संयुक्त मोर्चा का दावा 60 फीसदी एनसीएल का कामकाज एवं उत्पादन व प्रेषण हुआ प्रभावित, बैंको में भी हड़ताल का व्यापक असर
देशभर में केंद्रीय श्रमिक संगठनों के आह्वान पर आयोजित राष्ट्रव्यापी हड़ताल के तहत लाखों कर्मचारियों एवं बैंक कर्मियों ने ने एकजुट होकर कार्य का बहिष्कार किया और अपनी मांगों के समर्थन में आवाज बुलंद की।
यह हड़ताल केंद्र सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों, निजीकरण के प्रयासों और श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी संशोधनों के खिलाफ आयोजित की गई है। बीएमएस को छोड़ कोल इंडिया लिमिटेड और उसकी सभी अनुषंगी कंपनियों के अंतर्गत आने वाले खदानों, ट्रांसपोर्ट और अन्य यूनिटों में अन्य सभी ट्रेड यूनियन के सदस्य कर्मचारियों ने पूर्ण रूप से काम रोका और विभिन्न स्थानों पर विरोध सभाएं की। कोल इंडिया में संयुक्त मोर्चा में शामिल संगठन एटक, एचएमएस, इंटक, सीटू के नेतृत्व में सभी हड़ताल में शामिल रहे। उनकी मांग थी कि महंगाई और बेरोजगारी पर लगाम लगाया जाए। कोयला क्षेत्र की यह ऐतिहासिक हड़ताल इस बात का स्पष्ट संकेत है कि देश के मेहनतकश मजदूर अब और शोषण नहीं सहेंगे। यदि सरकार ने शीघ्र सकारात्मक कदम नहीं उठाए, तो संघर्ष और तेज किया जाएगा। साथ ही सभी श्रमिक संगठनों के परियोजनाओं के अध्यक्ष सचिव और उनकी पूरी टीम के द्वारा अपने परियोजना के मुख्य द्वारों पर सुबह प्रथम पाली 4 बजे से ही जोरदार प्रदर्शन किया गया। हड़ताल की सफलता को लेकर संयुक्त रूप से श्रमिक संगठनों द्वारा बताया गया कि हड़ताल पूरी तरह से सफल रही। उधर यूनियन बैंक सहित अन्य कई बैंको के हड़ताल से करोड़ों रूपये के लेन-देन प्रभावित हुआ। साथ-साथ आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सीपीएम एवं सीपीआई भी हड़ताल किया। वही हड़ताल में भारतीय मजदूर संघ शामिल नहीं रहा। इधर इंटक सिंगरौली के महासचिव लाल पुष्पराज सिंह का दावा है कि संयुक्त टे्रड यूनियन और फडरेशनों के आह्वान पर अखिल भारतीय आम हड़ताल 60 फीसदी कर्मचारी हड़ताल पर रहे। सबसे ज्यादा हड़ताल का असर दुद्धिचुआ परियोजना में 90 फीसदी रहा है। हड़ताल से एनसीएल में कोयला डिस्पैच और उत्पादन प्रभावित रहा है।
एनसीएल मुख्यालय में संयुक्त मोचा ने किया विरोध प्रदर्शन
एनसीएल मुख्यालय गेट पर संयुक्त मोर्चा ने विरोध प्रदर्शन कर श्रम विरोधी नीतियों के खिलाफ जमकर नारे बाजी की। देश भर में लागू की जा रही श्रम विरोधी नीतियों तथा चार श्रम संहिताओं लेबर कोड्स के खिलाफ मजदूर वर्ग की आवाज बुलंद करने के लिए आरसीएसएस इंटक , सीएमएस एटक, एचएमएस, ओबीसी एसोसिएशन सहित सभी प्रमुख श्रमिक संगठनो द्वारा 9 जुलाई को एक दिवसीय संयुक्त हड़ताल की गई। आरसीएसएस के सचिव राजन कुमार ने कहा कि यह हड़ताल केवल मांगो तक सीमित नही है, बल्कि मजदूर वर्ग की अस्मिता, अधिकार और सम्मान की लड़ाई है। सभी कर्मचारियों, श्रमिकों, ठेका कर्मियों ने आंदोलन को मजबूती प्रदान किया। उन्होंने यह भी कहा कि जब हम अपने अधिकारो, वेतन, सुरक्षा, स्थायित्व और भविष्य की लड़ाई लड़ रहे हंै। तब कुछ लोग आज भी हाजिरी लगाने में गर्व महसूस कर रहे हैं।
इनका कहना:-
राष्ट्रव्यापी हड़ताल के दौरान एनसीएल के प्रथम व द्वितीय एवं सामान्य पाली में करीब 50 प्रतिशत कर्मचारी मौजूद रहे। वही एनसीएल के उत्पादन एवं प्रेषण पर आंशिक असर पड़ा है।
राम विजय सिंह
जनसंपर्क अधिकारी एनसीएल, सिंगरौली
संयुक्त मोर्चा की प्रमुख मांगे
संयुक्त मोर्चे के तहत हड़ताल में मांगे रखी गई कि चार लेबर कोड रद्द किए जाए और पुराने श्रम कानूनों को ही यथावत रखा जाए। 8घंटे ड्यूटी की जगह 12 घंटे ड्यूटी का नियम रद्द किया जाये। 300 मेन पावर तक के संस्थान में हायर एंड फायर की अनुमति को रद्द किया जाये। महिलाओं की रात्रिकालीन ड्यूटी का नियम रद्द किया जाये। कोयला क्षेत्र सहित सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थानों में निजीकरण पर तत्काल रोक लगाई जाए। ठेका श्रमिकों को स्थायी किया जाए और समान काम के लिए समान वेतन दिया जाए। सामाजिक सुरक्षा, पेंशन और पीएफ के लाभ सुनिश्चित किए जाएं।
संवाददाता :-आशीष सोनी
0 Comments