प्रदेश के परिवहन विभाग के खिलाफ पूरे देश में सर्वाधिक टैक्स वसूलने का आरोप
ट्रांसफर टैक्स के नाम पर वाहन खरीददारों से पिछले 10 साल में हजारों करोड़ की अवैध वसूली
बैतूल प्रदेश में पिछले 10 सालों से वाहन ट्रांसफर टैक्स के नाम पर लूट मची हुई है। आरटीओ विभाग द्वारा नियम विरुद्ध तरीके से 10 गुना टैक्स वसूलकर मध्य प्रदेश की जनता की गाड़ी कमाई को लूटने का काम किया जा रहा है। प्रदेश की जनता को सुनियोजित ढंग से षडयंत्र पूर्वक मूर्ख बनाया जा रहा है। नगर कांग्रेस सेवादल के ब्लॉक अध्यक्ष एवं भारतीय वाहन खरीदी बिक्री संगठन के जिला अध्यक्ष गोलू सोनी ने यह गंभीर आरोप लगाए है। उन्होंने बताया कि पिछले 10 सालों में आरटीओ में वाहन ट्रांसफर टैक्स के नाम पर हजारों करोड़ की लूट को अंजाम दिया गया है। प्रदेश के समस्त जिलों में आरटीओ विभाग द्वारा करोड़ों रुपए का टैक्स वसूला जा रहा है। उन्होंने कहा कि आरटीओ विभाग द्वारा जो भ्रष्टाचार किया जा रहा है, इस पर विराम लगाना जरूरी है। उन्होंने आम जनता से अपील की है कि वह किसी भी जाति, धर्म अथवा कोई भी राजनीतिक पार्टी से जुड़ा हो, इस भ्रष्टाचार के खिलाफ आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि आरटीओ विभाग द्वारा प्रदेश में बहुत बड़ा स्कैम चलाया जा रहा है, इसका सीधा लाभ भ्रष्टाचारी उठा रहे हैं। गोलू ने बताया कि वर्ष 2014 के पहले फिटनेस टैक्स के महज 2500 रूपये लिए जाते, लेकिन अब 50 रूपये रोज के हिसाब से पेंडिसी के लिए जा रहे है। पहले टू-व्हीलर वाहन में 1500 रूपये ट्रांसफर होने में लगते थे अब 3 से 5 हजार रूपये राशि निर्धारित कर दी गई, जबकि चार पहिया वाहन ट्रांसफर करने में 3 हजार रूपये लगते थे अब 10 से 40 हजार रूपये तक वसूल किए जा रहे है। उन्होंने बताया कि देश में परिवहन विभाग द्वारा सर्वाधिक टैक्स वसूलकर वाहन चालकों को मूर्ख बनाया जा रहा है। ये अवैध वसूली मोटरसाइकिल से लेकर कार खरीदने वालों से ही नहीं, बल्कि छोटे-छोटे कमर्शियल वाहन खरीदने वालों से भी होती है। मध्यप्रदेश में एक वाहन से ठगी का औसत 5 हजार रुपए भी मानें तो पिछले 10 सालों में आरटीओ खर्च के नाम पर हजारों करोड़ रुपए की ठगी की जा चुकी है। उन्होंने मुख्यमंत्री और परिवहन मंत्री से शीघ्र टैक्स कम किए जाने की मांग की है।
जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम के नाम पर भी लूट
सोनी ने आरोप लगाया कि वाहनों में जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम लगाने के नाम पर भी लूट मची हुई है। महज 2 हजार के जीपीएस सिस्टम के 13 से 14 हजार रुपए लिए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि पूरे मध्य प्रदेश में यही हालात है।
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