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धर्मो रक्षति रक्षित:

 

धर्मो रक्षति रक्षित:


जो लोग ’धर्म’ की रक्षा करते हैं, उनकी रक्षा स्वयं हो जाती है। इसे ऐसे भी कहा जाता है, ‘रक्षित किया गया धर्म रक्षा करता है’।"

धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः ।

तस्माद्धर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत् ।'


धर्म शब्द का अर्थ. धारयति इति धर्मः - धर्म का अर्थ होता है “धारण करना”।

'धर्म' भारतीय संस्कृति और  भारतीय दर्शन की प्रमुख संकल्पना है।  साधारण शब्दों में धर्म के बहुत से अर्थ हैं जिनमें से कुछ ये हैं- कर्तव्य, अहिंसा, न्याय, सदाचरण, सद्-गुण आदि। धर्म का शाब्दिक अर्थ होता है, 'धारण करने योग्य' सबसे उचित धारणा, अर्थात जिसे सबको धारण करना चाहिये'।

 हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई, जैन या बौद्ध आदि धर्म न होकर सम्प्रदाय या समुदाय मात्र हैं। “सम्प्रदाय” एक परम्परा के मानने वालों का समूह है। ऐसा माना जाता है कि धर्म मानव को मानव बनाता है।


इसे हम एक कहानी द्वारा समझने का प्रयास करते हैं -


दुनिया में सभी अपने अपने धर्म का पालन करें तो बेहतर है।

 एक बार भयानक सूखा पड़ा, सारी फसल नष्ट हो गई और धरती बंजर हो गई। किसानों ने हार मान ली और बीजों को न बोने का निर्णय लिया। यह चौथा वर्ष था जब बारिश नहीं हुई और फसल बुवाई भी नहीं हुई। किसान उदास होकर बैठ गए या कोई और काम कर अपना समय बिताने लगे।  एक किसान ऐसा भी था जिसने हार नहीं मानी उसने धैर्य के साथ बीज  बोया और अपनी जमीन की देखभाल करता रहा। उसे ऐसा करता देख दूसरे किसान रोज ही उसका मजाक उड़ाते कि वह अपने फल रहित और बंजर जमीन की देखभाल कर रहा है। जब उन्होंने  किसान से उसकी इस बेवकूफी भरे कार्य का कारण पूछा तो उसने कहा कि मैं किसान हूं और अपनी जमीन की देखभाल करना और उसमें बीज बोना मेरा धर्म है। बारिश हो या ना हो इससे मेरा धर्म नहीं बदलता, मेरा धर्म मेरा धर्म है और मैं अवश्य ही इसका पालन करूंगा, भले है इसका फल मुझे मिले या ना मिले। दूसरे किसान उसके इस बेकार के प्रयास पर हंसने लगे वे फिर से अपनी बंजर जमीन और बारिश रहित आसमान का विलाप कर अपने अपने घर चले गए।


हालांकि जब वह किसान विश्वास के साथ अपना उत्तर दे रहा था तभी एक बादल उसके खेतों के ऊपर से गुजर रहा था। बादल ने किसान के सुंदर शब्दों को सुना और महसूस किया, यह सही है जिस तरह जमीन की देखभाल करना और बीजों को बोना उसका धर्म है, उसी तरह अपने भीतर संग्रहित पानी को धरती पर बरसाना मेरा धर्म है।


लेखिका

शारदा कनोरिया

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