अध्यात्म के क्षेत्र में पूरा विश्व भारत की ओर ही देखता है
साधना का अर्थ केवल एकांतवास या ध्यान नहीं होता वह साधना का एक पक्ष है। साधना का यह अर्थ होता है कि हम अपने मन में संतोष और शांति के भाव को हर समय कायम रखें, असली साधना वह है। आप ध्यान करते हो तो अधिक से अधिक 1 घंटे के लिए करोगे- उसमें विश्वास का ख्याल करोगे, मंत्र जाप करोगे, अपने इष्ट पर ध्यान लगाओगे, या कुछ श्लोक पाठ कर लोगे। इसके अतिरिक्त और क्या कर लोगे?
ज्यादा से ज्यादा किसी अच्छे भाव की अनुभूति हो सकती है, लेकिन यह सब क्षणिक होगी। उसके बाद फिर क्या हमने ध्यान 1 घंटे किया पर 11 घंटे जब हम संसार में रहते हैं तो क्या संसार में रहकर भी हम अपने मानसिक संतोष प्रतिभा और शांति को कायम रख सकते हैं। अपने स्कूल के क्लास रूम में बैठकर तो आप एक घंटा अपनी पढ़ाई कर ही लोगे, लेकिन असली मेहनत तब होती है जब घर में आकर आपको होमवर्क करना पड़ता है। सफलता घर में की गई मेहनत पर ही निर्भर करती है, स्कूल में की गई मेहनत पर नहीं। वहां केवल सूत्र मिल जाता है कि इस विषय पर तो मंथन करो और वही मंथन घर में आकर करना होता है। इसलिए यह कभी मत सोचना कि साधना का मतलब एकांत या ध्यान या मंत्र जाप होता है।
कई बार दवाई की एक छोटी गोली दवाई की बड़ी गोली से ज्यादा असरदार होती है अपनी भारतीय संस्कृति में बहुत सी विधियां है जो मनुष्य के जीवन के सारे दुखों को कम करने में सहायक है और सुख शांति एवं समृद्धि लाने में भी बहुत सहायक होती है लेकिन हम लोग आधुनिकता के सम्मोहन में धीरे-धीरे इन परंपराओं को भुल रहे हैं। जिस दिन हम अपनी परंपराओं को भूल जाएंगे उस दिन हमारी संस्कृति हमारा समाज नष्ट हो जाएगा। भारत की उर्जा उसकी आध्यात्मिक शक्ति में निहित है।
बाकी सब क्षेत्र में भारत अन्य देशों से कमजोर हो सकता है लेकिन अध्यात्म के क्षेत्र में पूरा विश्व भारत की ओर ही देखता है।
लेखिका
शारदा कनोरिया
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