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प्रदेश 'कंगाल', लेकिन अफसर हुए अफ़सर 'मालामाल'

 प्रदेश 'कंगाल', लेकिन अफसर हुए अफ़सर 'मालामाल' 


आईएएस, आईपीएस अफ़सरो की संपत्ति का ख़ुलासा आम आदमी को कर रहा हतप्रभ 

 खुलासे में सामने आई संपत्ति तो एक नंम्बर की, ' दो नंबरी ' संपत्ति का तो कोई औरछोर ही नही, पता ठिकाना 

 ये आंकड़े सिर्फ अचल संपत्ति के, चल संपत्ति कितनी और कहां? किसे पता? 

 प्रदेश के 55 कलेक्टरों में से 14 ऐसे जिनके नाम कोई संपत्ति नही, इंदौर कलेक्टर उनमें से एक 

 संसद में पेश रिपोर्ट से ख़ुलासा, 91 अफ़सरों में नही दिया मिल्कियत का ब्यौरा, एमपी के अफ़सर भी शामिल 

 'मध्यप्रदेश में ब्यूरोक्रेसी का राज है'। ये शोर, डॉ मोहन सरकार के आने के पहले से मचा हुआ हैं। बीते करीब एक दशक से तो 'सत्ता' ही ये शिकायत करती रही है और आज भी कर रही है कि अफ़सरों के आगे हमारी भी कोई बिसात नही। ' बेलगाम ब्यूरोक्रेसी ' का शोर दिल्ली तक पहुँचा भी था। आज उसी दिल्ली के केंद्रीय कार्मिक महकमें की रिपोर्ट में प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी की ' तंदरुस्ती ' का खुलासा हुआ। प्रदेश की अफसरशाही की ये ' तन्दरुस्त सेहत ' उनकी अपनी मिल्कियत से जुड़ी हुई है, जो राज्य की सीमाएं भी लांघकर पुणे से लेकर हरियाणा और राजस्थान से लेकर झारखंड तक फैली-पसरी हुई हैं। अब इस मिल्कियत में कितनी ' खानदानी ' हैं और कितनी ' अफसरी दौर ' की, ये 'राम' जाने।  इंदौर के हातोद, निपानिया से लेकर हिसार नोएडा तक प्रॉपर्टी वाली ये ब्यूरोक्रेसी उच्च स्तर की है। इसमें कलेक्टर से लेकर मुख्य सचिव व डीजी से लेकर एडीजी आदि स्तर के अधिकारी है। निचले स्तर के अफ़सरों की 'सेहत' अभी सामने नही आई है। ये मालामाल ब्यूरोक्रेसी उस तंगहाल राज्य की हैं, जो कर्ज़ पर कर्ज़ लेने को मजबूर हैं। 

 नितिनमोहन शर्मा

 5 हज़ार करोड़ का फ़िर से कर्ज़ा लेने वाले मध्यप्रदेश की तंगहाली व कंगाली किसी से छुपी नही हैं। नई नवेली डॉ मोहन सरकार भी कर्ज़ पर कर्ज़ ले रही हैं। उसी ' कंगाल' मध्यप्रदेश के अफ़सर ' मालामाल ' निकले। क़र्ज़दार प्रदेश के इन ' धन्नासेठ ' अफ़सरों की मिल्कियत का ख़ुलासा आम आदमी को ही नही, सरकार को भी चौका रहा हैं। प्रदेश की जनता हतप्रभ होकर अपने अफ़सरों की अकूत संपत्ति को भौचक्का हो देख, पढ़ और समझ रही हैं। अफ़सरों की ये ' ज़मीदारी' सिर्फ़ आईएएस व आईपीएस स्तर पर ही सामने आई हैं। निचले स्तर के अफ़सरों की ' रईसी ' का ख़ुलासा अभी नही हुआ हैं। 

 बड़े अफ़सरों की 'ज़ागीर' का ख़ुलासा भी, अफसरी के लिए बने नए नियम कायदों के तहत हो गया। केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को दिये गए ब्यौरे में ये अफ़सरों की ये ' अमीरी ' उज़ागर हुआ हैं। अन्यथा किसे पता चलता कि उनके अफ़सर इतने मालामाल हैं। रईसी के जो आंकड़े सामने आए हैं, वे सिर्फ़ अचल सम्पत्तियों के हैं। इन अफ़सरों की चल संपत्ति कितनी हैं और कहां हैं? किसे पता। अचल संपत्ति में तो परिवार-पुरखों की मिल्कियत भी शामिल रहती हैं। बावजूद इसके अफ़सरों की ये अमीरी क़र्ज़दार प्रदेश में कई सवाल खड़े करती हैं। 

