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ग्राम पंचायत सैपुरा में मनरेगा योजना में भ्रष्टाचार, शासन की राशि का किया जा रहा दुरुपयोग

 ग्राम पंचायत सैपुरा में मनरेगा योजना में भ्रष्टाचार, शासन की राशि का किया जा रहा दुरुपयोग


 सुदूर सड़क जेसीबी मशीन से 3 दिन में डाली 4 लाख 32 हजार  54 रुपए मजदूरों पर खर्च

पलेरा: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा)  एक रोजगार गारंटी योजना है यह योजना हर साल ग्रामीण परिवार के सदस्यों को 100 दिनों का रोजगार देती है केंद्र सरकार एवं मध्य प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा मनरेगा योजना पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं लेकिन ग्राम पंचायत के सरपंच सचिव रोजगार सहायक और  सब इंजीनियर की मिलीभगत से शासन की राशि का दुरुपयोग किया जा रहा है जनपद पंचायत पलेरा की ग्राम पंचायत सैपुरा में सुदूर सड़क निर्माण हरिजन बस्ती से शासकीय स्कूल तक सड़क डाली गई है जिसकी लागत 19 लाख 66 हजार 308 रुपए है जिस पर ग्राम पंचायत द्वारा चार लाख 32 हजार 54 रुपए मजदूरी पर खर्च किया गया है ग्राम पंचायत के ग्रामीणों एवं सूत्रों की माने तो दो-तीन दिन में यह सुदूर सड़क जेसीबी मशीन से डाली गई है  एक ग्रामीण के द्वारा नाम न छापने की शर्त पर बताया गया है कि ग्राम पंचायत सेपुरा मे महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना मनरेगा के सभी कार्य मशीनों से कराए गए हैं और कराए जा रहे हैं राशि आहरण करने के लिए मस्टर डालकर राशि निकली जा रही है शासन की ऐसी गाइडलाइन है मनरेगा में मजदूरों से काम कराया जाता है लेकिन इस ग्राम पंचायत में मशीनों से काम कराया गया है वहीं दूसरे मामले की बात करें तो ग्राम पंचायत सेपुरा की पहाड़ी पर 7 परकोलेशन टैंक (डग आउट पॉइंट ) निर्माण कराए गए हैं जिनकी लागत राशि 3 लाख 85 हजार 261 रुपए है   पहाड़ी के आसपास के इलाके में  जेसीबी मशीनों से निर्माण कार्य किया गया है मीडिया टीम की पड़ताल में स्पष्ट रूप से यह दिखाई दिया है कि मशीनों के  टायर  वोकिट चिह्न निशानी स्पष्ट रूप से अधिकारियों के द्वारा देखी जा सकती है   जिम्मेदार सब इंजीनियर कालीचरन राजपूत की मिलीभगत से  मनरेगा योजना में जमकर भ्रष्टाचार किया गया है सब इंजीनियर की देखरेख में यह निर्माण कार्य कराए जाते है और उनका मूल्यांकन भी सब इंजीनियर दर्ज करते हैं  लेकिन लेनदेन के चलन में मनरेगा योजना को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ाया गया  शासन के नियम कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही है परकोलेशन टैंक निर्माण  शासन द्वारा ग्रामीणों इलाकों में जल संरक्षण जल स्तर बढ़ाने के लिए किया जाता है जहां पानी बहाव  हो या नाले का बहाव हो वहां यह निर्माण कार्य कराए जाते है लेकिन नियम  कानून को ताक में रखकर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया  पहाड़ों पर निर्माण किया गया शासन की राशि को ठिकाने लगाया गया     आखिर में देखना यह लाजमी होगा कि वरिष्ठ अधिकारी इस मामले में क्या कार्रवाई करते हैं                                    

इनका कहना है : आपके द्वारा जानकारी प्राप्त हुई है मनरेगा योजना सुदूर सड़क और परकोलेशन टैंक महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना में मशीनों से कार्य कराया गया है तो जांच करा कर  दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी ...

नवीत कुमार धुर्वे (जिला सीईओ) जिला पंचायत टीकमगढ़                     

 इनका कहना है :मनरेगा योजना में सेपुरा ग्राम पंचायत में मशीनों से निर्माण कार्य कराया गया है कल ही जांच कर कार्रवाई की जाएगी जांच के लिए सहायक यंत्री को भेजा है।। 

सिद्धगोपाल वर्मा ( सीईओ) जनपद पंचायत पलेरा                            

 इनका कहना है :मनरेगा योजना अंतर्गत के ग्राम पंचायत में मशीनों से काम किया गया तो यह जांच का विषय है सब इंजीनियर से बात करके कल ही इस मामले को दिखाकर कार्रवाई की जाएगी यदि मशीनों के साक्ष सबूत पाए जाते है तो निश्चित ही कड़ी कार्यवाही की जाएगी

_एकता तिवारी( सहायक यंत्री) जनपद पंचायत पलेरा।                          

 इनका कहना है: मनरेगा में ग्राम पंचायत सेपुरा में सैकड़ो काम हुए और चल  रहे है उनका मेरे द्वारा मूल्यांकन किया गया बार-बार  मेरे द्वारा मॉनिटरिंग की गई है 20 बार में कामों को देखने गया मशीनों से यदि काम किया गया है तो मुझे इसकी जानकारी नहीं है 

कालीचरण राजपूत (सब इंजीनियर)

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