ग्रामीणों ने बीएसएनएल अधिकारियों को बनाया बंधक, जानिए क्या हुआ फिर
मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के पिपलझोपा गांव में बीएसएनएल के नेटवर्क की समस्या को लेकर एक अनोखा मामला सामने आया है। जब बीएसएनएल के अधिकारी गांव में लगे टॉवर की जांच के लिए पहुंचे, तो उन्हें ग्रामीणों के भारी आक्रोश का सामना करना पड़ा। नाराज ग्रामीणों ने अधिकारियों को टॉवर के कैंपस में बंद कर दिया और गेट पर ताला लगा दिया। इसके बाद वे गेट के बाहर धरने पर बैठ गए। उनकी मांग थी कि प्रधानमंत्री मोदी की "हर गांव 4G" योजना के तहत गांव में लगे टावर की नेटवर्क समस्या को तुरंत ठीक किया जाए।
खरगोन से 55 किलोमीटर दूर रिमोट एरिया में बसे पीपल झोपा में केवल बीएसएनल का मोबाइल नेटवर्क है। यहां मोबाइल टावर होने के बावजूद अधिकांश मोबाइल नेटवर्क से नहीं जुड़े हुए हैं। मंगलवार को जैसे ही बीएसएनएल के जूनियर टेलीकॉम ऑफिसर और एक टेक्नीशियन 2G नेटवर्क की जांच करने वहां पहुंचे, ग्रामीणों ने उन्हें घेर लिया और मोबाइल नेटवर्क नहीं आने की शिकायत को लेकर खरी खोटी सुनाई। उनका गुस्सा इस पर भी नहीं ठंडा हुआ और उन्होंने टावर प्रेमिसेस के गेट पर अपना ताला जड़ दिया। करीब 2 घंटे के बाद उन्हें बाहर आने दिया गया।
ग्रामीणों ने अधिकारियों पर आरोप लगाया कि टॉवर सही से काम नहीं कर रहा है। जब उन्होंने यह सुना कि टॉवर में 2100 बैंड बंद है, तो उन्होंने आक्रोशित होकर अधिकारियों को टॉवर के कैंपस में बंद कर दिया और धरने पर बैठ गए।टॉवर की जांच के बाद अधिकारियों ने इंदौर और भोपाल के वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क किया। ग्रामीणों को आश्वासन दिया गया कि नवंबर के पहले या दूसरे हफ्ते तक पिपलझोपा के सभी मोबाइल में नेटवर्क उपलब्ध होगा।
पिपलझोपा गांव में छह महीने पहले बीएसएनएल का 4जी टावर लगाया गया था। इसके बावजूद अधिकांश ग्रामीणों के मोबाइल में नेटवर्क नहीं आ रहा था। यह घटना सिर्फ एक स्थानीय घटना नहीं है, बल्कि देश के कई दूरदराज इलाकों की कहानी कहती है, जहां बुनियादी सुविधाओं की कमी लोगों के जीवन को प्रभावित करती है।
संवाददाता : पुष्पेंद्र सिंह दाँगी
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