रीवा में शराब माफिया, पुलिस और आबकारी का गठजोड़
मादक पदार्थों के अवैध कारोबार ने रीवा-मऊगंज जिले को उड़ता पंजाब बना दिया है। कमोवेश यह दशा अपराध जगत की है। अपराध के लिये कभी बिहार और यूपी आदि प्रांत कुख्यात थे, उनको भी म.प्र.के रीवा-मऊगंज जिले ने पीछे छोड़ दिया है। चोरी, डकैती, लूट, हत्या, बलात्कार की घटनाओं का ग्राफ लगातार बढ़ते क्रम में है। कोई भी दिन रोजनामचा से खाली नहीं होता है। जहां तक गांजा, कोरेक्स , अफ़ीम, आई पी एल सट्टा, सट्टा जुआं व शराब के अवैध व्यापार की बात है तो वह शहर से लेकर गांव-गांव तक पहुंच चुका है। अब तो अफीम, चरस, ब्राउनशुगर, कोरेक्स जैसे तमाम प्रकार के प्रतिबंधित मादक द्रव्य आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। प्रायः थानों की पुलिस तमाशबीन बनकर रह गई है। रीवा संभागीय मुख्यालय है जहां प्रशासन व पुलिस के ओहदेदार बैठे हुये हैं। रीवा के शहरी क्षेत्र मात्र में आधा दर्जन पुलिस थाने हैं। इतने के बावजूद भी सबकी आंखों के सामने बांसघाट कबाड़ी मोहल्ला में अवैध गांजा की बारहमासी मंडी सजती है। ट्रकों में यहां अवैध गांजा की खेप पहुंचती है और उसे खपा दिया जाता है। पुलिस को सब कुछ पता है मगर कठोर कार्यवाही नहीं की जाती है। यदाकदा धरपकड़ की कार्यवाही रस्मअदायगी के तौर पर जरूर की जाती हैं! आज कल पुरा जिला शराब की गंध-दुर्गंध से आच्छादित है। वैध से ज्यादा अवैध शराब का व्यापार हो रहा है। सरकारी तंत्र जानबूझकर अंधा, गूंगा और बहरा बना हुआ है। जब अवैध कारोबारी इनकी सेवा में मेवा मिष्ठान के साथ तश्तरी में चांदी के जूते भी पेश करते हैं तब कहीं न कहीं उनका भी ख्याल रखना इनका कर्तव्य बनता है? क्योंकि मंथली इनकम जो मिल रही है!
5 तारीख के बाद चढौत्री के लिए संदेश पर संदेश
आबकारी एवं पुलिस विभाग के सूत्रों ने बताया कि शराब ठेकेदारों से वसूली का आलम यह है कि प्रत्येक माह की 5 तारीख के बाद उनका जीना मुहाल हो जाता है। आबकारी और पुलिस विभाग के अधिकारियों के लिए चढ़ौती लेने आने वाले के संदेश-पर-संदेश ठेकेदारों तक पहुंचने लगते हैं! वसूलीबाज थानों एवं आबकारी के लोगों का अग्रासन निकालने के बाद ही ठेकेदार राहत की सांस ले पाते हैं। जिले के अंदर शराब पैकारी का धंधा आउट ऑफ कंट्रोल हो चुका है। अवैध शराब कोरेक्स और गांजा किस गांव में नहीं बिक रहा है इसका जबाव तो पुलिस अथवा अवैध शराब गांजा कोरेक्स कारोबारी के पास ही है....?
तो हांका के नाम पर पुलिस शराब ठेकेदारों पर बनती है दबाव
पुलिस सूत्रों ने बताया कि शहर के अंदर अगर आपको कहीं हांका अभियान शराब दुकानों के आसपास दिखे या यातायात पुलिस चेकिंग करते हुए नजर आए तो आप समझ ले कि थाना प्रभारी , पुलिस स्टाफ को 5 तारीख को मिलने वाली चढ़ौत्ररी नहीं मिली है! अगर थाना प्रभारी से लेकर शहर एसपी तक हांका अभियान में निकले हैं तो समझ ले की ऊपर के अधिकारियों तक पैसा नहीं पहुंचा है वही अगर यातायात पुलिस शराब दुकान के आसपास भी चेकिंग लगाए तो समझ ले की चेकिंग तो मात्र बहना है टारगेट तो शराब दुकान और ठेकेदार हैं...! अब इस बात में कितनी सच्चाई है वह तो पुलिस विभाग के अधिकारी कर्मचारी और शराब ठेकेदार ही बता सकते हैं......... ?
