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कर्ज़ में डूबता मध्यप्रदेश ,सरकार का जितना बजट, उससे ज्यादा कर्ज

 कर्ज़ में डूबता मध्यप्रदेश ,सरकार का जितना बजट, उससे ज्यादा कर्ज




हजार से ज्यादा अतिथि विद्वानों का मानदेय 30 हजार से बढ़ाकर 50 हजार रुपए किया गया। इससे 108 करोड़ का अतिरिक्त बोझ।

11 जून 2023  आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय ,प्रदेश की करीब एक लाख 80 हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय 10 हजार से बढ़ाकर 13 हजार किया गया। इससे सरकार पर 648 करोड़ का सालाना बोझ बढ़ा।

(इन 10 घोषणाओं पर सालाना खर्च 23,435 करोड़ रुपए खर्च होगा।)

लाड़ली बहना योजना पर 5 साल में खर्च होंगे करीब 1 लाख करोड़

लाड़ली बहना योजना में हितग्राहियों की मौजूदा संख्या 1.31 करोड़ के हिसाब से देखें तो अगले पांच साल में सरकार को 98 हजार 250 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे। जब यह योजना शुरू हुई तो सरकार ने कहा था कि पांच साल में 61 हजार 890 करोड़ रुपए खर्च होंगे। यह अनुमान सवा करोड़ हितग्राहियों के हिसाब से किया गया था, लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि राशि 1250 से बढ़ाकर धीरे-धीरे 3 हजार रुपए तक की जाएगी। यानी केवल एक ही योजना को संचालित करने के लिए सरकार को अपनी वित्तीय सेहत ठीक करना होगी।


सरकार का जितना बजट, उससे ज्यादा कर्ज

मध्यप्रदेश सरकार पर कुल कर्ज 3 लाख 32 हजार करोड़ रुपए हो गया है। 31 मार्च 2022 तक प्रदेश का कुल सार्वजनिक कर्ज 2.95 लाख करोड़ रुपए था। बजट अनुमान (वित्त वर्ष 2023-24 के लिए) के अनुसार 31 मार्च, 2024 तक यह आंकड़ा बढ़कर 3.85 लाख करोड़ होने का अनुमान है।

बता दें, मौजूदा वित्तीय वर्ष में मप्र सरकार का बजट – 3 लाख 14 हजार 25 करोड़ रुपए है। सरकार की इनकम के लिहाज से भी देखें तो सरकार की आमदनी 2023-24 में 2 लाख 25 हजार करोड़ होने का अनुमान लगाया गया है जबकि खर्च 2,79,000 करोड़।

विशेषज्ञ हैरान हैं कि कर्ज में डूबी सरकार ने दो साल में बाजार से एक लाख करोड़ से ज्यादा का लोन उठा लिया है। यह अब तक लिए गए लोन का एक तिहाई है। इसका असर यह हुआ कि मप्र में हर व्यक्ति पर पांच साल में कर्ज डबल हो गया। ऐसा संभवत पहली बार है।

संवाददाता: डॉली सोनी 

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