प्रशासन की नाक के नीचे शहरी स्वास्थ्य सेवा ठप, डॉक्टर घर बैठे कमा रहे मोटी रकम
शहर की स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही और भ्रष्टाचार की पोल एक बार फिर खुलकर सामने आ गई है। सरकारी अस्पतालों में मरीजों की लंबी कतारें तो दिखती हैं, लेकिन डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी नदारद रहते हैं। हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि घर बैठे वेतन लेने का खेल अब खुलेआम खेला जा रहा है।
तीन स्वास्थ्य केंद्रों पर मिली लापरवाही, पूरा स्टाफ नदारद!
सहायक कार्यक्रम प्रबंधक शिवशंकर तिवारी ने जब रीवा शहर के तीन स्वास्थ्य केंद्रों का औचक निरीक्षण किया, तो सामने आया एक शर्मनाक सच। न तो चिकित्सा अधिकारी मौजूद थे और न ही नर्सिंग स्टाफ। सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की गैरहाजिरी अब कोई नई बात नहीं रह गई है, लेकिन इस बार प्रशासन ने सख्त कदम उठाने का फैसला किया है।
कार्रवाई की जद में आए लापरवाह कर्मचारी!
बोदाबाग शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र:
डॉ. आस्था पांडेय चिकित्सा अधिकारी, दीपिका सिंह, श्रुति तिवारी नर्सिंग ऑफिसर, रामानंद पटेल फार्मासिस्ट, राजलाल पटेल सपोर्ट स्टाफ!
मुख्यमंत्री संजीवनी क्लीनिक:
डॉ. निक्की अरोड़ा चिकित्सा अधिकारी, सीबी सिंह लैब टेक्नीशियन, संदीप पटेल फार्मासिस्ट, प्रियंका मिश्रा सपोर्ट स्टाफ!
रतहरा शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र:
डॉ. निकिता तिवारी चिकित्सा अधिकारी, सुनीता सिंह, ज्योति तिवारी नर्सिंग ऑफिसर, मीनू सिंह फार्मासिस्ट!
CMHO का सख्त रुख, 3 दिन में मांगा जवाब!
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) संजीव शुक्ला ने लापरवाह कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है। उन्हें तीन दिन में जवाब देने के लिए कहा गया है। अगर संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो सख्त कार्रवाई तय मानी जा रही है।
रीवा की स्वास्थ्य व्यवस्था सवालों के घेरे में!
जहां सरकार बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के दावे कर रही है, वहीं रीवा में हालात इससे ठीक उलट हैं। डॉक्टर और स्टाफ अस्पतालों से गायब रहते हैं, लेकिन घर बैठे वेतन लेना जारी रखते हैं। मरीज इलाज के लिए दर-दर भटक रहे हैं, पर कोई सुनवाई नहीं हो रही।
प्रशासन की सख्ती के बावजूद नहीं सुधर रही व्यवस्था!
यह पहली बार नहीं है जब रीवा की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठे हैं। लेकिन अब देखना होगा कि CMHO की चेतावनी का कोई असर होता है या नहीं। क्या बदलेगी रीवा की बदहाल स्वास्थ्य सेवा....?
प्रशासन ने सभी स्वास्थ्य केंद्रों को अलर्ट मोड पर रहने का निर्देश दिया है। अब सवाल यह है कि—
क्या डॉक्टर और स्टाफ अपने दायित्वों को निभाएंगे? क्या तीन दिनों में सरकार को संतोषजनक जवाब मिलेगा? या फिर यह मामला भी पहले की तरह फाइलों में ही दफन हो जाएगा? अब सारी निगाहें प्रशासन पर टिकी हैं। अगर कार्रवाई नहीं हुई, तो यह सवाल जरूर उठेगा कि, आखिर कब तक रीवा की जनता इस लापरवाही की कीमत चुकाती रहेगी?
इनका कहना है.....
CMHO संजीव शुक्ला: स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी। शहरी स्वास्थ्य केंद्रों में कार्य के प्रति गंभीर अनियमितताएं पाई गई हैं। दोषी कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
संवाददाता : आशीष सोनी
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