शराब ठेकेदारों द्वारा गठित सिंडीकेट के गुंडो की गुंडागर्दी
सिंडीकेट से जुड़े शराब कारोबारियों ने शहर में गुंडो का जाल बिछा रखा है। इतना ही नही अपने पालतू गुंडो को बोलेरो भी उपलब्ध करवा रखे है। जो कट्टा, पिस्टल और धारदार औजार से लैस होते है। इन गुंडो को सिंडीकेट ने वाहन चेकिंग का कार्यभार सौंप रखा है। सोच का विषय यह है कि यह आदेश किसने दिया पुलिस ने या फिर जिला आबकारी अधिकारी या कलेक्टर ने .......! सिंडीकेट के ये पालतू गुंडे राह चलते लोगों की गुंडाई से गाड़ी रोकते हैं और उनकी तलासी लेते हैं। विरोध किये जाने पर कट्टा, पिस्टल दिखाते है और मारपीट करते हैं। हाल ही में विश्वविद्यालय पुलिस ने सोशल मीडिया में खबर चलने के बाद गुर्गों के ऊपर 151 की धारा लगाकर कार्यवाही की थी
पुलिस के संरक्षण में खोल दिया नाका, खुलेआम वाहनों की चेकिंग..
उप मुख्यमंत्री सहित आईजी द्वारा अवैध नशे के विरुद्ध कार्यवाही किये जाने की बात अक्सर की जाती है। लेकिन ये राग उनके ढकोसले नजर आते है। शहर की कानून व्यवस्था शराब कारोबारियों के पालतू गुंडो के हाथो में है। शराब कारोबारियों के चढावों से एक ओर जहां आबकारी अमला हाथों में चूड़ी पहन कर बैठा है वहीं दूसरी ओर खाकी भी हाथ में चूड़ी डाल कर बैठी हुई है। वाहन चेकिंग का काम सिंडीकेट के गुंडे कर रहे है, जबकि यह काम पुलिस पुलिस और आबकारी विभाग का है। लेकिन आबकारी कार्यालय में बैठा भ्रष्ट अधिकारी शहर के शराब कारोबारियों को गिरोह बना कर सिंडीकेट का नाम रखवा दिया। जो एक ओर खुलेआम दुकानों में सुराप्रेमियों की जेब में डाके डाल रहे तो वही दूसरी ओर उनके गुंडे हाइवे में वाहन चेकिंग कर लूट और मारपीट को अंजाम दे रहे। सोच का विषय यह है कि सिंडीकेट के इन गुंडो को वाहन चेकिंग करने का अधिकारी किसने दे रखा है, एसपी, एएसपी ने या फिर थाना प्रभारियों ने......? यह शोध का विषय है। जिला आबकारी अधिकारी की तरह थाना प्रभारी शराब कारोबारियों के हाथों बिके होते है, इस बात से नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। लेकिन जहां उच्च अधिकारियों की बात सामने आती है तो यह सोच का विषय बन जाता है कि उच्च
आसन पर बैठे पुलिस अधिकारियों ने सिंडीकेट के गुंडो के हाथों कैसे वाहन चेकिंग और नाकेबंदी करने का काम सौंप रखा है। कुछ दिन पूर्व विवि थाना क्षेत्र में सिंडीकेट के गुर्गो ने राजस्व कर्मचारियों को रोक कर वाहन चेकिंग की और उनके
साथ मारपीट को अंजाम दिया था, लेकिन विवि थाना प्रभारी की मेहरबानी ने उनके हौसले बढ़ा दिये। मंगलवार की रात सिंडीकेट के गुंडो शहर से सटे हुए रायपुर कर्चुलियान थाना क्षेत्र के हाइवे में नाकेबंदी कर वाहन चेकिंग करते रहे। इस बात की जानकारी रायपुर कर्चुलियान थाना प्रभारी सहित डीएसपी हेड क्वार्टर को थी लेकिन न तो थाना प्रभारी सिंडीकेट के गुंडो को खदेड़े और नही डीएसपी हेड क्वार्टर ने थाना प्रभारी से गुंडो को भगाने के लिए कहा। दिन ढलने से लेकर रात 12 बजे तक सिंडीकेट के गुंडे हाइवे में वाहन चेकिंग के नाम पर तांडव मचाते रहे। हद तो तब हो गई जब कार सवार एक दंपति को रोक कर वाहन के चेकिंग करने लगे। कार में सवार महिला लुटेरो की आशंका से थर-थर कांपती रही लेकिन सिंडीकेट के गुंडे अपने आका समान शराब दुकान समूह के लाईसेंसी और जिला आबकारी अधिकारी के आदेशो का पालन करता रहा। शहर के चारों दिशाओं में सिंडिकेट के उड़न दस्ता के गुर्गे फैले हुए हैं! शहर के अंदर बाहर एवं अन्य जिले से शराब की घुसपैठ इसलिए शंका होने पर किसी भी गाड़ी को रोक कर चेकिंग करते! अगर इसी तरह से आबकारी और पुलिस विभाग ने अपने ईमान को बेंच कर सिंडिकेट के गुर्गों को खुली छूट दे रखी है! भगवान ना करें कि किसी दिन इन अबैध कारोबारी के बीच गैंगवॉर ना हो ! वरना गैंगवॉर की जिम्मेदारी कौन लेगा शराब कारोबारी, आबकारी या पुलिस विभाग......?
संवाददाता : आशीष सोनी
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