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जर्जर भवनों में व्यवसाय एवं परिवार सहित निवास कर रहे लोग

 जर्जर भवनों में व्यवसाय एवं परिवार सहित निवास कर रहे लोग


जर्जर भवन गिरने से अगर दुर्घटना घटी तो एसडीएम , तहसीलदार, सीएमओ कौन होगा जवाबदार...?

  लगभग 1 वर्ष पुर्व सागर और रीवा में दीवार धंसने से हुई बच्चों की मौत के बाद मुख्यमंत्री के निर्देश पर रीवा कलेक्टर प्रतिभा पाल ने जर्जर एवं अति जर्जर मकानों को चिन्हित कर कार्यवाही के करने निर्देश नगर निगम , नगरपरिषदो दिए थे ! लेकिन शासन-प्रशासन के निर्देशों की अवहेलना कर कार्यवाही में सिरमौर के एसडीएम, तहसीलदार, सीएमओ बाधा बने हुए हैं ! 

 गौरतलब है कि मुख्यमंत्री एवं जिला कलेक्टर प्रतिभा पाल के आदेशानुसार नगर परिषद सिरमौर के द्वारा सर्वे कराकर जर्जर एवं अति जर्जर भवनों की एक सूची तैयार की  गई थी ! चिन्हित भवनों को गिराने के लिए  एसडीएम एवं तहसीलदार कार्यालय को चिन्हित भवनों की सूची दे कर पत्र के माध्यम से अनुमति चाही गई थी !  सुत्र बताते हैं की आज दिनांक तक जर्जर भवनों को गिरने की अनुमति एसडीएम एवं तहसीलदार कार्यालय के द्वारा  नगर परिषद कार्यालय को प्रदान नहीं की गई!  जिस वजह से आज भी जर्जर भवनों में लोग अपना व्यवसाय कर रहे हैं एवं अपने परिवार के साथ रह रहे हैं! वही नगर परिषद सिरमौर के अधिकारियों ने  मी एकाद दो जर्जर भवनो में कार्यवाही कर खाना पूर्ति कर  ली थी ! रीवा एवं सागर में दीवार धसने से हुई बच्चों की मौत के बाद  भी नगर प्रशासन नहीं चेता रहा  ! बल्कि किसी हादसे के इंतजार में बैठा है! क्योटी रोड में तिराहे पर जर्जर भवन अगर बरसात के दिनों गिर जाता है और उन भवनों कोई दुर्घटना हो  जाती है तो इसका जवाबदार कौन  होगा एसडीएम, तहसीलदार ,या मुख्य नगर पालिका अधिकारी.....?

 नगर विकास में असहयोग की भावना से काम कर रहा  एसडीएम,तहसील कार्यालय...

  सुत्रो से मिली जानकारी के  अनुसार सिरमौर नगर विकास के लिए अध्यक्ष नगर परिषद सिरमौर द्वारा अपने परिषद और पीआईसी में कई प्रस्ताव परित  कर भू आवंटन की कार्यवाही के लिए एसडीएम एवं तहसील कार्यालय में भेजा गया  !  पिछले ढेड़ वर्ष से अधिक समय गुजरने के बाद भी कार्यावाही अपुर्ण बताईं जा रही हैं!  सिरमौर नगर परिषद  अध्यक्ष संदीप सिंह द्वारा कलेक्टर , सिरमौर एसडीम एवं तहसीलदार से  अनेकों बार नगर विकास में  सहयोग प्रदान करने  सौजन्य मुलाकात कर चुके हैं! बाबजूद इसके एसडीएम एवं तहसीलदार कार्यालय में पदस्थ कर्मचारी गोलमोल जवाब देकर भटक देते हैं! ऐसा लगता है कि नगर विकास में असहयोग की भावना से दोनों कार्यालय काम कर रहे हैं!

तहसीलदार बड़ा या पटवारी...?

 पटवारी तहसील कार्यालय में कम पंप हाउस के पास ज्यादा बैठते है यहीं से वहां अपनी दुकानदारी चलते हैं! सूत्र बताते हैं कि बिना लेनदेन के पटवारी जी किसी का काम नहीं करते और अपने आप को तहसीलदार से बड़ा बताते हैं पटवारी साहब ने भी अपने इर्द गिर्द दलालों का जमावड़ा तैयार कर रखा है जो तहसील कार्यालय में आने वाले लोगों से सौदेबाजी कर पटवारी से मिलाने का काम करते हैं! कभी तहसील कार्यालय से बुलावा आ जाता है तो तबीयत खराब होने का बहाना उनका तैयार रहता है लोग कहने लगे हैं कि तहसीलदार बड़े हैं या पटवारी.….?

संवाददाता : आशीष सोनी

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