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ग्रीन इंडियन आर्मी सोहागपुर द्वारा वन महोत्सव के समापन पर फलदार पौधो का रोपण किया गया

 ग्रीन इंडियन आर्मी सोहागपुर द्वारा वन महोत्सव के समापन पर फलदार पौधो का रोपण किया गया

रेवाबनखेड़ी रोड गांधी वार्ड स्थित हनुमान मंदिर परिसर में फलदार पौधे चिकू,आम,नीबू,कटहल, जामुन आदि लगाए गए।

युवा गृहस्थ संत प्रकाश मुग्दल  महाराज के मुख्य आतिथ्य में पौधो का रोपण किया। संयोजक प्रियांशु धारसे द्वारा बताया गया कि

पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने की प्रतिबद्धता है वन महोत्सव

जुलाई के पहले सप्ताह (1 से 7 जुलाई) में वनों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए वन महोत्सव मनाया जाता है। यह एक वार्षिक वृक्षारोपण उत्सव है, जिसमें पूरे देश में वृक्षारोपण अभियान चलाया जाता है।वन महोत्सव पर लोग पौधे लगाते हैं और अधिक लोगों को प्रोत्साहित करते हैं कि वो सब मिलकर विभिन्न वृक्षारोपण अभियान भी चलाए। वन महोत्सव सप्ताह में वन संरक्षण के प्रति जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने और ग्रह पर मनुष्यों को ऑक्सीजन प्रदान करने में पेड़ और जंगल बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।वन महोत्सव सप्ताह एक अनुस्मारक है कि हमें वनों की रक्षा करनी चाहिए और वनों की कटाई को रोकना चाहिए और पर्यावरण संरक्षण के तीन 3R नियम कम करना (रिड्यूस), पुनः उपयोग करना (रीयूज), पुनः चक्रण (रीसायकल) करना का पालन करना चाहिए।इस सप्ताह के दौरान, बच्चों और बड़ों को पौधे लगाते हुए और वृक्षारोपण अभियान में भाग लेते हुए, पेड़ों के महत्व के बारे में जागरूकता फैलानी चाहिए। वन महोत्सव सप्ताह भारत में लोगों को अधिक से अधिक पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है, क्योंकि औद्योगीकरण और शहरीकरण के लिए उन्हें बड़े पैमाने पर काटा जा रहा है।वनों के ह्रास होने की प्रक्रिया पर्यावरण को सीधे तौर पर प्रभावित करती है। बावजूद इसके भारत सहित दुनिया के अधिकांश देशों के वन क्षेत्र में तेजी से कमी आ रही है।वनों की कटाई अत्यधिक चिंताजनक है और वन महोत्सव सप्ताह का उद्देश्य अधिक से अधिक लोगों को वनों को उगाने और बचाने के लिए एक साथ लाना है। रिपोर्ट बताती हैं कि उच्च जनसंख्या घनत्व और उच्च्च वन आवरण वाले क्षेत्र कोविड-19 महामारी से अधिक प्रभावित नहीं थे।हमारा देश वन संपदा और जैव विविधता के मामले में आदिकाल से ही संपन्न रहा है, लेकिन समय बीतने के साथ-साथ औद्योगिक विकास की चाह या आवश्यकता ने पेड़ पौधों को बड़े पैमाने पर क्षति पहुंचाई है। परिणाम स्वरूप कई फलदार और औषधीय पौधे आज केवल किस्से कहानियों तक ही सीमित रह गए हैं। कितनी विचित्र बात है वनों की गोद में पल्लवित और पुष्पित सभ्यता में आज वन ही उपेक्षित हो गए। वन के साथ हमारा अस्तित्व जुड़ा है, बावजूद इसके हम बेफिक्र हैं। दुर्भाग्य यह है कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करने की बजाय अपनी क्रियाओं से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं।औद्योगिक विकास और मानवीय स्वार्थों की पूर्ति को प्रतिदिन लाखों पेड़ पौधों की बलि दी जा रही है। कुछ वर्ष पूर्व पेड़ों की संख्या अधिक थी, तो समय पर बारिश होती थी और गर्मी भी कम लगती थी, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा है, पानी तरसा रहा है और गर्मी झुलसा रही है।देश के सामने चुनौतियां इधर, मॉनसून की अनियमितता से देश में आंशिक सूखे की स्थिति उत्पन्न हो गई है। असमय दस्तक दे रही इस आपदा का नकारात्मक असर कृषि गत उत्पादन और जनसंख्या के एक बड़े हिस्से पर पड़ना निश्चित है।दूसरी तरफ हमारी संवेदनहीनता की यह हद है कि हमने पृथ्वी को तो दूषित कर दिया, अब इसे स्वच्छ बनाने की जगह मंगल जैसे अन्य ग्रहों पर जीवन खोजने को लालायित हैं।ऐसे में व्यक्तिगत और पारिवारिक स्तर पर पौधे लगाने की प्रक्रिया शुरू करनी होगी, तभी जाकर जीवन की प्रतिकूल परिस्थितियां मानव जाति के अनुकूल होंगी। मनुष्यों की बुद्धि जड़ हो चुकी है।हमारे पूर्वजों ने हमें कितना शुद्ध और स्वच्छ वातावरण दिया था। क्या हम आगे आने वाली पीढ़ियों को उसे स्थानांतरित कर पाएंगे? शायद नहीं।यथासंभव पौधों, वृक्षों को लगाकर उनकी सुरक्षा करें। मानव जाति के भविष्य के लिए वृक्षों का होना अत्यंत आवश्यक है। अंत में मैं यही विनम्र निवेदन करना चाहता हूं कि "वृक्ष ना होंगे यदि धरती पर जीवन को मिट जाना है, वृक्ष काटना छोड़ो यारो जीवन यदि बचाना है।"

इस लिए अधिक से अधिक वृक्ष लगाए और जीवन बचाए।

इस दौरान उपस्थित नगर पालिका अध्यक्ष प्रतिनिधि यशवंत पटेल,पार्षद जमील खान,विशाल गोलनी,पूर्व सैनिक नीलम पटेल,प्रियांशु धारसे,चुन्नी लाल मुग्दल ,लक्ष्मी कुशवाहा जी,जगदीश नामदेव  व अन्य लोग सम्मिलित रहे।

संवाददाता : दीपक मालवीय 

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