जीरो टालरेंस व सुशासन का सच, यहां हर विभाग में हैं घोटालों का इतिहास
विना कमीशन नहीं होता किसी सरकारी विभाग में काम..... 0 टायरेंस का काला सच सरकारी कार्यालयों में 15- से 40% तक कमीशन, तब बिल का भुगतान......!
एक तरफ सरकार सुशासन एवं जीरो टालरेंस को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है। योजनाओं की समय-समय पर समीक्षा भी होती रहती है। कागजी उपलब्धियों के आंकड़ों से ऊपर तक सफलता परिणाम भी पहुंच जाते हैं। बावजूद इसके जब गंभीर शिकायतों की जांचे होती है तो आने वाले परिणामों से यह भी पता चलता है कि हर जगह घोटालों और अनियमितताओं की भी भरमार है। इससे समझा जा सकता है कि सिस्टम किस तरह से काम कर रहा है।
यदि सामाजिक कार्यकर्ता, एक्टिविस्ट, खोजी पत्रकार ऐसे मामलों पर ध्यान देना बंद कर दें तो जो मगरमच्छ है ये पता नहीं क्या करके निकल जाय।
रीवा के इतिहास में कुछ वर्षो के चर्चित मामले चिन्ताजनक
जिले के विभिन्न विभागों में कई चर्चित मामले हाल के वर्षों में हो चुके है। जहां कई करोड़ की गड़बड़ी जांच के दौरान पकड़ी गई किन्तु इसके बाद भी आरोपियों एवं दोषियों के खिलाफ उस तरह से प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पाई। नागरिक आपूर्ति निगम एवं खारीदी केन्द्रों में मिलरों व परिवहनकर्ताओं की मिलीभगत से धान खारीदी व चावल परिवहन में घोटाला, आबकारी विभाग व में फर्जी बैंक गारंटी घोटाला, राजस्व विभाग में भूमि संबंधी घोटाले, प्रधानमंत्री सड़क में डामर खारीदी घोटाला, सर्व शिक्षा अभियान में आरओं खरीदी व गणवेश घोटाला, पीएचई विभाग में जल जीवन मिशन घोटाला, आजाक विभाग में मरम्मत, सामग्री खरीदी एवं शिष्यवृत्ति घोटाला, लोक निर्माण विभाग में सड़क निर्माण में परफार्मेस गारंटी अवधि में निविदा घोटाला, महिला बाल विकास एवं आजीविका मिशन में पोषण आहार केन्द्र पहाड़िया में बिना सामग्री उपलब्धता के पोषण आहार परिवहन घोटाला, जल संसाधन विभाग में बिना कार्य के 153 करोड़ के भुगतान का घोटाला आदि कई ऐसे मामले हैं जो इस बात के प्रमाण है कि सिस्टम में किस तरह से अनियमितता हो रही है जिसे रोकने में जिम्मेदारों की भूमिका ठीक नहीं है। ये ऐसे मामले हैं जो अभी हाल के कुछ वर्षों के अंतराल में हुये किन्तु दुर्भाग्य है कि कई मामलों जांचे पूर्ण होने के बाद भी दोषियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पाई।
समय के साथ फाईलों में दब जाते हैं कई मामले
इतिहास के पन्नों में देखा जाय तो गंभीर मामले समय के साथ फईलों में ही दब जाते हैं। इसके साथ ही कई नये-नये मामले प्रकाश में आते रहते हैं। जिनकी चर्चा कुछ समय तक होती है फिर उनका भी हल उसी तरह से होता है। एक समय रीवा सहित प्रदेश भर में छात्रवृत्ति घोटाला काफी चर्चाओं में रहा। जहां रीवा जिले व संभाग के कई कालेज अनियमिता में शामिल रहे। किन्तु उनके खिलाफ क्या कार्रवाई हुई आज तक पता नहीं है। लोकायुक्त एवं ईओडब्ल्यू तक भी कई शिकायतें पहुंचती है किन्तु ऐसा नहीं है सभी शिकायतों में कार्रवाई होती है। जहां शिकायत करने वाले सक्रिय रहते है वहीं कार्रवाई हो पाती है। अन्यथा भ्रष्टाचारी तंत्र इतना प्रभावशाली होता है कि वह हर जगह अपना मैनेज करने में सफल हो जाता है।
ग्रामीण विकास विभाग में कई पंचायतों के चल रहे मामले
ग्रामीण विकास विभाग में आने वाली कई पंचायतों के मामले लगातार चलते रहते हैं। कई शिकायते ऐसी है जिनकी जांच तक नहीं हो पाती। वहीं जिन प्रकरणो में जांच होती है वहां कार्रवाई के नाम पर चारा 89 एवं 92 के नाम पर लंबे समय तक पेशियां चलती रहती है। कुछ मामलों में वसूली हो जाती है तो कई मामलों में बार-बार जांचों के नाम पर मामलों को रफा-दफा करने का भी प्रयास होता रहता है। हर पांच वर्ष के कार्यकाल में ग्राम पंचायतों में संचालित होने वाली योजनाओं में व्यापक पैमाने पर वित्तीय अनियमितता होती रहती है। किन्तु प्रभावी नियंत्रण एवं निगरानी न होने से अंकुश नहीं लग पाता। एक गिरोह की तरह तंत्र के कुछ लोग योजनाओं को पलीता लगाने का काम करते रहते हैं।
कई मामले सीएजी की आडिट से प्रकाश में आते हैं
कई बड़े मामले तो तब प्रकाश में आते हैं जब सीएजी की आडिट होती है और प्रतिवेदन प्रस्तुत होता है। अन्यथा ऐसे मामलों का तो कोई पता ही नहीं चलता। बावजूद इसके विभागयी तंत्र ऐसे मामलों को भी रफा-दफा करने में जुट जाता है। यदि सीएजी जैसी संस्था की आडिट भी मैनेज हो जाय तो समझा जा सकता है कि सरकारी तंत्र में बैठे लोग योजनाओं को हजम करने में कोई कसर नहीं छोड़े। सवाल यह भी है कि कोई भी अनियमितता प्रकाश में आने बाद उसको गंभीरता से लिया जाना चाहिये। ऐसे प्रकरणों को प्राथमिकता के आधार पर लेकर सक्षम अधिकारियों को कार्रवाई करनी चाहिये। किन्तु देखा जाता है कि मोटी चमड़ी वाले अधिकारियों पर जल्दी कोई असर भी नहीं होता। यही कारण है कि संज्ञान में आने के बाद भी ऐसे मामले समय के साथ फाईलों तक सीमित रह जाते हैं!
संवाददाता : आशीष सोनी
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