसी को भी कर्नाटक की प्रतिष्ठा, अखंडता और संप्रभुता के लिए खतरा पैदा नहीं होने दूंगी'. कुछ भी असंवैधानिक नहीं है. इस बात को निर्वाचन आयोग भी जनता है. कोई शक नहीं कि बीजेपी कर्नाटक चुनाव हार रही है.

निर्वाचन आयोग पर पक्षपात का आरोप
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने विवेक तंखा के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए लिखा है कि चुनाव आयोग ने सोनिया गांधी के संविधान में दिए गए 'राज्य के अधिकार' पर पूरी तरह से वैध बयान पर कांग्रेस को नोटिस भेजा है. जिसकी पुष्टि संविधान सभा में डॉ अंबेडकर के भाषण से होती है. दिग्विजय सिंह ने निर्वाचन आयोग पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुलेआम धर्म के नाम पर वोट मांगते है तो इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया को कुछ भी गलत नहीं दिखता. क्या यह उचित है? क्या यह कानूनी है?  क्या यह जनप्रतिनिधित्व अधिनियम का उल्लंघन नहीं करता है? क्या नरेंद्र मोदी ने इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया द्वारा तय की गई नैतिक आचार संहिता का उल्लंघन नहीं किया है? क्या वे उसे नोटिस जारी कर रहे हैं?

यहां बता दे कि कर्नाटक में कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र में बजरंग दल पर बैन लगाने के प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने प्रचार अभियान के दौरान जमकर हमला किया था.उन्होंने कहा कि कांग्रेस बजरंगबली को ताले में बंद करना चाहती है.मोदी ने मतदाताओं से यह भी अपील की कि जब वोट डालने जाए तो जय बजरंगबली बोल कर अपना वोट डालें.दिग्विजय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इन्हीं भाषणों का जिक्र करते हुए इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया पर पक्षपात का आरोप लगा रहे हैं.

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