इंदिरा गांधी के कार्यकाल में मिली पट्टे की जमीन का मुआवजा ना मिलने से किसान परेशान
पीड़ित परिवार को किसान की जमीन से किया जा रहा बेदखल जहां एक ओर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वामित्व योजना के तहत प्रापर्टी कार्ड वितरित कर रहे वही दूसरी ओर छतरपुर जिले के किसान अपनी जमीन को लेकर परेशान है दर दर की ठोकरे खाने को मजबूर है?
छतरपुर जिले के वगौता गांव में दलित किसानों की जमीन पर बिना नोटिस के विश्वविद्यालय की बाउंड्री वॉल बनाए जाने से किसान बेहद परेशान हैं। पीड़ित किसानों का कहना है कि उन्हें न तो इस संबंध में कोई नोटिस दिया गया, न मुआवजे की पेशकश की गई, और न ही उन्हें किसी अन्य स्थान पर जमीन दी जा रही है जमीन उनके पास 50 साल से अधिक समय से है, जो उन्हें इंदिरा गांधी के कार्यकाल में दी गई थी। इस जमीन पर वे और उनके परिवार खेती करके अपना गुजारा करते आए हैं। इस जमीन का मामला अदालत में विचाराधीन है, लेकिन अदालत का फैसला आने से पहले ही उनकी जमीन पर बाउंड्री निर्माण शुरू कर दिया गया है।
पीड़ित किसानों ने यह भी कहा कि उन्हें आज तक सरकारी योजनाओं का कोई लाभ नहीं मिला। न आवास योजना का लाभ मिला, न शौचालय का निर्माण हुआ, और न ही किसी अन्य सरकारी सुविधा से उन्हें सहायता मिली।
किसान अपनी जमीन बचाने के लिए गुहार लगा रहे हैं, लेकिन अभी तक प्रशासन की ओर से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है। सवाल यह है कि क्या शासन-प्रशासन इन दलित किसानों की आवाज सुनेगा या उनकी परेशानी अनसुनी ही रह जाएगी?
यह मुद्दा न केवल जमीन के अधिकारों का है, बल्कि किसानों के जीने के अधिकार और उनके जीवनयापन के साधनों का भी है। अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है।
संवाददाता : गनेश रैकवार
वीडियो लिंक : https://www.youtube.com/watch?v=luArYN9ak-Q
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