चैत्र नवरात्रि में माँ शारदा मढ़िया में हुई जवारों की घटस्थापना
माँ शारदा मढ़िया रैपुरा के वरिष्ठ पंडा पंडित दीनदयाल शर्मा ने बताया जवारों का महत्व व मढ़िया का इतिहास
भारतवर्ष में चैत्र नवरात्रि और हिंदू नव वर्ष की धूम मची हुई है, इसी तारतम्य में रैपुरा नगर में मुख्य रूप से बड़ी मढ़िया, चंडी मढ़िया और शारदा मढ़िया में जवारों की घटस्थापना की गई है!
शारदा मढ़िया व रैपुरा नगर के वरिष्ठ पंडा पंडित दीनदयाल शर्मा ने चैत्र नवरात्रि और जवारा की घटस्थापना का महत्व बताते हुए कहा कि चैत्र नवरात्रि चैत्र माह के शुक्ल पक्ष के दौरान मनाई जाती है, जो कई क्षेत्रों में हिंदू नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। 2025 में, यह 30 मार्च से 7 अप्रैल तक मनाया जा रहा है, जिसका समापन भगवान राम के जन्मदिवस रामनवमीं पर होगा। यह अवधि देवी दुर्गा और उनके नौ रूपों का आशीर्वाद पाने के लिए अत्यधिक शुभ मानी जाती है। साथ ही जवारा की घटस्थापना भी की जाती है! उन्होंने बताया कि ऐसी मान्यता है कि सृष्टि के प्रारंभ में सबसे पहली फसल जौ ही थी और शारदीय नवरात्रि में कलश और घटस्थापना के साथ ही एक घट में जवारे अर्थात जौ या गेहूं बोए जाते हैं। माता दुर्गा को यह बहुत पसंद हैं। नवरात्रि में कलश के सामने एक मिट्टी के पात्र में मिट्टी में जौ या गेहूं को बोया जाता है और इसका पूजन भी किया जाता है। बाद में नौ दिनों में जब जवारे उग आते हैं तो उसके बाद उनका नदी में विसर्जन किया जाता है। जवारे को जयंती और अन्नपूर्णा देवी माना जाता है। माता के साथ जयंती और अन्नपूर्णा देवी की पूजा भी जरूरी होती है। इसे पूर्ण फसल भी कहा जाता है।
पंडित दीनदयाल शर्मा ने माँ शारदा मढ़िया रैपुरा का इतिहास बताते हुए कहा कि इस स्थान को हमारे पूर्वजों द्वारा लगभग 400 वर्ष पहले स्थापित किया गया था, आज भी हमारे परिवार के द्वारा ही यहां के समस्त पूजा पाठ, रखरखाव के कार्य किए जा रहे हैं, इस स्थान पर जो भी हृदय से मांगो, मिल जाता है, सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, जिनके बिगड़े काम बनते हैं वो भक्तगण दूर दूर से दर्शन और चढ़ावा करने समय समय पर आते रहते हैं माँ की इच्छा और भक्तों के श्रद्धा विश्वास से माँ सबकी झोली भरती हैं, कई लोग संतान प्राप्ति की मनोकामना लेकर भी दरबार में आते हैं और माँ उनकी झोली भर देती हैं!
संवाददाता ललित शर्मा
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