शिक्षा के मंदिर से है छात्रों को जान का खतरा, शिक्षक भी रहते है भयभीत, हादसों के बाद भी नही चेत रहा प्रशासन
शासन के आदेश भी हो रहे वेअसर
शिक्षा के मंदिर से जहां छात्र-छात्राओं और शिक्षकों को जब जान का खतरा दिखने लगे तो वहां की शिक्षा का स्तर क्या होगा, इसका अंदाजा तो आप लगा ही सकते हैं। लेकिन बाबजूद इसके शिक्षक और छात्र अपनी जान से खिलवाड कर उस स्कूल में कक्षाएं संचालित कर रहे है। और जिला प्रशासन राज्य सरकार द्वारा जारी जर्जर भवनों को ध्वस्त करने के आदेश को धता बताकर बच्चों और शिक्षकों के भविष्य से खिलवाड कर रहा है। टीकमगढ शहर के वार्ड नम्बर 27 नया बस स्टैण्ड के पास स्थित शासकीय प्राथमिक शाला वार्ड नम्बर 27 जहां के स्कूल भवन मात्र 2 कमरों में बना हुआ है। जिसमें एक कमरा पूरी तरह से दरार दे चुका है। जिसको देखने से यह लगता है कि यह विल्डिंग कभी भी गिर सकती है। साथ ही दूसरे कमरें के लेंटर की सीलिंग भी गिरने लगी है। जिससे यहां पर पढने वाले छात्र-छात्राओं और शिक्षकों को जान का खतरा बना रहता है। इस स्कूल में 73,छात्र-छात्राएँ अध्यनरत है, और उन्हें पढाने के लिए 4 शिक्षिकाएं पदस्थ है। जिनमें प्रधान अध्यापक शशी रावत, शिक्षक स्नेहलता जैन, शमीम फातिमा और रश्मि पाण्डेय पदस्थ है। जो शिक्षिकाएँ प्रतिदिन स्कूल पहुंचकर छात्र-छात्राओं को पढाई तो करवातें है। लेकिन जब वह विल्डिंग की तरफ देखते है, तो उन्हें विल्डिंग के गिरने का भय बना रहता है। जिससे शिक्षिकाएँ भी भयभीत बनी रहती है। शिक्षिकाओं ने बताया कि उनके द्वारा विभाग को कई वार पत्राचार कर और मौखिक अपने अधिकारियों को इस बारे में बताया गया है, लेकिन अधिकारियों ने इस और विल्कुल भी ध्यान नहीं दिया है। जिससे यहां पढने वाले छात्र-छात्राएँ भी अब दूरियां बनाने लगे है। वही एक और हो रहे हादसों को रोकने के लिए मुख्यमंत्री ने एक आदेश जारी कर जर्जर भवनों को ध्वस्त करने के जिले के अधिकारियों को आदेश दिए थे। लेकिन जब जिले के अधिकारियों की शहर के ऐसे जर्जर भवनों प पर ही नजर नहीं है तो ग्रामीण क्षेत्र के जर्जर स्कलों की क्या स्थिति होगी। यह तो भगवान ही जानता होगा।हादसों के इंतजार में प्रशासन,ऐसे जर्जर भवनों को देखकर तो लगता है कि जब शहरी क्षेत्र में संचालित ऐसे खस्ताहाल भवनों पर प्रशासन की नजर नही है, तो ग्रामीण क्षेत्र में संचालित जर्जर भवनों की क्या स्थिति होगी। जिससे यह लगता है कि प्रशासन कही न कहीं हादसों के इतजार में बैठा हुआ है। और शिक्षकों एवं छात्र-छात्राओं के की जान से खेल रहा है।हादसों से नहीं चेत रहा प्रशासन ,बीते रोज लिधौरा तहसील के शासकीय प्राथमिक शाला हरिजन बस्ती गौटेट में बीते 30 नबंवर को जर्जर शौचालय की दीवार गिरने से जहां 4 छात्र-छात्राएँ गंभीर घायल हुऐ थे। जिन्हें आनन- फानन में जिला अस्पताल में भर्ती कराकर उपचार दिलाया गया था। इसके बाबजूद भी ऐसी अति गंभीर जर्जर स्कूल की विल्डिंग को देखकर तो प्रशासन को देखकर ही बंद कराकर दूसरी जगह व्यवस्था करनी चाहिएँ। जिससे छात्र-छात्राएं और शिक्षक निश्चिंत होकर शिक्षा ग्रहण कर सकें। और बड़ी घटनाएं होने से बच जाएं।
सीएम का आदेश भी वेअसर
बीते अगस्त माह में रीवा, सागर और भिंड में जर्जर मकान गिरने से हादसें हुए थे। और करीब 14 से अधिक बच्चों की मौत हो गई थी। और कई घायल हो गए थे। इसके बाद से ही सीएम मोहन यादव ने जर्जर भवनों को चिन्हित कर उन्हें ध्वस्त करने के निर्देश दिए थे। लेकिन टीकमगढ जिले में सीएम का आदेश भी अब वेअसर हो गया है। जहां के अधिकारियों पर ऐसे आदेशों का कोई असर नहीं होता और केवल खानापूर्ति कर हादसें होने का इंतजार करते रहते है।
15 वर्ष पहले बनाया गया था स्कूल भवन ,स्कूल में पदस्थ शिक्षिकाओं के बताए अनुसार प्राथमिक शाला वार्ड नम्बर 27 की विल्डिंग लगभग 15 वर्षों पहले बनाई गई थी, जो पूरी तरह से जर्जर हालत में है। जिसकों देखकर अंदर जाने से भी डर लगता है। और उपर से विल्डिंग के छत की प्लास्टर गिर रही है। जिससे छात्रों को अदंर बैठने में भय बना रहता है। जब 15 वर्षों पहले बनी विल्डिंग इतने जल्दी इस हालत में पहुंच गई तो जिले में और भी कई विल्डिगें है जो इसके पहले निर्माण की गई है। वह भी कई विल्डिंगें जर्जर हालत में है। जिनको देखकर भी विभाग जानकर अनजान बना हुआ है।
इनका कहना है
जब इस संबध में डीपीसी पी०आर० त्रिपाठी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि आपके द्वारा मामले की जानकारी प्राप्त हुई है। इस मामले की जानकारी करवाकर कार्रवाई करवाता हूँ। जिससे साफ जाहिर होता है कि जिले के शिक्षा विभाग के अधिकारी अपने कर्तव्यों के प्रति कितने सजग है। जब उन्हें शहर के जर्जर स्कूलों की ही जानकारी नहीं है तो, ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों की स्थिति क्या होगी
संवाददाता : मुहम्मद ख्वाजा
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