 एक मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का ख़ुलासा हुआ कि मध्यप्रदेश कैडर के आईएएस व आईपीएस अफ़सरों के पास कितनी और कहां कहां मिल्कियत हैं। प्रदेश की जनता के समक्ष अफ़सरो के नाम सहित संपत्ति का ब्यौरा इसी मीडिया रिपोर्ट्स से सामने आया। इसके मुताबिक प्रदेश से जुड़े अफ़सरों की मिल्कियत मध्यप्रदेश से बाहर तक फैली हैं।इसमे अफ़सर, पत्नी और परिवार के नाम मकान, दुकान, प्लॉट, फ्लेट व कृषि ज़मीन का रिकार्ड सामने आया। प्रदेश के मुख्य सचिव की प्रॉपर्टी तीन राज्यो में फैली हुई हैं। केंद्र की प्रतिनियुक्ति पर गए अफ़सर के पास 65 एकड़ ज़मीन सहित मकान, प्लॉट आदि भी हैं। 

 कई आइएएस प्रॉपर्टी पर 70 लाख रुपये सालाना से ज्यादा कमा रहें हैं। 102 एकड़ भूमि वाले अफ़सर के पास तो टॉकीज, होटल भी है। ऐसे एक नही अनेक मामले हैं, जो जनसामान्य को भौचक्क किये हुए हैं। ये सब जानकारी आईएएस अफ़सरों की अचल संपत्ति के दिए गए ब्यौरे को टटोलने पर सामने आई। ये ब्यौरा उन्होंने हाल ही में खत्म हुए वित्तीय वर्ष में दिया हैं। इससे न सिर्फ़ ये खुलासा हुआ कि किसके पास कितनी प्रॉपर्टी है बल्कि प्रॉपर्टी पर कितनी कमाई हो रही है, इसका भी ख़ुलासा हुआ। अफ़सर प्रॉपर्टी से भरपूर कमाई भी कर रहें हैं। कोई 70 तो कोई 40 लाख सालाना कमा रहा हैं। कृषि भूमि के साथ प्लॉट, फ्लेट में भी बड़े निवेश के आंकड़े उज़ागर हुए हैं। 

 न सिर्फ आईएएस बल्कि आईपीएस अफ़सर भी पीछे नही। वे भी हर तरह से मालामाल हैं। फ़िर वो ज़मीन हो या फ़िर मकान, दुकान, फ्लेट व व्यावसायिक जगह। इसमें डीजीपी को छोड़ अधिकांश ' रईस ' हैं। डीजीपी के पास एक मकान व एक प्लॉट ही हैं। शेष लोकायुक्त डीजी, एडीजी, स्पेशल डीजी, एडीजी स्तर के अधिकारियों के पास भी आईएएस अफसरों के ' टक्कर' की मिल्कियत हैं। ये सब पुलिस महकमे के उच्च स्तर के अफ़सरों की बात हैं। निचले स्तर पर क्या सुरते हाल होगा? ये किसी से क्या छुपा? पुलिस महकमें में एक टीआई कितना ' सक्षम ' होता हैं, ये जन जन अब जानता है तो फ़िर उच्च अधिकारियों की ' सक्षमता ' की तो बात ही बेमानी हैं। 

 इंदौर कलेक्टर आप और हमारे जैसे, कोई मिल्कियत नहीं 

 आईएएस व आईपीएस अफ़सरों की संपतियों के खुलासे में ये बात सामने आई कि प्रदेश के 55 कलेक्टरों में से 14 ऐसे कलेक्टर है जिनके नाम कोई संपत्ति नही हैं। इनमें इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह भी हैं। ये अहिल्या नगरी के लिए भी फ़ख़्र की बात हैं कि उनके शहर का सबसे बड़ा अफ़सर, उनके जैसा ही ' जनसामान्य ' हैं। 10 कलेक्टर ऐसे सामने आए है, जिनके पास सबसे ज्यादा प्रॉपर्टी है तो 10 कलेक्टर ऐसे है जिनके पास सबसे ज़्यादा कृषि भूमि हैं।

संवाददाता- आशीष सोनी

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