माता की त्रिशाला रथ यात्रा में रथ को काले बकरों ने खींचा अर्पित किया गया पचरंगा मुर्गा,पचरंगी मिठाई व अंड्डे का अर्पण
वर्ष में चार नव दुर्गा महोत्सव मनाये जाते है जिसमें दो नवदुर्गा सभी लोग मनाते है बाकि दो नव दुर्गा महोत्सव गुप्त नवदुर्गा के रूप में मनायीं जाती है इन गुप्त नवदुर्गा में तंत्र विद्या, गुप्त साधना, गुप्त विद्याओं की सिद्धि प्राप्त करने हेतु बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है
गुप्त नव दुर्गा में जो पूजा पाठ साधना साधक के द्वारा की जाती है वह सिर्फ़ माता और साधक के बीच होती है और किसी को इस साधना की जानकारी नही होती इसलिए इसको गुप्त नवदुर्गा कहा जाता है इस वर्ष अषाढ़ माह के 19 जून से 28 जून तक गुप्त नव दुर्गा महोत्सव चलेगा
गुप्त नवदुर्गा में माता के 10 रूपो की साधना साधको द्वारा की जाती है जिसमें माता काली, माँ तारा देवी, माँ त्रिपुर भैरवी, माँ कमला देवी, माँ भुवनेशरी देवी, माँ छिंदमस्ता देवी, माँ धूमवती देवी, माँ त्रिपुर सुंदरी देवी, माँ बंगलामुखी देवी, माँ मतंगी देवी की साधना नियम अनुसार साधक करते है
गुप्त नवदुर्गा में साधको द्वारा लोंग बतासे आदि का भोग लगाया जाता है
गुप्त नव दुर्गा में जाटव समाज के तत्वाधान में प्रति तीन वर्ष के अंतर से गुप्त नवदुर्गा की दोज को माता की त्रिशाला रथ यात्रा निकाली जाती है
इसमें माता के लिए एक रथ बनाया जाता है जिसमें काले बकरों को रथ में जोता जाता है एवं माता के लिए भोग में पचरंगा मुर्गा, पचरंगी मिठाई, अंडे, नींबू, लोंग इलाइची, इत्यादि वस्तुओं का भोग अर्पण किया जाता है
जाटव समाज एवं समस्त श्रद्धालुओं का मानना है कि इस पूजा से माता हमें समस्त रोग, द्वेष, प्रेत बधाएँ, जादू टोना आदि से मुक्त कर धन सम्पदा आदि से संपन्न करतीं है
माँ के चलते हुये रथ को देखकर भक्ति एवं आस्था में श्रद्धालु इतने मगन हो जाते है कि आस्था से सरावोर अपना होसो हवास खोदेते है एक महिला ने ऐसे ही भक्ति में डूबकर महिला रथ के सामने आकर नाचने लगी एवं माता के जयकारे लगाने लगी
यह रथ यात्रा पूरे सदर में होती हुई खेरमाइ प्रांगण में संपन्न होती है जहाँ सभी श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का प्रबंध किया जाता है
संवाददाता - हेमंत लडिया
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