Ticker

6/recent/ticker-posts

Header Ads Widget

Responsive Advertisement

बैतूल में पेसा पर पेंच: हाईकोर्ट ने पूछा बैतूल में क्यों नहीं लागू, राज्य सरकार के अधिवक्ता से 13 अक्टूबर तक मांगा जवाब

 बैतूल में पेसा पर पेंच: हाईकोर्ट ने पूछा बैतूल में क्यों नहीं लागू, राज्य सरकार के अधिवक्ता से 13 अक्टूबर तक मांगा जवाब



बैतूल विकासखंड में पेसा एक्ट लागू करने के लिए दायर एक याचिका पर हाईकोर्ट जबलपुर ने राज्य शासन के वकील को निर्देश दिया है कि वे बैतूल जिले के अनुसूचित क्षेत्रों के सभी गांवों, ब्लाकों पर पेसा लागू करने की व्यवहारिकता पर कलेक्टर बैतूल से विस्तृत जानकारी लेकर 13 अक्टूबर तक कोर्ट को अवगत कराएं।


कोर्ट ने राज्य शासन के वकील दर्शन सोनी को निर्देश दिया कि वे पेसा अधिनियम की प्रायोज्यता के बारे में कलेक्टर, बैतूल से निर्देश प्राप्त करें और यदि यह केवल बैतूल जिले के कुछ गांव व ब्लॉकों तक सीमित है‌। वे इस मामले में तथात्मक स्थिति से इस न्यायालय को अवगत कराएंगे।

याचिकाकर्ता के वकील अनिरुद्ध मिश्रा ने बताया कि हाईकोर्ट ने राज्य शासन के वकील को निर्देश दिए कि बैतूल कलेक्टर से जानकारी ले कि जब पूरे जिले में पेसा एक्ट लागू किया गया है। तो फिर इसे बैतूल खंड में क्यों छोड़ दिया गया। उनसे इस पर जानकारी प्राप्त करें कि ऐसा भेदभाव क्यों किया गया।

याचिकाकर्ता हेमंत सरियाम का कहना है कि मध्य प्रदेश में पेसा के नियम लागू हो गए हैं। यह राज्य के शहरों में नहीं बल्कि उन 89 ब्लॉक्स के गांवों में लागू होंगे, जहां जनजातिय आबादी अधिक है‌। मध्य प्रदेश यह कानून लागू करने वाला देश का सातवां राज्य बन चुका है।

इस कानून का उद्देश्य जनजातीय समाज को स्वशासन प्रदान करने के साथ ही ग्राम सभाओं को सभी गतिविधियों का मुख्य केंद्र बनाना है। आदिवासियों के लिए बने कानून की रीढ़ माने जाने वाले पेसा एक्ट के तहत आदिवासियों की पारंपरिक प्रणाली को मान्यता दी गई।

केंद्र ने पंचायत (अनुसूचित क्षेत्र के लिए विस्तार) पेसा अधिनियम 1996 कानून लागू किया। जिले में देखने में आ रहा है कि यहां आदिवासी अंचल के गांवों में पेसा कानून पूरी तरह से लागू नहीं हुआ। ग्रामीणों को इसकी जानकारी तक नहीं है।

संवाददाता : विशाल कुमार धुर्वे 

Post a Comment

0 Comments