ग्राम पंचायत कारी में पुलिया निर्माण बना भ्रष्टाचार का काला खेल, नाबालिग बच्चियों पर टिकी सरपंच की ‘मजदूरी’!
सिंगरौली जिले की जनपद पंचायत देवसर ग्राम पंचायत कारी के पश्चिमी छोर पर बन रही एक पुलिया अब भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती नजर आ रही है। लाखों रुपये की लागत से शुरू हुआ यह निर्माण कार्य गुणवत्ता के नाम पर सिर्फ एक मजाक बनकर रह गया है। घटिया सामग्री और लापरवाह रवैये के बीच यह साफ झलक रहा है कि पंचायत से लेकर जिला स्तर तक के अधिकारियों का ‘कमिशन’ पहले से फिक्स है। तभी तो इस बेहद शर्मनाक और गुणवत्ता-विहीन काम को बिना किसी रोक-टोक के अंजाम दिया जा रहा है।
नियम-कानून की धज्जियाँ उड़ाते हुए नाबालिग बच्चियों से मजदूरी का गंदा खेल
हैरानी की बात तो ये है कि इस निर्माण कार्य में ग्राम पंचायत ने सारी हदें पार कर दी हैं। यहाँ नाबालिग बच्चियों से मजदूरी करवाई जा रही है, जो बाल श्रम कानून का खुला उल्लंघन है। एक तरफ सरकार गरीब बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा और बेहतर भविष्य का सपना दिखा रही है, वहीं दूसरी तरफ सरपंच और सचिव जैसे लोग कानून को ठेंगा दिखाते हुए इन मासूमों के हाथों में किताबों की जगह फावड़ा और गैंती थमा रहे हैं। यह सब तब हो रहा है, जब स्थानीय प्रशासन और जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं—क्या ये मौन उनकी मिलीभगत का सबूत नहीं?
बाल श्रम पर सख्त कानून, फिर भी बेफिक्री क्यों?
बाल श्रम को गंभीर अपराध माना गया है और इसके खिलाफ कड़े दंड का प्रावधान भी है। स्थानीय लोग चीख-चीखकर कह रहे हैं कि ग्राम पंचायत के इस काले कारनामे के खिलाफ कई बार शिकायत की गई, लेकिन नतीजा सिफर। हर बार शिकायतें कागजों में दफन हो जाती हैं और जिम्मेदारों के कान पर जूं तक नहीं रेंगती। अब सवाल उठता है—क्या जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधि इस मामले में आँखें मूंदे रहेंगे? क्या भ्रष्टाचार के इस घिनौने खेल और बाल श्रम की बेकाबू होती सच्चाई को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाया जाएगा, या ये सब सिर्फ कागजी बातें बनकर रह जाएँगी?
संवाददाता : आशीष सोनी
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